स्वास्थ्य : घर में बच्चे का बर्थडे मनाने का मौका आया तो मम्मी-पापा उसके लिए केक काटते हैं या फिर बच्चे और उसके दोस्तों में चॉकलेट-टॉफी-चिप्स बांटकर बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि ये चॉकलेट, टॉफी, केक, आइसक्रीम और जरूरत से ज्यादा चिप्स-नमकीन कहीं भविष्य में बच्चे को डायबिटीज या हायपरटेंशन का मरीज तो नहीं बना देंगे।
जी हां, बच्चे के शुगर और सॉल्ट के इनटेक पर बचपन से ही ध्यान देना जरूरी है। आजकल कंपनियां बच्चों को फोकस करके पैक्ड फूड बेच रही हैं जिनको लुभावने विज्ञापनों के जरिए उनके दिलो-दिमाग में बैठाया जाता है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर बच्चों के एक हेल्थ ड्रिंक को लेकर एक बड़ा विवाद भी खड़ा हुआ। सोशल मीडिया पर एक इन्फ्लुएंसर ने इस ड्रिंक में शुगर की ज्यादा मात्रा होने और इसे बच्चों को न देने की सलाह दी। लीगल नोटिस मिलने के बाद इन्फ्लुएंसर को वीडियो हटाना पड़ा।
हालांकि अब ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने प्रति 100 ग्राम बॉर्नविटा में 37.4 ग्राम चीनी होने को लेकर नोटिस दिया है।
दरअसल, इतनी चीनी बच्चों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक है।
एक साल तक के बच्चे को नहीं देना चाहिए नमक या चीनी
दिल्ली एम्स में पीडियाट्रिशन डॉ. अंतरिक्ष कुमार कहते हैं कि एक साल तक बच्चों को नमक और चीनी नहीं दी जानी चाहिए। बच्चों की आंतें बेहद कोमल रहती हैं और नमक-चीनी से उनको अपच या आंतों में तकलीफ होने की समस्या हो सकती है।
कभी-कभी 1 साल तक के बच्चे को ज्यादा नमक खिलाना जानलेवा हो सकता है। बच्चों को फल दिए जा सकते हैं, जिनसे उनके शरीर को पर्याप्त मात्रा में शुगर मिल जाती है।
इसलिए उसे आर्टिफिशियल शुगर वाली चीजें नहीं देनी चाहिए।
बड़े बुजुर्ग बच्चों को सफेद मक्खन खिलाने को कहते हैं। क्योंकि पैकेट वाले येलो बटर में सॉल्ट होता है और बच्चों के लिए यह नुकसानदायक है।
बच्चों को कम चीनी क्यों खानी चाहिए
एम्स दिल्ली में मेडिसिन विभाग के डॉ. रविकांत चतुर्वेदी बताते हैं कि चीनी की वजह से बच्चे की बॉडी में मौजूद प्रोटीन सही ढंग से पचता नहीं है। जिससे खून की नसों और स्किन के टिश्यूज का लचीलापन खत्म होने लगता है और बचपन से ही दांत गलने, हडि्डयां और आंखें कमजोर होने या मोटापे जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
बच्चों को चीनी से केवल एनर्जी मिलती है, पोषण नहीं
रांची स्थित मेडिका हॉस्पिटल में कार्यरत डायटीशियन डॉ. विजयश्री प्रसाद बताती हैं कि सफेद चीनी में ‘नेकेड कैलोरी’ होती है। इससे एनर्जी तो मिल जाती है लेकिन पोषण नहीं मिलता।
बच्चों के लिए इसका बेहतर विकल्प गुड़ या ब्राउन शुगर हो सकते हैं जिनमें एंटीऑक्सिडेंट गुण और पोषक तत्व होते हैं।
गुड़ में क्रोमियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज होते हैं। जबकि ब्राउन शुगर में क्लोरीन, आयरन, पोटैशियम और सोडियम होता है। लेकिन ये भी बच्चे को एक साल से पहले और जरूरत से ज्यादा नहीं दिए जाने चाहिए।
ज्यादा चीनी और नमक खाने से बच्चों की आंखों और पाचन पर असर : अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, 4 से 6 साल के बच्चों को एक दिन में 19 ग्राम से ज्यादा चीनी नहीं खानी चाहिए।
अगर बच्चा इससे ज्यादा चीनी या नमक खाता है तो उसकी आंखें खराब हो सकती हैं और किडनी पर भी असर पड़ता है।
इसके अलावा ज्यादा चीनी या नमक वाला फूड खाने से बच्चे को डाइजेशन और अस्थमा की समस्याएं होने लगती हैं।