मुंबई (महाराष्ट्र) : राजस्थान के चर्चित कन्हैया लाल टेलर मर्डर केस पर बनी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग जोर पकड़ रही है। ये फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली है और कई संगठन इसकी रिलीज के खिलाफ हैं। पिछले दिनों जमीयत उलेमा ए हिंद और जमात ए इस्लामी ने फिल्म पर पाबंदी की मांग उठाई थी और अब समाजवादी पार्टी ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की है। महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य अबू आजमी ने विधानसभा में ‘उदयपुर फाइल्स’ का मुद्दा उठाया और तत्काल फिल्म पर रोक लगाए जाने की मांग की है। जब ऐसी कोई फिल्म सामने आती है जिसमें देश विरोधी कृत्य अथवा आतंकवाद या लव जिहाद जैसे मुद्दे हों उन पर मुस्लिम समुदाय के लोगो द्वारा आपत्तियां दर्ज करवाई जाती है, ये कोई नई बात नहीं है।
विजय राज इन दिनों अपनी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म में विजय राज के साथ रजनीश दुग्गल, प्रीति झंगियानी, कमलेश सावंत और मुश्ताक खान जैसे कलाकार भी नजर आएंगे। पिछले दिनों ही इस फिल्म का ट्रेलर जारी किया गया था, जिसके सामने आते ही इसे बैन करने की मांग उठने लगी है। जमीयत उलेमा ए हिंद और जमाअत ए इस्लामी से लेकर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी तक ‘उदयपुर फाइल्स’ को रिलीज न किए जाने की मांग कर चुके हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर, इस फिल्म में ऐसा क्या है जो इसे बैन करने की डिमांड हो रही है। तो चलिए जानते हैं कि ‘उदयपुर फाइल्स’ की कहानी क्या है और इस पर क्यों इतना विवाद मचा हुआ है।
उदयपुर फाइल्स की कहानी :
विजय राज स्टारर ‘उदयपुर फाइल्स’ कन्हैयालाल साहू हत्याकांड के इर्द-गिर्द घूमती है। 28 जून 2022 को गोस मोहम्मद और रियाज अत्तारी नाम के दो लोग उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की दुकान में कपड़े सिलवाने का कहकर दाखिल हुए। इसी दौरान जब कन्हैयालाल ने एक शख्स का नाम लेने की कोशिश की, दूसरे ने धारदार हथियार से उन पर हमला कर दिया। इस दौरान कन्हैयालाल चिल्लाते रहे और हमलावरों से कहते रहे कि ऐसा मत करो-ऐसा मत करो, लेकिन तभी दूसरे ने उनके ऊपर चढ़कर उन पर हमला कर दिया। इसके बाद हमलावर कन्हैयालाल को घसीटते हुए दुकान से बाहर लेकर आए और बेरहमी से उनका गला चाकू से रेत दिया। जिससे कन्हैया की मौत हो गई और उसके बाद आरोपियों ने इसका विडियो भी बनाया कर सोशल मीडिया पर जारी कर दिया।
दो ही दिन में दबोचे गए आरोपी :
दोनों हमलावरों ने मिलकर कन्हैयालाल की धारदार हथियार से नृशंस हत्या कर दी थी और उसके बाद मौके से फरार हो गए। यही नहीं, दोनों ने इसका वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिया, जिसके बाद पूरे देश में हलचल मच गई। कन्हैयालाल की हत्या के 2 दिनों के भीतर ही पुलिस ने दोनों आरोपियों को दबोच लिया। हालांकि, मामले में आतंकी साजिश के संदेह के चलते केंद्रीय जांच एजेंसियों ने इसे अपने हाथ में ले लिया, लेकिन इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले आरोपियों को अब तक सजा नहीं मिल सकी है, उन्हें हाल ही में रिहा कर दिया गया है।
क्यों मचा है बवाल?
दरअसल, इस फिल्म को लेकर कुछ मुस्लिम समुदाय का मानना है कि इस फिल्म के जरिए नफरत फैलाने का प्रयास किया जा रहा है और इससे लॉ एंड ऑर्डर का मुद्दा खड़ा हो सकता है। इसी दावे के साथ फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग की जा रही है, जो 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज रोकने के लिए याचिका दायर की थी। जिसमें फिल्म पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और आपत्तिजनक सीन दिखाने जैसे आरोप लगाए गए थे। यही नहीं, उन्होंने सोशल मीडिया से भी इस फिल्म के ट्रेलर को हटाए जाने की मांग भी की थी। वहीँ अब इसकी रिलीज 11 जुलाई को तय हो गई है।



