रायपुर : निकाय चुनावों में संपत्ति कर पर छूट के लिये घोषणापत्र जारी किया गया था, वहीँ अब निकायों में संपत्तिकर सहित अन्य करों की प्राप्ति को लेकर शासन स्तर पर समीक्षा की जा रही है। किस निकाय को कितना राजस्व मिलता है। इसे किस-किस मद में खर्च किया जाता है। वहीं, नगरीय प्रशासन विभाग ने अब निकायों से सीमा क्षेत्र में संचालित उद्योगों से मिलने राजस्व को लेकर निकायों से जानकारी मांगी गई है। बीते तीन महापौर के कार्यकाल में जनता के सर पर चार गुना संपत्ति कर का भार बढ़ा है, जिसमें यूजर चार्ज के नाम पर ही बेतहाशा वृद्धि हुई है।
कर में छूट के बाद कितना आर्थिक भार :
अब इसको लेकर निकायों को एक फॉर्मेट भेजा गया है। जिसके अनुसार उद्योगों से मिलने वाले कर और दी जाने वाली छूट का जिक्र करना है। ताकि विभाग यह पता लगा सकें कि उद्योगों को कर में छूट देने के बाद निकायों को कितना आर्थिक भार पड़ रहा है। बताया जाता है कि निकाय क्षेत्र में संचालित उद्योगों से अन्य कमर्शियल मकानों-दुकानों की तुलना में अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है।
ऐसे में यदि उद्योगों को कर में छूट देने पर कितना राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसकी रिपोर्ट मंगाई गई है। वहीँ इसके बाद निकायों को दी जाने वाली राशि में बढ़ोत्तरी कर सकें या फिर उद्योगों को कर में दी जा रही छूट को बंद कर पुराने कर के हिसाब से वसूली करने का आदेश जारी किया जा सकता है। अथवा ऐसा भी हो सकता है कि सर रिहायशी क्षेत्रों को ही छूट दी जाये अथवा व्यवसायिक कर में वृद्धि की जाये।
संपत्तिकर वसूली के टारगेट की भी मांगी है जानकारी :
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जानकारी के अनुसार, चूंकि नगरीय निकाय चुनाव संपन्न हो चुका है। इसलिए अब निकायों को कामकाज में गति लाने के साथ इस वित्तीय वर्ष में राजस्व वसूली पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है, ताकि पिछली साल की तुलना में इस वर्ष 20 से 25 प्रतिशत ज्यादा राजस्व की वसूली हो सकती है। नगरीय प्रशासन ने निकायों से इसकी भी जानकारी मांगी है कि किस-किस मद में कितनी राशि वसूलने का टारगेट गया है। पिछली बार कितनी राशि की वसूली हुई। जिसे किस-किस मद में खर्च किया गया है। वहीँ यदि छूट की बात मार्च के बाद आती है तो आम लोगों पर भार जारी रहेगा और उनकी उम्मीदें टूटेंगी और वर्तमान में कोई संपत्ति कर चुकता कर दे तो वह छूट से वंचित हो सकता है।