रायपुर : सिन्धी भाषा को बचाने के लिये सामाजिक प्रयास लगातार जारी है, लेकिन विडंबना यह है कि सामाजिक लोग अपने परिवार में ही मातृभाषा सिन्धी बोलने में संकोच कर रहे है। इसी को लेकर छत्तीसगढ़ में सिंधी समाज के संत शदाणी दरबार के प्रमुख डॉ. युधिष्ठरलाल (61) सिंधी भाषा में मास्टर डिग्री (एमए) फाईनल की परीक्षा दे रहे हैं। इन दिनों वे परीक्षा के लिए अजमेर राजस्थान गए हुए हैं। उन्होंने इस परीक्षा की वजह बताते हुए कहा कि, उनका उद्देश्य है कि सिंधी समाज के लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हो सकें। यही कारण है कि वे अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच भी समय निकालकर एक और मास्टर डिग्री लेने की तैयारी के अंतिम दौर में हैं।
युधिष्ठिर के पास कई डिग्रियां :
संत डॉ. युधिष्ठिर ने बताया कि, उन्होंने 1986 में दुर्गा कॉलेज से एमकॉम किया है। इसके बाद उन्होंने मनोविज्ञान में भी मास्टर डिग्री (एमए) किया है। अब वे सिंधी भाषा में एमए कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिंधी में एमए की पढ़ाई की व्यवस्था राजस्थान अजमेर में है, इसलिए वे यहां आकर परीक्षा दिला रहे हैं। उनके साथ आठ और लोग भी छत्तीसगढ़ से हैं, जो इस परीक्षा में शामिल हुए हैं। वहीँ उन्होंने सिन्धी भाषा को लेकर काफी प्रयास किया है।
रविवि में भी होती है सिंधी की पढ़ाई :
संत युधिष्ठिर लाल ने बताया कि, रायपुर के रविशंकर विश्वविद्यालय में भी सिंधी भाषा का अध्ययन केंद्र भी चल रहा है। यहां फिलहाल सिंधी भाषा में डिप्लोमा की पढ़ाई हो रही है, लेकिन आने वाले समय में तैयारी ये है कि यहां सिंधी भाषा में बीए, एमए और अन्य विषयों की पढ़ाई हो सके। उन्होंने बताया कि इस संबंध में रविवि के कुलपति से उनकी बात हुई है। बीए, एमए आदि की पढ़ाई के लिए शिक्षकों की भी जरूरत होगी। इसलिए सिंधी में पोस्ट ग्रेजुएशन जरूरी है, तभी वे अन्य लोगों को भी पढ़ा सकेंगे। सिन्धी भाषा को पढ़ने वाले छात्रों की संख्या काफी कम है।
संत युधिष्ठिरलाल ने कहा सिंधी समाज को जागरूक करना जरूरी :
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संत डॉ. युधिष्ठिरलाल ने कहा, सिंधी समाज में इस बात की आवश्यकता है कि समाज के लोग शिक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आगे हैं। किसी भी समाज के लिए अपनी मातृभाषा में पढ़ाई बहुत जरूरी है। मातृभाषा की काफी अहमियत है, उन्होंने बताया कि सिंधी भाषा में बड़ी संख्या में किताबें भी उपलब्ध हैं। सिंधी में ही एमए के पांच पेपरों के लिए 20 बड़ी किताबें मौजूद हैं। पढ़ाई की तैयारी के संबंध में उन्होंने बताया कि रायपुर में रहते समय उन्हें पढ़ाई के लिए कम समय मिल पाता है, लेकिन परीक्षा के लिए राजस्थान अजमेर में आने पर उनके पास पढ़ाई के लिए पूरा समय है। वे दिन-रात परीक्षा की तैयारी में पढ़ाई में जुटे हैं। देश की नई शिक्षा नीति में भी प्रावधान है कि प्रायमरी की शिक्षा मातृभाषा में हो। अनुसूची 8 में राष्ट्रीय भाषा में सिंधी भाषा भी शामिल है। केंद्र सरकार का शिक्षा मंत्रालय सिंधी भाषा के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है।
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