असम सरकार का चौंकाने वाला काम, अवैध प्रवासी मुस्लिमों को भेजा हिरासत गृह, मुस्लिम स्टूडेंटस यूनियन ने जताया विरोध।

गुवाहाटी (असम) : भारत लगातार अवैध प्रवासियों से जूझ रहा है, जिसमें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिये, रोहिंग्या सहित लगभग 1 करोड़ 75 लाख बताये गये है, जिनको बाहर निकालने की मांग लगातार उठ रही है। ऐसे में असम सरकार ने इस काम को अंजाम देना शुरू कर दिया है। एक अनुमान के अनुसार अधिकतर घुसपैठिये असम और बॉर्डर के क्षेत्रों में है। खबर सामने आई है कि असम के बारपेटा जिले के एक डिटेंशन कैंप (हिरासत गृह) में 28 मुसलमानों को रखा गया है। इस मामले पर असम मुस्लिम स्टूडेंटस यूनियन के चीफ आशिक रब्बानी ने प्रतिक्रिया दी है। अब तक कितने लोगों को डिटेंशन कैंप में रखा गया है, यह स्पष्ट नहीं हुआ है।

इस मामले पर असम मुस्लिम स्टूडेंटस यूनियन के चीफ आशिक रब्बानी ने प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने कहा कि 28 लोगों को आज फॉरेनर ट्रिब्यूनल के ज़रिए डिटेंशन कैंप में रखा गया है, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को डिटेंशन कैंप में रखा गया है, वो सभी भारतीय लोग हैं, उनके पास भारतीय होने के पूरे दास्तवेज हैं। भारतीय नागरिक होने के बावजूद भी उन्हें आज फॉरेनर ट्रिब्यूनल के ज़रिए डिटेंशन कैंप में रखा गया है। यह पूरी तरह से गलत है। हम इसका विरोध करते हैं और आने वाले दिनों में हम उग्र आंदोलन भी करेंगे। आपको बता दें असम में पहले ही NRC लागू की जा चुकी है, जिसको लेकर बवाल भी मच चुका है। 

असम में कितने हैं डिटेंशन सेंटर :

13 दिसंबर 2011 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री एम रामचंद्रन ने बताया था कि नवंबर 2011 तक असम में 3 डिटेंशन सेंटर थे, जो गोलपारा, कोकराझार और सिलचर में बनाए गए थे। वहीं, 3 दिसंबर 2019 को AIUDF सांसद बदरुद्दीन अजमल ने असम में डिटेंशन सेंटर को लेकर सवाल उठाया था। इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि ‘असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं, जिनमें 28 नवंबर 2019 तक 970 लोग रह रहे हैं। इस सेंटर में 970 लोगों में से 324 महिलाएं भी हैं। जिनको देश से बाहर निकलने की प्रक्रिया भी शुरू की जायेगी, इस मामले आग क्या होगा यह सामने नहीं आ पाया है।

अब तक इतने लोगों की हो चुकी है मौत :

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27 नवंबर 2019 को तृणमूल सांसद डॉ. शांतनु सेन के एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में जवाब दिया था – 2016 से 13 दिसंबर 2019 तक असम के डिटेंशन सेंटरों में रह रहे 28 लोगों की मौत हो चुकी है। इन लोगों की मौत या तो डिटेंशन सेंटरों में हुई है या फिर जिन अस्पतालों में उन्हें भेजा गया था, वहां हुई है।

मामले को लेकर प्रकशित हो चुकी है सूची :

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की पहली सूची के प्रकाशन के कई महीनों बाद, भारत के महापंजीयक और असम में भारत के जनगणना आयुक्त ने एक अंतिम सूची प्रकाशित की है, जिसमें असम में रहने वाले 19 लाख से अधिक लोगों को अवैध प्रवासी घोषित किया गया है। चिंतित नागरिकों, कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने असम में मानवीय संकट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए “राज्यविहीन लोगों” की दुर्दशा के बारे में विभिन्न प्लेटफार्मों पर लिखा है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से यह स्पष्ट है कि बहिष्कृत लोगों में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी का हालात बदतर होने वाला है। हिरासत, निर्वासन का खतरा और मानवाधिकारों का उल्लंघन असम की बड़ी आबादी के जीवन पर मंडरा रहा है।

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यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि NRC प्रकाशन से पहले भी हिरासत केंद्र स्थापित किए गए थे, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष नागरिकता साबित करने में विफल रहने वाले कई संदिग्ध मतदाताओं (डी-मतदाताओं) को पहले ही इन अस्थायी हिरासत केंद्रों में भेज दिया गया था। डी-वोटरों की जांच के दायरे में आने वाले लोगों की व्यक्तिगत कहानियाँ तब भी सामने आ रही थीं। वहीँ 2014 में फर्जी तरीके से बनवाये गये लाखों आधार कार्ड भी रद्द किये जा चुके है।