ढाका (बांगलादेश) : बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है, हिन्दुओं के लिये जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, हिन्दुओं के ऊपर भीड़तंत्र ने इस प्रकार हमला किया कि उनकी पूरी संपत्ति बर्बाद कर दी गई, उनके मंदिर तोड़े गये, मौत के घाट उतारा गया, उनकी महिलाओं के साथ वीभत्स तरीके से बलात्कारों को अंजाम दिया गया। अब सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले हिंदू शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बताया जाता है कि अब तक कम से कम 50 हिंदू शिक्षकों को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। जहाँ-जहाँ हिन्दू नौकरी कर रहा है उसकी नौकरियां छिनी जा रही है।
कई हिंदू टीचर नौकरी छोड़ने पर मजबूर :
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 29 अगस्त को छात्रों और बाहरी लोगों ने बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर के कार्यालय पर धावा बोला और इस्तीफा देने की मांग की गई। कई घंटों तक डराने-धमकाने के बाद हलदर ने सादा कागज पर ‘मैं इस्तीफा देती हूं’ लिखकर नौकरी छोड़ दी। इससे पहले 18 अगस्त को अजीमपुर गवर्नमेंट गल्र्स स्कूल और कॉलेज की करीब 50 छात्राओं ने प्रिंसिपल गीतांजलि बरुआ को घेर लिया गया था। उनसे, सहायक प्रधानाध्यापक गौतम चंद्र पॉल और शारीरिक शिक्षा की शहनाजा अख्तर से इस्तीफा मांगा गया। बरुआ ने कहा कि उनके कार्यालय पर हमला कर अपमानित किया गया। इसी तरह काजी नजरूल विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन और शासन अध्ययन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर शंजय कुमार मुखर्जी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। मुखर्जी से कहा गया कि वह बहुत कमजोर हो गए हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद युनूस ने हिंदुओं को सुरक्षा का आश्वासन दिया था। उनका वादा खोखला साबित हो रहा है। ऐसे ही लगातार हिन्दुओं पर तरह-तरह से अत्याचार लगातार जारी है।
मजारों और दरगाहों को किया जा रहा ध्वस्त :
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बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध, ईसाई,ओइक्या परिषद के समन्वयक साजिब सरकार ने बताया कि देश में अल्पसंख्यकों की हालत लगातार खराब होती जा रही है। खास तौर पर हिंदुओं को हमलों, लूटपाट, महिलाओं से बदसलूकी, मंदिरों में तोडफ़ोड़, घरों और व्यवसायों में आगजनी, हत्याओं का सामना करना पड़ा है। वहीँ बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि वर्तमान सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। लोगों को प्रताडि़त किया जा रहा है। सूफी मुसलमानों की मजारों और दरगाहों को ध्वस्त किया जा रहा है। यहीं नहीं अहमदी मुस्लिमों को भी जेल में डाला जा रहा है। इस्लामिक आतंकी सूफी मुस्लिमों की मजारों औऱ दरगाहों को तोड़ रहे हैं। इन सभी के लिये जैसे मुसीबत के पहाड़ टूट पड़े है।