छत्तीसगढ़ में जब बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता की अर्थी को दिया कांधा, मुखाग्नि भी दी.. नम आंखों से लोग बोले, बेटी हो तो ऐसी।

धमतरी। जब पिता का सहारा पुरे परिवार से उठ जाता है तो परिवार पूर्ण रूप से असहाय हो जाता है किंतु जब एक बेटी बेटे का फर्ज निभाता है तो एहसास होता है कि 21वीं सदी की महिलाएं अबला नहीं सबला है। सभी परिस्थितियों में आगे बढ़कर चाहे वह सुख का हो या दुख सभी में साथ चलकर परिवार समाज को आगे बढ़ाने के लिए अपना भरपूर सहयोग देती है।

इस भरोसे में खरा उतरते हुए ग्राम कुरमातराई के कोमल साहू के 50 वर्ष की आयु में हृदय घात से आकस्मिक निधन हो जाने पर उसकी सुपुत्री कु. इंद्रानी साहू के द्वारा बेटे का फर्ज निभाते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह पल भावविभोर रहा जब समस्त ग्रामीणों सगे संबंधियों के मध्य में आकर कुमारी इंद्रानी ने बेटे का फर्ज निभाया, सर्वप्रथम उन्होंने अपने पिता के अर्थी को कांधा दिया और फिर मुक्तिधाम में जाकर मुखाग्नि दी।

कहा जाता है कि परिवार में बेटे का फर्ज होता है कि अपने माता पिता को मरणोपरांत मुखाग्नि दे, किंतु यह पल निश्चित है जीवन में आत्मसात का पल रहा जहां एक बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी, सभी ग्रामीणों ने इस विषम परिस्थिति में कुमारी इंद्राणी के हौसले को सलाम करते हुए सब ने कहा कि बेटी हो तो कुमारी इंद्राणी जैसी जो बेटे का फर्ज निभाते हुए पूरे परिवार के लिए हौसला बनी। हमारी ऐसी बेटी को शत-शत प्रणाम।