पणजी (गोआ) : भारत भूमि पर विदेशी आक्रान्ताओं का आगमन हुआ था, जिसके बाद से लगातार भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुँचाया गया, सिर्फ मुगलों ने ही नहीं बल्कि अंग्रेजो , पुर्तगालियों और अन्य लोगों ने भी भारतीय संस्कृति को मिटाने की पूरी कोशिश की। धीरे-धीरे इतिहास की कई परतें खुलने लगी है, जो कि उस समय के बचे हुये अवशेषों के आधार पर मान्य है, लेकिन वर्तमान में इन सभी पर विवाद भी उत्पन्न हो रहे है, लगभग 800 साल पहले भारतीय संस्कृति में सिवाय मंदिरों के कोई भी धार्मिक स्थल नहीं था, धीरे – धीरे , मस्जिद, चर्च, मकबरों ने स्थान बनाना शुरू कर दिया।
ऐसा ही एक ऐतिहासिक मंदिर है जो गोआ में है, जिसके बारे में हम आपको यहाँ बताने जा रहे है, पणजी (गोव दक्षिण गोवा के कांसौलिम गांव के मांडवी नदी के किनारे एक ‘शापित’ चर्च के नाम से प्रसिद्द हैं। यहां करीब 525 साल पुराने टूटे स्तंभ का ढांचा मंदिर होने की गवाही देता है। वर्ष 1498 में वास्को डी गामा के आने के बाद गोवा में पुर्तगालियों का दबदबा रहा है, जिनकी संस्कृति के प्रभाव ने भारतीय संस्कृति में बदलाव शुरू किया। इनसे पहले यहां पर विजयनगर साम्राज्य, बहमनी सल्तनत और कदंब वंश थे। गोवा की इतिहासकार अमरीन शेख बताती हैं कि विजयनगर सम्म्राज्य ने किस भगवान का मंदिर अभी तक स्पष्ट नहीं है?
अमरीन से जब इस मामले में पूछा गया कि यहां पर किस देवी या देवता का मंदिर था तो इस पर वो कहती हैं कि इस बात का स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है। आसपास के लोगों के अनुसार यहाँ देवी का मंदिर हुआ करता था। स्थानीय लोग कहते हैं कि यह मंदिर टूटने का ही श्राप है कि चर्च बनने के बाद यह शापित हो गया है। इसे ‘हॉन्टेड चर्च’ कहते हैं। कांसीलिम गांव एक नदी के किनारे बसा है। इसे मांडवी नदी कहते हैं। अमरीन कहती हैं कि ये गोवा की गंगा है। जिसके किनारे कभी मंदिर था और आज चर्च है।
कई हिन्दू मंदिरों को तोड़कर बनाये गये चर्च :
गोआ क्षेत्र में कई मंदिर बनाए गये थे, जिन्हें पुर्तगालियों ने तोड़कर वहाँ चर्च बनवाए, जिसमें से एक है – यह थ्री किंग चर्च है। यह 1599 में बनाया गया था। इतिहासकार अमरीन शेख कहती हैं, हमारे दादा-दादी इस मंदिर के बारे में बताया करते थे। आसपास के लोग भी इसकी कहानी कहते हैं। चर्च की सीढ़ियों के पास ही मंदिर के टूटे स्तंभ मौजूद हैं। ये इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यहां पर कभी मंदिर हुआ करता था जिसे तोड़कर चर्च बनाया गया था।
वर्तमान में बताया जाता है कि गोवा में स्थित थ्री किंग्स चर्च को पूरे गोवा में सबसे भयानक स्थानों में से एक माना जाता है। चर्च कैंसौलीम क्षेत्र में हरियाली के बीच स्थित है, बताया जाता है, कि सूरज ढलने के बाद यहां आत्माओं का वास होता है। जिसे अमरिन शेख ने शापित बताया है। इसको लेकर यहाँ वर्तमान में एक अलग ही कहानी कही जाती है, जिसके अनुसार बताया जाता है कि,लम्बे समय पहले, इस जगह तीन राजाओं का शासन था, जिस करण इन तीनों में बेहद झगड़े हुआ करते थे…कि कैसे इस पूरे राज्य को हथिया लिया जाये ।
एक दिन होल्गर अलवंगर ने सोचा कि,ये लड़ाई झगड़ा बहुत हुआ, अब और दो राजाओं से संधि कर इस राज्य में ख़ुशी से रहा जाये, इसलिए उसने दोनों अन्य राजाओं को इस चर्च में खाने पर आमंत्रित किया। हालांकि यह होल्गर अलवंगर की एक सोची समझी साजिश थी, क्योंकि वह उन्हें युद्ध के मैदान में हराने में नाकाम रहा, इसलिए उसने उन्हें खाने पर जहरयुक्त खाना परोसकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इस हरकत की खबर राज्यवासियों को लग गयी और सभी राज्यवासियों ने चर्च का घेराव कर लिया। ऐसे में लोगो से अपनी जान बचाने के लिए होल्गर अलवंगर ने भी वहीं जहर पीकर अपने प्राण त्याग दिए। जिसके बाद तीनों के मृत शरीर को चर्च के पास ही दफना दिया गया। लोगो की, माने तो आज भी इन तीनों के होने का एहसास लोगो को होता है।



