बालोद। छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक 17 साल के युवक की मौत हो गई थी। डाक्टरों ने बिना जांच किए युवक को मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया था। इस मामले में अदालत ने दो डॉक्टर समेत प्रबंधन पर 34 लाख का जुर्माना लगाया है।
मीडिया रिपोट्स के अनुसार, जिला एवम सत्र न्यायाधीश संतोष शर्मा की जानकारी में आते ही स्वयं इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा को आहूत करते हुए निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान करने के लिए आहूत किया। मामले में अध्यक्ष संतोष शर्मा, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेशानुसार आवेदिका को पैनल अधिवक्ता के माध्यम से सभी जानकारी प्रदान करवायी जा रही थी।
8 साल पुराना मामला
आठ साल पुराने मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बालोद जिला में संचालित एक अस्पताल के दो डॉक्टर तथा प्रबंधन से जुड़े लोगों को गलत इलाज करने से युवक की मौत होने पर 19 लाख 12 वार्षिक ब्याज जिसे मिलाकर लगभग कुल रकम 34 लाख जिससे माता-पिता को मिलेगी आर्थिक सहायता। जुर्माने की राशि मृतक के माता-पिता को दी जाएगी। साथ ही अस्पताल प्रबंधन तथा डॉक्टरों को पांच हजार रुपए वाद व्यय देने का फैसला सुनाया है।
मामले की सुनवाई में राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष ने राजहरा स्थित शहीद हॉस्पिटल के डॉ. एस. जाना, डॉ. प्रताप प्रभाकर तथा अस्पताल के अध्यक्ष अथवा सचिव के खिलाफ जुर्माने की सजा सुनाई है। अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध दल्लीराजहरा निवासी पार्वती साहू तथा उसके पति अशोक साहू ने आयोग में परिवाद दायर की थी।
दोनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर आरोप लगाया था कि उनके 17 साल के बेटे सुजीत प्रसाद का उपचार कराने 16 अप्रैल 2011 को अस्पताल में भर्ती कराया। सुजीत को झटका आ रहा था। दोनों चिकित्सकों ने बगैर मलेरिया टेस्ट किए मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया। इसके कारण सुजीत को हरे रंग की उल्टियां हुई।
डॉक्टर ने ब्रेन ट्यूमर होने की भी कही थी बात
परिवादियों ने आयोग को बताया कि उनके बेटे की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन लोगों ने उसे सेक्टर-9 अस्पताल में ले जाने की बात कहा, तब डॉ जाना ने उसके बेटे को बांधकर ऑक्सीजन लगा दिया। तबियत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ने सुजीत को ब्रेन ट्यूमर होने की बात कहकर 15 दिन के अंदर मौत होने की बात कही।
इसके साथ ही जब वे अपने बेटे को सेक्टर-9 अस्पताल ले जा रहे थे तब डॉक्टर ने जाने दिया। इस वजह से कुछ दूर जाने के बाद उसकी मौत हो गई। आयोग ने मृतक के माता-पिता को वात्सल्य सुख के लिए 10 तथा दुख के लिए 5 और मानसिक पीड़ा के लिए 4 लाख एवम 12 वार्षिक ब्याज की दर से अर्थिक सहायता देने का फैसला सुनाया है।