रायपुर : 5 राज्यों में चुनाव के बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने बहुत बड़ा फेरबदल कर दिया है, आमतौर जो प्रदेश का अध्यक्ष होता है वही मुख्यमंत्री बनता है, लेकिन ऐसा जरुरी नहीं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद अब नया प्रदेश कौन होगा, इसको लेकर भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में लगातार चर्चा होने लगी है। साथ ही तीन प्रमुख नामों को लेकर भी अपने-अपने हिसाब से कयास लगाने लगे हैं। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व के चौकाने वाले फैसलों के साथ सब कयास असफल हो जाते है।
चर्चा ये भी हो रही है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में आदिवासी वर्ग से सीएम बनाने के बाद ओबीसी वर्ग के बड़े चेहरे को ही प्रदेश अध्यक्ष बनायेगा, जिसमें सांसद विजय बघेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और चुन्नी लाल साहू के नाम की चर्चा होने लगी है। भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा चर्चा विजय बघेल के नाम की हो रही हैं। क्योंकि विजय बघेल ओबीसी वर्ग में बड़ा चेहरा हैं। विजय बघेल कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद दुर्ग से सांसद बन चुके है।
लोकसभा चुनाव के पहले नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति :
भाजपा में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के पहले ही शीर्ष नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकता है। जनवरी में ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की संभावना जताई जा रही है। साथ ही यह भी चर्चा है कि शीर्ष लोकसभा चुनाव के बाद भी यह निर्णय ले सकता है। हालांकि दोनों ही निर्णय शीर्ष नेतृत्व पर टिका हुआ है। स्थानीय तौर पर अब किसी भी निर्णय में किसी भी कद्दावर नेता की बात चलना मुश्किल है।
नए महामंत्रियों की भी होगी नियुक्ति :
नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद शीर्ष नेतृत्व नए महामंत्रियों की भी नियुक्ति करेगा। क्योंकि तीनों महामंत्री विजय शर्मा, ओपी चौधरी और केदार कश्यप चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं। इसमें से विजय शर्मा उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा चुके हैं।ऐसे में भाजपा की परंपरा रही है कि जो भी पदाधिकारी सत्ता में पहुंचते हैं, उन्हें संगठन में पद पर नहीं रखा जाता है। इसलिए तीन नए महामंत्री भी नियुक्ति की जाएगी। जानकारी के अनुसार महामंत्री के लिए प्रदेश भाजपा मंत्रियों के अलावा अन्य पदाधिकारी भी अभी से फील्डिंग शुरू कर दी है। वर्तमान में भाजपा में आठ प्रदेश मंत्री हैं। अब चूँकि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता आ चुकी है वहीँ अब इस मुद्दे पर निर्णय लेना भी जरुरी हो गया है, अब देखने योग्य बात ये है की आगे किसे ये कमान सौंपी जाती है?