स्कूल शुरू के बाद सामने आ रही खबरें, नाबालिग लड़कियां होने लगीं गायब, ये मानव तस्करी है या कुछ और रहें सावधान?

रायपुर : मानव तस्कर और अंगों के सौदागर नाबालिग लड़कियों को अपना शिकार बनाते है, ऐसे ही कई मामले उजागर हो चुके है। वहीँ अब स्कूल शुरू होते ही राजधानी में नाबालिगों के गायब होने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसमें लड़कियों की संख्या काफी ज्यादा है। बच्चे स्कूल-ट्यूशन या दोस्तों के साथ जाने के बहाने घर से निकलते हैं। इसके बाद दोबारा घर नहीं आते हैं। परिजन थानों में शिकायत लेकर जाते हैं, इस तरह से परिजनों के लिये जीने मरने का सवाल भी खड़ा हो जाता है, वहीँ नशे के सौदागर भी कई बार मानव तस्करी को अंजाम दे देते है। गुमशुदगी मामले में पुलिस एफआईआर कर लेती है, लेकिन अधिकांश मामलों को प्रेम-प्रसंग का मामला मानकर उन्हें ढूंढने में दिनचस्पी नहीं लेती है। पिछले एक सप्ताह में शहर के अलग-अलग थानों में 10 नाबालिग लड़कियों के गायब होने के मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से किसी का गुजरात में तो किसी का उत्तरप्रदेश में होने की जानकारी मिली है। इन नाबालिगों के मानव तस्करी करने वालों के चंगुल में फंसने की आशंका है, वहीँ कुछ को चकलाघरों में भी बेच दिया जाता है, फिर उन्हें खोजना बड़ा मुश्किल हो जाता है।

जो नाबालिग हुई गायब, थानों में दर्ज हुये उनके अपराध दर्ज दिनांक :

पिछले एक सप्ताह में शहर के अलग-अलग थानों में 10 नाबालिग लड़कियों के गायब होने के मामले दर्ज हुए हैं। धरसींवा 25 अगस्त, डीडी नगर 27 अगस्त, मौदहापारा 27 अगस्त, मौदहापारा 28 अगस्त, कबीर नगर 28 अगस्त, राजेंद्र नगर 28 अगस्त, तिल्दा-नेवरा 30 अगस्त, सिविल लाइन 30 अगस्त, सिविल लाइन 31 अगस्त, टिकरापारा 1 सितंबर।

सोशल मीडिया-मोबाईल का प्रभाव

नाबालिग लड़कियों के गायब होने की बड़ी वजह मोबाइल और सोशल मीडिया बन रहा है। घर छोड़ने वाली अधिकांश नाबालिग मोबाइल और सोशल मीडिया फ्रेंडली हैं। पढ़ाई से ज्यादा समय मोबाइल और सोशल मीडिया में समय देते हैं। फिलहाल पुलिस गुमशुदा हुए नाबालिगों की अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है। इसमें प्रेम प्रसंग के मामलों के जरिये बच्चियों को फंसाकर बाहर भी भेज दिया जाता है।

तीन साल में 7 हजार से ज्यादा हुए गुमशुदा :

1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक रायपुर जिले से 7337 लोग लापता हुए। इनमें से 5602 लोगों को ढूंढ लिया गया। 1735 का अब तक पता नहीं चल पाया है। लापता होने वालों में नाबालिगों की संख्या अधिक है। वर्ष 2024 में भी अब तक 100 से ज्यादा नाबालिगों के लापता होने के मामले थानों में आए हैं। अधिकतर का कोई पता नहीं चल पाया है। वहीँ कई बार कुछ मामलों में नाबालिगों को विदेश भी भेज दिया जाता है।

पूरी जानकारी होने के बाद भी तलाशना मुश्किल :

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मौदहापारा थाना क्षेत्र से 27 अगस्त को 15 वर्षीया नाबालिग अपने स्कूल जाने के लिए घर से सुबह 9.30 बजे निकली। स्कूल ड्रेस में थी और बैग लेकर निकली थी। शाम को वह घर नहीं लौटी। परिजनों ने स्कूल, मोहल्ले और उसकी सहेलियों से पूछताछ की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। परिजनों ने मौदहापारा थाने में शिकायत की थी। पुलिस ने अपराध भी दर्ज कर लिया। इस दौरान परिजनों ने नाबालिग की छोटी बहन और उसकी सहेलियों से पूछताछ करके पुलिस को संदिग्ध युवक की जानकारी दी। इसके बाद भी मौदहापारा की टीम युवक को पकड़ने व नाबालिग को ढूंढने नहीं निकली। परिजन थाने के चक्कर लगा-लगा कर परेशान हैं। इसी तरह डीडी नगर क्षेत्र से गायब हुई नाबालिग का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है। उसके यूपी में होने का संदेह जताया जा रहा है। एक सप्ताह बाद भी उसका कुछ पता नहीं चल पाया है।

नाबालिगों के लापता होने की सूचना मिलते ही पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। एफआईआर होने के बाद संबंधित थाने को उसकी जांच करना और ढूंढना अनिवार्य होता है। दर्ज हुए मामलों में पुलिस की टीमें जांच में लगी हुई है। लापता हुए नाबालिगों को ढूंढा जा रहा है। नाबालिगों को जरूरत से ज्यादा मोबाईल व सोशल मीडिया का उपयोग करने नहीं देना चाहिए। उनके फ्रेंड सर्कल की भी जानकारी रखनी चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों पर निगरानी रखना चाहिये। – संतोष कुमार सिंह, एसएसपी, रायपुर