संत तुकाराम महाराज के 11वें वंशज शिरीष मोरे ने फांसी लगाकर की आत्महत्या। जानें कौन थे संत तुकाराम?

पुणे (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र के पुणे के तीर्थनगरी देहू से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां संत तुकाराम महाराज के 11वें वंशज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक शिरीष मोरे महाराज ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली है। 30 वर्षीय शिरीष महाराज ने आज सुबह अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इस चौंकाने वाली घटना से शहर में सनसनी फैल गई है, लोगों ने इस घटना को लेकर दुःख जताया है। इस घटना की जानकारी मिलते ही देहू रोड पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शिरीष मोरे महाराज के शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया।  

उन्होंने ऐसा कदम आर्थिक समस्याओं के चलते उठाया है। इस बात का जिक्र उन्होंने सुसाइड नोट में किया है, जिसे पुलिस ने उनके आवास से बरामद किया है। सुसाइड नोट में उन्होंने उल्लेख किया है कि वह आर्थिक समस्याओं से आत्महत्या कर रहे हैं। शिरीष महाराज की आत्महत्या के बाद तीर्थ गांव देहू पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। आम नागरिक इस मामले मे अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही हुई है सगाई :

पुणे जिले में शिव विद्वान के रूप में शिरीष महाराज की बड़ी प्रतिष्ठा थी, वह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय और सम्मान जनक रूप से रहते थे। वह शिव शम्भो फाउंडेशन के अध्यक्ष भी थे। कुछ दिन पहले ही उनकी सगाई हुई थी। घर में ख़ुशी का माहौल था। उनकी शादी कुछ ही दिनों में होने वाली थी लेकिन इससे पहले ही उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया है, जो कि उनके समर्थकों के लिये हैरान करने वाला है।

इस घटना में पुलिस ने अनुमान लगाया है कि आत्महत्या के पीछे वित्तीय कठिनाइयां कारण हो सकती हैं। पुलिस के अनुमान के अनुसार, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने आत्महत्या की होगी। आत्महत्या करने से पहले उसने एक नोट भी लिखा था। शिरीष महाराज का निधन उनके परिवार के लिए बहुत बड़ा सदमा है। वहीँ कई लोग उनके इस कदम से काफी दुखी है।

हिंदुओं पर हो रहे अन्याय पर करते थे टिप्पणी :

महामृत्युंजय मन्त्र उत्पत्ति की कथा और महत्व के साथ : https://www.youtube.com/watch?v=L0RW9wbV1fA

सोशल मीडिया के द्वारा होने वाले धार्मिक प्रवचनों और संघ के स्वयंसेव और हिंदुओं को मार्गदर्शन करने के दौरान शिरीष महाराज यह अपील भी करते थे कि ”उन लोगों से खरीदारी करने से बचें जिनके माथे पर तिलक नहीं है अब तक की अपनी जीवन यात्रा के दौरान।” वह हिंदुओं पर हो रहे अन्याय और अत्याचार पर भी अक्सर टिप्पणी करते रहते थे। लव जिहाद, उद्योग जिहाद, भूमि जिहाद, खाद्य जिहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर भी उनकी टिप्पणियां काफी लोकप्रिय रही हैं। वे धर्म को लेकर काफी जागरूक थे। हिन्दू धर्म को लेकर उनके निष्ठा जगजाहिर थी।

कौन थे संत तुकाराम :

संत तुकाराम वारकरी संप्रदाय के संत और कवि थे। उन्हें अभंग (भक्ति गीत) और कीर्तन के रूप में जाने जाने वाले आध्यात्मिक गीतों के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजन के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने ही महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव डाली थी। संत तुकाराम विट्ठल यानी विष्णु के परम भक्त थे। वे  17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के देहू गांव में वारकरी संप्रदाय के एक हिंदू, मराठी संत थे। वे पंढरपुर के भगवान विठोबा के भक्त थे। महाराष्ट्र के प्रमुख संतों और भक्ति आंदोलन के कवियों में एक तुकाराम का जन्म महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले के अंतर्गत ‘देहू’ नामक ग्राम में शक संवत् 1520 को अर्थात सन् 1598 में हुआ था। तुकारामजी के पिता का नाम ‘बोल्होबा’ और माता का नाम ‘कनकाई’ था। तुकारामजी जब 8 वर्ष के थे, तभी इनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था।