छत्तीसगढ़ी फिल्म में भाई-बहन बने हीरो-हीरोइन, सोशल मीडिया में नैतिकता के नाम पर बताया गलत।

रायपुर : भारतीय सिनेमा में कभी कोई हीरो हीरोइन भाई – बहन का रोल कर लेते थे, तो जीवन में कभी – भी रोमांटिक सीन नहीं करते थे, वो कभी – भी आपस में प्रेमी-प्रेमिका के रोल नहीं करते थे, वहीँ इस मिथक को जोश फिल्म में भाई-बहन बने शाहरुख़ और ऐश्वर्या ने मोहब्बतें में तोड़ा था, जिसको लेकर तत्कालीन लोगों ने भी आपत्ति दर्ज की थी। वहीँ अब देश के फिल्मी इतिहास में पहली बार भाई-बहन की जोड़ी हीरो-हीरोइन के रूप में देखने को मिलेगी। छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘मया बिना रहे नई जाय’ में करण और किरण चौहान ने हीरो-हीरोइन की भूमिका निभाई है। इसे लेकर एक तरफ जहां सोशल मीडिया में कंट्रोवर्सी चल रही है, तो वहीं छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के लोग दो धड़ों में बंट गए हैं। सोशल मीडिया में नैतिकता के हवाले से इसे गलत माना जा रहा है। निर्देशक प्रणव झा और प्रोड्यूसर मोहित साहू ने सार्वजनिक तौर पर आपत्ति जताई है, तो वहीं छत्तीसगढ़ सिने एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर एसोसिएशन (सीसीटीपीए)ने क्लीन चिट दी है।

क्या कहते हैं माता – पिता :

पिता बालकृष्ण चौहान और मां लच्छन बाई ने कहा, हमारे बच्चों ने अब तक 200 वीडियो एल्बम किए हैं। बच्चों के साथ ही हमारा भी सपना था कि उन्हें बड़े पर्दे पर देखें। इन्होंने जितने भी वीडियो एल्बम बनाए हैं सभी रोमांटिक ही हैं। उस वक्त तो किसी ने कुछ नहीं कहा, फिल्म में आने पर बेवजह की कंट्रोवर्सी बनाई जा रही है।

हर किसी की अपनी सोच :

करण और किरण बचपन से वीडियो एल्बम बना रहे हैं। अब तक इनके 200 से ज्यादा वीडियो एल्बम रिलीज हो चुके हैं, जिसे लगभग 1000 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं। इनकी बहुत इच्छा थी कि फिल्म करें। हमने इनके माता-पिता से चर्चा की और फिल्म बनाई। रही बात कंट्रोवर्सी की तो सबकी अपनी सोच होती है, हम किसी को कुछ नहीं बोल सकते। हमारा उद्देश्य नहीं है कि समाज में किसी प्रकार की कुरिति फैलाने की। हमने इंटरटेनमेंट के लिए फिल्म बनाई है। : संतोष कुर्रे, प्रोड्यूसर

अभिनय और वास्तविकता दोनों अलग मामले :

पर काया प्रवेश के कारण अभिनय को पंचम वेद माना गया है। पर्दे पर राम या रावण बना व्यक्ति निजी जीवन में क्या है, यह उसका निजी मामला है। हमें तो बस पर्दे वाली छवि तक ही खुद को सीमित रखना चाहिए। मदर इंडिया में सुनील दत्त की मां का रोल करने वाली नर्गिस वास्तविक जीवन में पति-पत्नी बने। फिल्म में जो दिखाया जाता है, उसकी तुलना वास्तविक जीवन के रिश्तों से जोडना सही नहीं है। : संतोष जैन, चेयरमैन सीसीटीपीए

समाज में जायेगा गलत सन्देश :

जो अदाकारी फिल्मों में निभाई जाती है, उन्हें निभाने के लिये वास्तविकता का पुट भी शामिल होता है, ऐसे में रोमांटिक सीन करते समय जो भावना भाई – बहन के बीच में उभरेगी वो कैसी मानसिकता बनायेगी? धर्म शास्त्रों में माता और बहन से एकांतवास में दूरी की बात का वर्णन है, इस तरह से समाज में गलत सन्देश जायेगा, वैसी ही राजस्थान के नागौर में सगे भाई द्वारा बहन के बलात्कार की घटना सामने आ चुकी है और ऐसे ही एक मामले में सगे भाई – बहन ने आपस में विवाह भी किया है, मामला 5 मार्च 2024 को उ.प्र. के महाराजगंज का है। : ओमेश बिसेन (गौसेवक)