OBC के आरक्षण का लाभ ले रहे रोहिंग्या, यहाँ का है ये मामला।

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की स्थिति को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक राज्य में बड़े पैमाने पर हिंदुओं का धर्मांतरण हुआ है। ओबीसी की लिस्ट में ज्यादातर मुस्लिम जातियों को शामिल किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को मिलने वाले फायदों का लाभ बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम भी उठा रहे हैं। 70 प्रतिशत हिंदू आबादी वाले पश्चिम बंगाल में सरकारी नियुक्तियों और मेडिकल सीटों पर पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में बड़ा खेल सामने आया है। राज्य में महज 27 प्रतिशत आबादी वाली मुस्लिम जातियों को आरक्षण का 91.5 प्रतिशत लाभ मिला, जबकि हिंदू वर्ग को सिर्फ 8.5 प्रतिशत फायदा ही मिला। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की जांच में यह चौंकाने वाला सच सामने आया। जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में ओबीसी की लिस्ट में हिंदुओं से अधिक मुस्लिमों की जातियां हैं। लिस्ट में 179 जातियों को रखा गया है। इनमें 118 मुस्लिम और 61 हिंदू जाति हैं।

राज्य में ओबीसी आरक्षण में शामिल 179 जातियों में 118 जातियों के मुस्लिम वर्ग से जुड़े होने का मामला सामने आया। राज्य में सिर्फ 61 हिंदू जातियों के ही ओबीसी में होने पर हैरानी जाहिर करते हुए आयोग ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। आयोग ने आशंका जाहिर की कि जिस तरह से खामियों के साथ सूची तैयार हुई, उससे बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिए और रोहिंग्या भी आरक्षण का लाभ उठाने में सफल हो सकते हैं। कम जनसंख्या के बावजूद मुस्लिम जातियों को ओबीसी आरक्षण का सर्वाधिक लाभ दिए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। आयोग को पता चला कि ओबीसी लिस्ट में शामिल करने के लिए जरूरी शर्तों का पालन नहीं हुआ। किसी व्यक्ति को सर्टिफिकेट जारी करते समय उसके पूर्वजों और खानदान के बारे में छानबीन करने की जरूरत नहीं समझी गई।

आरक्षण का सर्वाधिक लाभ मुस्लिमों को :

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हंसराज अहीर के मुताबिक जांच में पता चला कि राज्य सरकार की भर्तियों में 91.5% आरक्षण का लाभ मुस्लिम जातियों को मिला। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 90% सीटों पर मुस्लिम ओबीसी वर्ग के छात्रों को प्रवेश मिला। अहीर ने कहा कि पिछड़े वर्ग के मुस्लिमों को संविधान प्रदत्त आरक्षण मिलना चाहिए।

रोहिंग्या…

पात्र पिछड़ा वर्ग का हक मारकर अपात्रों को आरक्षण देना गलत है।

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राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने बताया कि 2011 के बाद ओबीसी लिस्ट में जातियों को शामिल करने में भारी गड़बड़ी देखने को मिली। बंगाल में 2011 से पहले 108 जातियों को ही ओबीसी का दर्जा मिला था। तब 53 मुस्लिम और 55 हिंदू जातियां सूची में शामिल थीं। 2011 में सत्ता परिवर्तन के बाद ममता सरकार ने 71 नई जातियों को जोड़ा, जिसमें सर्वाधिक 65 मुस्लिम जातियां जबकि सिर्फ 6 हिंदू जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल किया गया।

जांच के लिए कहा…

पश्चिम बंगाल सरकार को ओबीसी जातियों की सूची की जांच करने के लिए कहा है। अगर राज्य सरकार सूची नहीं सुधारती है तो हम इस मुद्दे को राष्ट्रपति के सामने पेश करेंगे। ओबीसी वर्ग के आरक्षण का लाभ अपात्रों को नहीं उठाने दिया जाएगा। आयोग इस मामले में बेहद गंभीर है। : हंसराज अहीर, अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग