रायपुर : केंद्र चुनाव, राज्य चुनाव और उपचुनाव अब समाप्त हो चुके है, अब इसके बाद जनता को अपना नया महापौर और पार्षद भी चुनना है। प्रदेश के नगर निगम और नगर पालिकाओं में महापौर और अध्यक्षों का चुनाव अब वापस पुराने नियम से सीधा होगा। शासन ने इसके लिए अध्यादेश भी तैयार कर लिया है। जानकार सूत्र बताते हैं कि अगली कैबिनेट बैठक में अध्यादेश को मंजूरी दी जाएगी। बताया जाता है छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने भी अपनी सर्वे रिपोर्ट शासन को सौंप दिया है। इसका भी शासन ने अध्यादेश तैयार कर लिया है। दोनों प्रस्ताव को एक साथ अगली कैबिनेट बैठक में मंजूर किया जाएगा। इसके बाद राजपत्र में इसका प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद ही निकायों में महापौर – अध्यक्ष और पार्षदों के लिए लॉटरी से आरक्षण किया जायेगा।
चुनाव को लेकर मिली जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने निकाय चुनाव में महापौर -अध्यक्षों और पार्षदों के आरक्षण की 25 सीलिंग को भी हटाने की अनुशंसा की गई है। इससे कहीं ओबीसी की सीटें बढ़ेंगी तो कहीं पर घटेगी भी, वहीँ नये लोगों के चुनाव लड़ने का रास्ता भी खुल जायेगा। नगर निगम रायपुर में ओबीसी की सीटें भी बढ़ सकती है। वहीं जहां एससी-एसटी की का प्रतिशत कम हैं, वहां ओबीसी की सीटें बढ़ सकती है। शासन ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार ही 50 प्रतिशत से अधिक नहीं करने का नियम तैयार किया है। इस पर अगली कैबिनेट में मुहर लगना बाकी है।
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चर्चा है कि निकाय चुनाव के लिए 15 दिसंबर के बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है। क्योंकि मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा 11 दिसंबर को किया जायेगा। इसके पहले सभी निकायों को मतदाता सूची में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके युवाओं के नाम जोड़ने के निर्देश दिए गये हैं, कई युवा भी इस चुनाव में अपना वोट दे पायेंगे। साथ ही मतदाता सूची की शुद्धता भी करने को कहा, ताकि बाद में मतदाता सूची को लेकर किसी प्रकार की आपत्ति न आए। वहीँ राजधानी रायपुर की आबादी लगभग 25 लाख पार है तो मतदाताओं की संख्या 18 लाख पार कर चुकी है।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि निकाय चुनाव को लेकर शासनस्तर पर तैयारी चल रही है। राज्य निर्वाचन आयोग भी मतदाता सूची सहित अन्य तैयारी में जुटा हुआ है। राज्य निर्वाचन आयोग ने अब निकाय चुनावों की तैयारियां भी शुरू कर दी है।