दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी आतिशी, विधायक दल की बैठक में लगी मुहर।

नई दिल्ली : और अंततः दिल्ली के नये मुख्यमंत्री के नाम पर मोहर लग गई, दिल्ली की सियासत से जुड़ी इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आई है। विधायक दल की बैठक में आतिशी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। यानी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री अब आतिशी होंगी। केजरीवाल ने विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव रखा था। विधायक दल की बैठक से पहले ही 2 नाम सीएम पद की रेस में थे। जिसमें पहला नाम आतिशी और दूसरा नाम कैलाश गहलोत का था।

बैठक से पहले ही आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बड़ा बयान देते हुए साफ कर दिया था कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता को सीएम नहीं बनाएंगे। उन्होंने कहा था कि सुनीता केजरीवाल सीएम बनने की इच्छुक नहीं हैं। आम आदमी पार्टी किसी ऐसे नेता को सीएम बनाना चाहती थी, जो सिस्टम और काम के बारे में जानता हो और उसे काम करने का अनुभव भी हो। ऐसे में सीनियर आप नेता मनीष सिसोदिया ने आतिशी के नाम पर जोर दिया गया था, जो कि अंतिम रूप नहीं ले सका।

राजनीति में आने से पहले टीचर थीं आतिशी :

आतिशी की गिनती आम आदमी पार्टी के सबसे पढ़े-लिखे नेताओं में होती है। वह राजनीति में आने से पहले टीचर थीं और उन्होंने ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की है। अरविंद केजरीवाल जब जेल में थे, तब आतिशी काफी मुखर होकर सामने आई थीं और मीडिया के सामने भी पार्टी का स्टैंड वह बड़ी मजबूती के साथ रखती थीं। विधायक दल की बैठक में सीएम पद के लिए आतिशी के नाम पर मुहर लगने के बाद आप नेता गोपाय राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया कि आतिशी को सीएम बनाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। वो दिल्ली के अगले चुनाव तक आतिशी मुख्यमंत्री रहेंगी। 

दिल्ली की तीसरी महिला सीएम होंगी आतिशी :

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आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। उनसे पहले शीला दीक्षित साल 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की सीएम रही थीं। शीला दीक्षित से पहले सुषमा स्वराज साल 1998 में दिल्ली की सीएम बनी थीं। सुषमा स्वराज के रूप में दिल्ली को पहली महिला सीएम मिली थीं। हालांकि वह इस पद पर केवल 52 दिनों के लिए रही थीं। दरअसल प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था। इस दौरान सुषमा स्वराज को सीएम बनाया गया था। इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी हार गई थी और फिर कांग्रेस से शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम बनी थीं। शिला दीक्षित के गढ़ को तोड़ पाना नामुमकिन था, लेकिन आप पार्टी ने कर दिखाया।