रायपुर : हमारी मीडिया का प्रयास रहता है कि हम भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करते है और हमारी लिखावट में ज्यादा से ज्यादा शुद्ध हिंदी शब्दों का प्रयोग करने का प्रयास करते है जो कि आसन नहीं होता, फिर भी हमारे इस प्रयास से हर भारतीय नागरिक को प्रेरणा लेकर खुद को मुगलिय भाषा और अंग्रेजी भाषा से बचने का प्रयास करना चाहिये। आम भाषा में गौसेवक ने अपने बर्थडे पर गायों को दावत अथवा पार्टी दी। यह लाईन होनी चाहिये। चलिये आगे बढ़ते है। गाय को माता क्यूँ कहते है, इसका प्रमुख उत्तर है कि जहाँ माँ का दूध नवजात को नहीं पचता है, तब चिकित्सक द्वारा नवजात को गौमाता का सुपाच्य दूध पिलाने की सलाह दी जाती है, इसलिये गाय को हिन्दू धर्म में माँ का स्थान दिया जाता है, वर्तमान में जिसकी दुर्दशा जगजाहिर है।
ऐसे में कुछ लोग अन्य सभी लोगों के सामने बड़ा ही बेहतरीन और अच्छा उदाहरण भी प्रस्तुत कर देते है, जो समाज के लिये बेहतर मार्गदर्शक बन जाता है। आज जाने – अन्जाने में हम सरल जीवनशैली, डिस्पोजल पैकिंग सामान के कारण प्रकृति को नष्ट कर रहे है, जिसके शिकार भूखे पशु हो रहे है, खासकर गौमाता इससे ज्यादा प्रभावित है, इसलिये अन्जाने में हम इस पाप के भागी भी बन रहे है, हम खुद को कितना भी निर्दोष कह लें, लेकिन भुगतान तो करना पड़ेगा, जैसे हम कमिशन लेने के अधिकारी होते है, वैसे ही हम पाप के भागी बनने अधिकारी भी होते है। ऐसे ही गौमाता के बारे में सोचने वाले लोग विरले ही होते है।
अब आते है मुख्य संचार पर जहाँ छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में गौ सेवक ने अपने जन्मदिन पर गायों के लिये प्रीतिभोज का आयोजन किया। जानकारी में सामने आया है कि मनोहर गौशाला में 2000 किलो फल-सब्जियों को रंगोली की तरह सजाया गया था। इसमें 9 घंटे का समय लगा। इसके बाद गायों को विशेष फल और सलाद का अनोखा भोजन दिया गया। इसका वीडियो भी सामने आया है।
माँ काली का धूम मचाने वाला बेहतरीन गीत : https://www.youtube.com/watch?v=ts6cT1FTauM
युवा व्यापारी चमन डाकलिया ने इस प्रशंसनीय कार्य को किया है, इन्होने अपने जन्मदिवस पर गौ सेवा करने का सन्देश दिया है। वह गायों के लिए पिकअप-ट्रक में फल और सब्जी लादकर ले आये और फिर इन्हें रंगोली की तरह सजाया। लगभग 200 गायों ने इसे खाया। इसमें लगभग एक लाख रुपए का खर्चा हुआ।
100 रोटियों से की थी गायों को दावत देने की शुरुआत :
व्यापारी चमन ने बताया कि, वह पिछले 9 साल से ऐसा कर रहा है। उसने 100 रोटियों से इसकी शुरुआत की थी। फिर कभी गुड़ की रोटी, कभी लापसी, ड्राई फ्रूट्स आदि की दावत गायों को दी। चमन ने बताया कि, वह मनोहर गौशाला की शुरुआत करने वाला पदम डाकलिया उसके प्रेरणादायक व्यक्ति हैं।
यहां स्थित है कामधेनु मंदिर :
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खैरागढ़ में एक अनोखा कामधेनु मंदिर है, जहां पर एक गाय है जिसका नाम है सौम्या। सौम्या का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। क्योंकि इस गाय की पूंछ 54 इंच लंबी है। दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। गौ शाला संचालक पदम डाकलिया ने बताया कि, शास्त्रों में समुद्र मंथन का जिक्र है। मंथन के दौरान जो गाय निकली थी वह कामधेनु ही थी। सौम्या गाय के शरीर पर देवी-देवताओं के कुछ प्रतीक चिन्ह हैं इसी वजह से लोग इसे कामधेनु गाय मानते हैं। इनके पास लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर भी आते हैं। पदम इस गौ शाला में गोबर और गौमूत्र के मेडिसिन वैल्यू पर रिसर्च कर प्रोडक्ट भी तैयार कर रहे हैं। इस प्रकार के आयोजन से यह लोगों के लिये प्रेरणा का जरिया बन रहे है, दिखावे के आयोजन से बचकर हमें भी इस प्रकृति के दायित्व को समझना चाहिये।