400 करोड़ से ज्यादा के उपकरण खरीदी घोटाले में मोक्षित कार्पोरेशन का डायरेक्टर शशांक गिरफ्तार।

रायपुर : छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) में 400 करोड़ रूपये से ज्यादा के रिएजेंट व उपकरण खरीदी घोटाले के मामले में मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम ने यह कार्यवाही की है। आरोपी को बुधवार को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया है। जहां से एसीबी ने उसे सात दिन की रिमांड पर लिया है। पूछताछ के बाद घोटाले में संलिप्त अधिकारियों सहित अन्य की गिरफ्तारी हो सकती है।  बुधवार को उसे विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी की अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए 7 दिन की रिमांड पर लिया गया है। इसकी अवधि पूरी होने पर 4 फरवरी को कोर्ट में पेश किया जायेगा।

स्वास्थ्य विभाग के आधिकारियों से भी पूछताछ :

Prakash-Bajaj
  • सूत्रों का कहना है कि जांच टीम सीजीएमएससी और स्वास्थ्य विभाग के आधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है।
  • शशांक चोपड़ा को दो दिनों से ईओडब्ल्यू कार्यालय बुलाकर पूछताछ की जा रही थी।
  • ईओडब्ल्यू को मिले दस्तावेजों के अनुसार दुर्ग की कंपनी मोक्षित कार्पेारेशन दवा, मेडिकल उपकरण निर्माता व सप्लायर एजेंसी है।
  • सीजीएमएससी को यह एजेंसी 2015 से उपकरण सप्लाई कर रही है।
  • ईओडब्ल्यू की टीम ने सोमवार को मोक्षित कारपोरेशन के रायपुर और दुर्ग स्थित फैक्ट्री व घरों में एक साथ छापा मारा था।
  • इसके अलावा हरियाणा के पंचकुला में आठ टीमों ने छापा मारा था।
  • शशांक के भाई के घर और दफ्तरों में छापा मारकर दस्तावेज जब्त किए गए थे।
  • दस्तावेजों की जांच और पूछताछ के बाद शशांक को गिरफ्तार किया गया है।
  • जांच एजेंसी ने दुर्ग की जीबी कार्पोरेशन, पंचकुला की रिकार्डर्स एवं मेडिकेयर सिस्टम और धरसींवा रायपुर की श्री शारदा इंडस्ट्रीज पर भी अपराध दर्ज किया है।

विधानसभा में उठ चुका था मामला :

मोक्षित कार्पोरेशन की रिएजेंट और मशीन आपूर्ति कराने में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में भी उठा था। कंपनी के खिलाफ पांच वर्षों में 660 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी करने के आरोप हैं। आरोप है कि कंपनी ने मार्केट दर से सौ गुना ज्यादा में उपलब्ध कराने का काम किया है। जिन स्वास्थ्य केंद्रों में रिएजेंट संरक्षित कर रखने की जगह नहीं थी, वहां भी सप्लाई कर दी गई। इसके चलते 20 करोड़ के रिएजेंट खराब हो गए।ट और मशीन आपूर्ति कराने में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में भी उठा था। कंपनी के खिलाफ पांच वर्षों में 660 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी करने के आरोप हैं। आरोप है कि कंपनी ने मार्केट दर से सौ गुना ज्यादा में उपलब्ध कराने का काम किया है। जिन स्वास्थ्य केंद्रों में रिएजेंट संरक्षित कर रखने की जगह नहीं थी, वहां भी सप्लाई कर दी गई। इसके चलते 20 करोड़ के रिएजेंट खराब हो गए।

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इस घोटाले में सामने आया है कि अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर बाजार मूल्य से अधिक पर इसकी आपूर्ति की गई। इसके संबंध में पूछताछ कर डिजिटल सबूतों की बरामदगी की जानी है। साथ ही घोटाले में शामिल सिंडिकेट का साजिश को उजागर करना है। अधिकारियों के साथ मिलकर रची गई साजिश के चलते राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इस खेल में शशांक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लोक अभियोजक के अनुसार शशांक चोपड़ा से सीजीएमएससी, डीएचएस के अधिकारियों एवं उनकी सहयोगी फर्म्स के संबंध में लंबी पूछताछ की गई है।