नई दिल्ली : जीएसटी के बाद सरकार को टैक्स का कलेक्शन बढ़ा है तो वहीं आम जनता के लिये महंगाई बढ़ी है, कई चीजों पर जीएसटी की दरों को लेकर बदलाव की मांग की जा रही ।है जीएसटी की दरें और स्लैब को लेकर समीक्षा का काम करीब-करीब अब पूरा हो चुका है और दरें और स्लैब की संख्या घटेंगी या बढ़ेंगी, जीएसटी परिषद इस पर जल्द ही फैसला लेगी। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को कही। सामने आई खबर के मुताबिक, सीतारमण की अध्यक्षता वाली और उनके राज्य समकक्षों वाली परिषद ने जीएसटी दरों में बदलाव के साथ-साथ स्लैब को कम करने का सुझाव देने के लिए मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) गठित किया है, जिसको लेकर समीक्षा की जायेगी। मौजूदा समय में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में चार स्लैब – 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की हैं। ऐसे में पैक किए गए खाद्य पदार्थ और जरूरी वस्तुएं सबसे कम 5 प्रतिशत स्लैब में आती हैं और लग्जरी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की सबसे ज्यादा जीएसटी ब्रैकेट में हैं।
मंत्रियों से दरों पर अधिक गहराई से विचार करने को कहा :
सामने आई खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी और परिषद में शामिल सभी मंत्रियों के प्रति निष्पक्ष होने के लिए, जीएसटी दरों को तर्कसंगत और सरल बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। वास्तव में, यह लगभग तीन साल पहले शुरू हुआ था। सीतारमण ने कहा कि बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया है और अब इसका काम लगभग पूरा हो चुका है। वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने परिषद में मंत्रियों से दरों पर अधिक गहराई से विचार करने को कहा है क्योंकि वे आम लोगों द्वारा उपभोग की जाने वाली रोजमर्रा की वस्तुओं से संबंधित हैं, मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अवसर न खोया जाए। आम उपभोक्ता इसका काफी नुकसान उठा रहा है?
देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत :
सीतारमण ने कहा कि मेरे लिए, यह भी महत्वपूर्ण था कि हम अवसर न खोएं, कि हम दरों की संख्या भी कम कर सकें, जो कि मूल इरादा भी है। इसलिए इस पर भी काम होना चाहिए, और मुझे उम्मीद है कि जीएसटी परिषद जल्द ही इस पर फैसला करेगी। केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करने के कुछ दिनों बाद, जो मध्यम वर्ग को महत्वपूर्ण आयकर राहत भी प्रदान करता है, मंत्री ने जोर देकर कहा कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और कोई संरचनात्मक मंदी नहीं है। सीतारमण ने कहा कि पुरानी टैक्स व्यवस्था को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वहीँ इसमें क्या बदलाव होगा इसके लिये इंतजार भी करना होगा।
पूंजीगत व्यय में कमी नहीं :
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पूंजीगत व्यय से संबंधित एक सवाल पर मंत्री ने आगे कहा कि पूंजीगत व्यय में कमी नहीं आई है, बल्कि यह बढ़कर 11. 21 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 4. 3 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए, बजट में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर 11. 21 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है, जो वित्त वर्ष 25 के संशोधित अनुमानों में 10. 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। वित्त वर्ष 24 में यह 10 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 23 में 7. 5 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 22 में 5. 54 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 21 में 4. 39 लाख करोड़ रुपये था। बजट में वित्त वर्ष 26 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4. 4 प्रतिशत आंका गया और वित्त वर्ष 25 के लक्ष्य को 10 आधार अंकों से घटाकर सकल घरेलू उत्पाद का 4. 8 प्रतिशत कर दिया गया है। अब जीएसटी परिषद इसकी समीक्षा करेगी, जिसके बाद इसमें बदलाव की सम्भावना है।