लखनऊ (उ.प्र.) : किसी ना किसी तरीके से देश के विभिन्न क्षेत्रों में दंगे की साजिश रचने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। ऐसे ही बरेली में उपद्रवियों द्वारा शहर को जलाने की साजिश को पुलिस ने विफल कर दिया गया है। मौलाना तौकीर रजा ने सात दिनों तक लगातार भीड़ जुटाने, उन्हें भड़काने और पेट्रोल बम व हथियारों से लैस करने की योजना बनाई थी। उसका उद्देश्य 2010 के दंगों की तरह इस बार भी बरेली को हिंसा की आग में झोंकना था। लेकिन पुलिस की समय रहते की गई कार्रवाई ने पूरे शहर को बड़ी तबाही से बचा लिया गया है।
मामले में खुलासा हुआ है कि प्रदर्शन के नाम पर बाहर से भीड़ जुटाई गई थी। उनके हाथों में चाकू, लाठी-डंडे, पत्थर और पेट्रोल बम थे। पुलिस ने घटनास्थल से ये हथियार बरामद कर लिया और उपद्रवियों को काबू में किया। इस पूरे उपद्रव का मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर निकला है, जिसने पहले भी भड़काऊ भाषण दिए थे। उपद्रव के बाद वह सोशल मीडिया पर लगातार प्रशासन को चुनौती देता रहा, जो जगजाहिर है। लेकिन आखिरकार उसकी लोकेशन फाईक इन्क्लेव में मिलने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
फाईक इन्क्लेव पर उठे सवाल :
इस पूरे घटनाक्रम के बाद फाईक इन्क्लेव एक बार फिर चर्चा में आ गया। यही क्षेत्र पहले प्रयागराज में अधिवक्ता उमेश पाल हत्याकांड से भी जुड़ा हुआ था। यहाँ माफिया अतीक अहमद का भाई अशरफ और उसका साला सद्दाम यहां शरण लिए हुए थे। अब मौलाना तौकीर का भी इस क्षेत्र से जुड़ना पुलिस जांच को और गंभीर बना रहा है। इस जगह को साजिशें रचने के नाम पर देखा जा रहा है।
वहीँ पुलिस की जांच में सामने आया है कि फाईक इन्क्लेव में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर आलीशान कोठियां और भवन बनाए गए। यहां स्मैक तस्करों ने भी शरण ली और अवैध गतिविधियां चलाईं है। हाल ही में दो स्मैक तस्करों को गिरफ्तार किया गया था जिनकी संपत्तियां इसी क्षेत्र में थीं। यह क्षेत्र ऐसे ही लोगों से भरा हुआ है।
बुलडोजर की कार्यवाही तैयारी :
पुलिस और प्रशासन ने अब फाईक इन्क्लेव और उससे जुड़ी अवैध संपत्तियों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। रविवार को पीलीभीत रोड स्थित फाहम लान, फ्लोरा गार्डन और स्काईलार्क होटल को सील कर दिया गया है। इस मामले में अधिकारियों ने साफ कहा है कि नक्शे के विपरीत बने भवन, सरकारी भूमि और सीलिंग की जमीन पर बने मकानों पर कठोरतम कार्यवाही की जायेगी। इसके साथ ही फाईक इन्क्लेव कॉलोनी के अध्यक्ष मो. नासिर का कहना है कि 30 साल पहले यह कॉलोनी बसाई गई थी। इसमें करीब 250 बीघा भूमि शामिल है। नासिर का कहना है कि उन्हें अवैध निर्माण की पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन यदि कोई संपत्ति सरकारी भूमि पर बनी है तो प्रशासन कार्यवाही करे, उसमें कोई दिक्कत नहीं है।



