शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द, अब आगे क्या होगा? जाने इस खबर में….।

ढाका (बांग्लादेश) : बांग्लादेश के तख्ता पलट के बाद शेख हसीना ने भारत में ह्सर्ल ली हुई है, वहीँ अब तक पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। 5 अगस्त को अपनी जान बचाने के लिए उन्हें ढाका से भारत आकर शरण लेनी पड़ी थी. भारत पहुंचने से पहले शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद भी छोड़ना पड़ा था। अब बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द करने का भी ऐलान कर दिया है यानी जिस पासपोर्ट को लेकर शेख हसीना भारत आई थीं अब वो मान्य नहीं है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। पासपोर्ट रद्द होने की वजह से अब शेख हसीना पर बांग्लादेश लौटने का दबाव बनेगा। अब हसीना क्या करेंगी, यह सवल खड़ा हो गया है।

इस प्रकार के मामलों में जानकारों के मुताबिक, बांग्लादेश के आधिकारिक या डिप्लोमेटिक पासपोर्ट धारी व्यक्ति को भारत में बिना वीजा के 45 दिन तक रहने की इजाजत है। भारत में फिलहाल शरण लेने की वजह से भले ही शेख हसीना को भारत में ठहरने में दिक्कत ना हो, लेकिन किसी और मुल्क में वो अब नहीं जा पायेंगी।

बांग्लादेश कर सकता है शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग :

वहीँ इस मामले को लेकर बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर 50 से अधिक मुकद्दमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिसमें ज्यादातर हत्या के मुकदमे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक टीम भी बांग्लादेश पहुंच चुकी है जो कि शेख हसीना के कार्यकाल में हुए मानवाधिकार हनन के मामलों की जांच करेगी। अपनी प्राथमिक जांच में UN टीम ने शेख हसीना पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही बांग्लादेश की सरकार शेख हसीना के खिलाफ भारत से प्रत्यर्पण की मांग कर सकती है। वहीँ शेख हसीना को भारत में लम्बे समय तक पनाह देना भी आसान नहीं होगा।

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 से प्रत्यर्पण संधि है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर संवाददाता ने 16 अगस्त को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से सवाल पूछा था तो विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अभी यह काल्पनिक स्थिति है यानी बांग्लादेश की तरफ से अब तक मांग नहीं की गई है। उनके द्वारा मांग किये जाने के बाद ही इस पर निर्णय लेने मौका आयेगा।

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शेख हसीना (76) ने बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद पांच अगस्त को इस्तीफा दे दिया था और भारत चली गई थीं। हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ जुलाई के मध्य से छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद 600 से अधिक लोग मारे गए। शेख हसीना के हटने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ था।

शेख हसीना के खिलाफ 30 से ज्यादा मामले :

शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ कम से कम नौ और शिकायतें दर्ज की गईं है, जिससे उनके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या 30 से ज्यादा हो गई है। हसीना के खिलाफ दर्ज मामलों में हत्या के 26, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के चार और अपहरण के एक मामले शामिल हैं।

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शिकायत में हसीना और 23 अन्य पर पांच मई 2013 को मोतीझील के शापला छतर में हिफाजत-ए-इस्लाम रैली के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार करने का आरोप लगाया गया है। हिफाजत-ए-इस्लाम मामले में प्रमुख आरोपियों में अवामी लीग के महासचिव एवं पूर्व सड़क परिवहन एवं पुल मंत्री उबैद-उल कादिर, पूर्व मंत्री रशीद खान मेनन, ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन के पूर्व महापौर शेख फजले नूर तपोश, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार सलमान एफ रहमान, प्रधानमंत्री के पूर्व सुरक्षा सलाहकार तारिक अहमद सिद्दीकी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एकेएम शाहिद-उल हक, एबीन्यूज24.कॉम के संपादक सुभाष सिंह रॉय और पूर्व सेना प्रमुख अजीज अहमद शामिल हैं। ऐसे ही मामलों को लेकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर बांग्लादेश मांग कर सकता है, वहीँ भारत के लिये इसमें बंगलादेशी हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर दबाव बनेगा।