रायपुर : क्या कारण है की भाजपा की पुरानी रणनिति काम नहीं आ रही है और लगातार वो जीते हुये राज्य हार रही है? इसी विचार को लेकर भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश को नया एक्शन प्लान सौंपा है। पार्टी को उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में इस एक्शन प्लान का बड़ा असर देखने को मिल सकता है। अब नई रणनीति के साथ भारतीय जनता पार्टी वोटर्स के बीच जाने वाली है। बड़े नेताओं को भी कई तरह के टारगेट और टास्क दिए गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपना एक्शन प्लान न सिर्फ विधानसभा चुनाव, बल्कि लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भी तैयार किया है। पिछले चुनाव में भी भाजपा को छत्तीसगढ़ में करारी हार मिली थी जबकि, केन्द्रीय चुनाव में अच्छी बढ़त मिली थी।
छत्तीसगढ़ में इस एक्शन प्लान को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर को दी गई है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी की रायपुर में महत्वपूर्ण बैठक हुई। प्रदेश कार्यालय में हुई इस बैठक में कार्यसमिति के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे, ओम माथुर ने बैठक लेकर सभी को नई कार्ययोजना से अवगत कराया और अब इसी एक्शन प्लान के तहत भारतीय जनता पार्टी काम करेगी। मई का यह पूरा महीना और आने वाला जून बेहद अहम होने वाला है। इन महीनों में भारतीय जनता पार्टी नए सिरे से वोटर्स के बीच कई तरह के कार्यक्रम करने जा रही है। केंद्र सरकार की उपलब्धियों और मौजूदा कांग्रेस सरकार को घेरते हुए अलग-अलग प्रदेशों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की तैयारी है। राज्य स्तरीय यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सभी राज्यों के राजधानी में होगी। इसके लिए रायपुर को चयनित किया गया है।
केंद्र सरकार की उपलब्धियों और मौजूदा कांग्रेस सरकार को घेरते हुए अलग-अलग प्रदेशों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की तैयारी है। राज्य स्तरीय यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सभी राज्यों के राजधानी में होगी। इसके लिए रायपुर को चयनित किया गया है।
प्रधानमंत्री करेंगे संवाद :
प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से देश भर के कार्यकर्ताओं और बूथ स्तर के नेताओं से संवाद करेंगे। 10 लोगों से संवाद का टारगेट रखा गया। PM छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं से भी बात करेंगे। प्रधानमंत्री इस दौरान आम लोगों से भी चर्चा करेंगे। यह चर्चा भारतीय जनता पार्टी के कामकाज जनसेवा के अभियानों पर केंद्रित होगी। साथ ही प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ समेत देशभर के कार्यकर्ताओं को आगामी चुनावों के लिए बूस्ट करेंगे।
छत्तीसगढ़ में भाजपा का जीतना मुश्किल :
छत्तीसगढ़ राज्य जब बना था तब यहाँ कांग्रेस अधिकतर सीटों में सत्ताधीन थी , जिसको लेकर छत्तीसगढ़ के निर्माता अटल जी को लोगों ने उस समय राज्य निर्माण न करने की सलाह दी थी , फिर भी उन्होंने वादा निभाया और नवनिर्मित छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जोगी सरकार बनी उसके बाद जब पारंपरिक चुनाव हुये तो रमन सिंह की सरकार का आगाज हुआ, और उन्होंने 15 साल तक बेहद विकास किया लेकिन अंतिम 5 वर्ष में एंटी इन्कमबेंसी और बड़े नेताओं के रवैये के कारण आम आदमी त्रस्त हो चूका था, जिसके कारण सत्ता से विदाई हो गई, बातें बहुत है लेकिन मुख्य मुद्दे पर आते है, राज्य निर्माण के समय जो आम आदमी कांग्रेस का वोटर था वो आज भी उसके साथ ही है, चुनावी रणनिति के कारणभाजपा ने 15 साल की सत्ता हासिल कर ली जो की अब मुश्किल नजर आ रही है, क्यूंकि छत्तीसगढ़ का आदिवासी क्षेत्र , गांव के मतदाता वर्तमान सरकार से बेहद खुश है, जिनकी संख्या शहरी वोटरों की अपेक्षा काफी ज्यादा है, और लगातार उपचुनावों में होने वाली हार ने बाकी उम्मीदें भी भाजपा की खत्म कर दी है, छत्तीसगढ़ शांत माहौल है यहाँ सांप्रदायिक मुद्दे काम नहीं आने वाले सिर्फ शहर के 50 फीसदी मतदाता ही भाजपा के साथ जा सकते है , छत्तीसगढ़ का क्षेत्रीय वर्ग खुश है और अल्पसंख्यक कांग्रेस का स्थायी वोटर है, कुल मिलाकर भाजपा की सता छत्तीसगढ़ में मुश्किल ही है, बाकी समय के साथ भाजपा की रण निति कितनी काम आती है देखने का विषय है। बाकी ED की कार्यवाही हो या घोटाले निकलकर आ जायें, अधिकतर जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता, उसे समझ ही नहीं है की ये मुद्रा स्फीति , संकुचन , राष्ट्र पर कर्जे का क्या प्रभाव पड़ता है? अधिकतर आम जनता अपने शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य की समस्याओं में ही उलझी हुई है।
