ना फायर सेफ्टी, ना योग्य डॉक्टर, ना लाइसेंस, दिल्ली के बेबी केयर सेंटर अग्निकांड में फर्जी संचालन के बीच शॉर्ट सर्किट….।

दिल्ली : दिल्ली के विवेक विहार इलाके के न्यू बोर्न बेबी केयर अस्पताल में 25 मई की रात दर्दनाक हादसे में 7 नवजात बच्चों की मौत हो गई। भीषण आग में झुलकर मरने वाले सात नवजात शिशुओं की मौत ने दिल्ली वालों को हिलाकर रख दिया है। दिल्ली में बेबी केयर यूनिट में आग लगने की घटना में बड़ी लापरवाही सामने आई है। सुरक्षा से लेकर व्यवस्थाओं तक पर सवाल उठ रहे हैं।

दिल्ली पुलिस के मुताबिक बेबी केयर सेंटर में आग बुझाने के इंतजाम ही नहीं थे। अंदर आने और बाहर जाने का भी सही इंतजाम नहीं था। इतना ही नहीं, कोई इमरजेंसी एग्जिट नहीं था घटना के वक्त बेबी केयर यूनिट में BAMS डॉक्टर्स की ड्यूटी लगी थी, जो बच्चों की केयर करने के लिए क्वालिफाइड नहीं थे। दिल्ली सरकार ने बेबी केयर सेंटर को जो लाइसेंस जारी किया था, वो 31 मार्च 2024 को एक्सपायर हो गया था। लाइसेंस एक्सपायर होने के बाद सिर्फ 5 बेड की अनुमति थी, लेकिन घटना के वक्त 12 बच्चे भर्ती थे।

जांच में सामने आया कि बेबी केयर न्यू बॉर्न चाइल्ड हॉस्पिटल की चार ब्रांच हैं, जिसमें दिल्ली में विवेक विहार, पंजाबी बाग और फरीदाबाद, गुरुग्राम का नाम शामिल है। बेबी केयर सेंटर के मालिक नवीन खिंची ने Pediatric Medicine में एमडी किया है और पश्चिम विहार में रहता है। उसकी पत्नी जागृति डेंटिस्ट हैं। दोनो इस अस्पताल को संचालित करते हैं। अब तक की जांच में पता चला है कि आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट है। पुलिस ने डॉक्टर आकाश और डॉक्टर नवीन को अरेस्ट किया है आकाश ने बीएएमएस किया है। एफआईआर में आईपीसी 304 और 308 की धारा जोड़ दी गई है।

31 मार्च को नर्सिंग होम की परमिशन खत्म हो गई थी :

दिल्ली पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि 31 मार्च को नर्सिंग होम की परमिशन खत्म हो गई थी। दिल्ली सरकार का हेल्थ डिपार्टमेंट ये परमिशन देता है। यानी अवैध तरीके से नर्सिंग होम चलाया जा रहा था। नर्सिंग होम को 5 बेड की परमिशन थी लेकिन 25-30 बच्चे रखे जा रहे थे। हादसे के वक्त 12 बच्चों को रेस्क्यू किया गया। 5 बेड के हिसाब से ही ऑक्सीजन सिलेंडर होने चाहिए थे लेकिन हादसे के बाद नर्सिंग होम में 32 ऑक्सीजन सिलेंडर पाए गए। नर्सिंग होम को फायर की NOC भी नहीं थी।

मौके पर क्या कमियां पाई गईं…

  1. दिल्ली सरकार के DGHS ने बेबी केयर न्यू बोर्न चाइल्ड हॉस्पिटल को लाइसेंस जारी किया था. इसकी समयसीमा 31 मार्च 2024 को समाप्त हो चुकी थी। यानी लाइसेंस खत्म हो गया था लेकिन फर्जी तरीके से बेबी केयर सेंटर चलाया जा रहा था।
  2. यहां तक कि समाप्त हो चुके लाइसेंस के अनुसार, सिर्फ 5 बेड की अनुमति थी, लेकिन घटना के समय अस्पताल में 12 नवजात बच्चे भर्ती थे। इन बच्चों को रेस्क्यू किया गया. नर्सिंग होम में 20-25 बेड रखे जा रहे थे।
  3. नवजात शिशु देखभाल में भी लापरवाही बरती जा रही थी।नवजात शिशु का इलाज करने के लिए जिन बीएएमएस डिग्री धारक डॉक्टर्स की ड्यूटी लगी थी, वे योग्य/सक्षम नहीं थे।
  4. आग लगने की स्थिति में आपातकालीन स्थिति के लिए अस्पताल में कोई अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए थे।
  5. फायर की NOC नहीं थी। यहां तक कि एंट्री और एग्जिट गेट भी बेहद संकरा था। किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास नहीं था। 
  6. 5 बेड के अस्पताल के लिए ज्यादा से ज्यादा 10 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत हो सकती है, लेकिन मौके से 32 ऑक्सीजन सिलेंडर बरामद हुए। हादसे के वक्त इन्हीं इन्हीं सिलेंडरों के फटने से आग ज्यादा फैली।
  7.  मासूम बच्चों का जहां इलाज हो रहा था उसी बिल्डिंग में अवैध तरीके ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफलिंग का काम किया जा रहा था। यानी सीधे-सीधे हादसे को न्योता दिया जा रहा था।
  8. बच्चों के इलाज के लिए BAMS डॉक्टर को तैनात किया गया था।जबकि वो इसके लिए एक्सपर्ट नहीं होते हैं।