रायपुर : आज हर तीसरा-चौथा व्यक्ति कैंसर जैसी घातक बीमारियों घिरा हुआ है, ये सब केमिकल युक्त खानपान से हो रहा है, बाज़ार में अन्य चीजों सहित खानपान के अधिकतर सामान नकली और मिलावटी मिल रहे है, वहीँ बदलते समय के साथ अब बाजार में चावलों की सुगंध भी नकली हो चुकी है, पहले चावल प्लास्टिक के भी आने लगे थे, जिसको लेकर बवाल मचा था। वहीँ आज भी कई लोग बासमती चावल केवल खास सुगंध की वजह से ही खरीदते और खाते हैं, लेकिन दुकानदार और चावल कंपनी ने खुशबू के नाम पर लोगों को ठगना भी शुरू कर दिया है। एक समय था, जब बासमती चावल की पहचान खेती में लगी फसलों से हो जाती थी। घरों में जब यह चावल पकाया जाता था तो उसकी खुशबू से पूरा घर महक उठता था। चावल के हर दाने में सुगंध होती थी, लेकिन बासमती चावल के सुगंध में भी अब काफी अंतर आ चुका है, अब वो सुगंध चावल पकाने के साथ गायब हो जाती है।
प्रतिस्पर्धा के जमाने में बाजार में सुगंधित चावलों की कई किस्में आ चुकी हैं। केवल बासमती ही नहीं दुबराज, एचएमटी और अन्य किस्म के चावल भी अब सुगंधित हो चुके हैं, जो पहले सामान्य रूप में मिलते थे। चावल में सुगंध के जुड़ने से इसके दाम अधिक हो चुके हैं। मांग बढ़ने से मिलावट का धंधा भी जोरों से शुरू हो चुका है, जिसकी भनक आम आदमी और खाद्य विभाग को भी नहीं है। जब चावलों में नकली सुगंध को लेकर पड़ताल की गई तो पता चला कि बाजार में खुलेआम चावलों का एसेंस फ्लेवर मिल रहा है, जिसकी चार बूंद सामान्य चावल को भी बासमती की तरह सुगंधित कर देती है। बाजार में एसेंस का उपयोग कर चावल बेचने की पूरी संभावना है, जो कि आम आदमी के लिये हानिकारक भी सकता है।
सुगंधित चावल की डिमांड अधिक :
गुढ़ियारी के राशन दुकानों में चावल का एसेंस फ्लेवर मिल रहा है। गुढ़ियारी के एक दुकानदार ने बताया कि प्रतिबंधित नहीं होने से इसे बेचा जा रहा है। राशन व्यापारी ही इसे खरीदते हैं। 500 रुपए में एक लीटर यह एसेंस मिल रहा है। इसके अलावा 200 में भी छोटी बोतल उपलब्ध है। हाथ में एक बूंद डालने से इत्र की तरह लंबे समय तक खुशबू बनी रहती है। यही वजह है कि खाना खाने के बाद भी इसकी खुशबू रहती है। एसेंस की खास बात ये भी है कि इसकी खुशबू असली है या फिर नकली, इसका पता आम आदमी आसानी से नहीं लगा सकता। हाथों में लेकर सूंघने पर इसकी सुगंध व्यक्ति को असली ही लगती है, जिसको कन्फर्म करना मुश्किल है।
चावल में एसेंस फ्लेवर को पकड़ना आसान नहीं :
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एसेंस के इस्तेमाल से नकली सुगंध बनाने को लेकर कृषि विवि के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा से जब बातचीत की गई तो, इन्होंने चावल के शोध व नई वैरायटीज भी तैयार की है। इनका कहना है कि बाजार में एसेंस की सुंगध से चावल को खुशबूदार बनाया जा रहा है। आज बाजार में महंगे चावल सुगंधित ही मिलते हैं। इस वजह से खास सुगंध की मांग काफी है। नकली सुगंध के चावल का सेवन लंबे समय तक करते से सेहत के लिए यह हानिकारक हो सकता है। चावल में एसेंस फ्लेवर को पकड़ना आसान काम नहीं है, क्योंकि यह बिलकुल असली की तरह ही लगती है। इस वजह से इसका इस्तेमाल चावलों में काफी बढ़ गया है। वर्तमान में कई चावल की नई किस्में भी बाज़ार में आ चुकी है, जिसके मूल गुण में सुगंध है। वही असली सुगंधित चावल कहा जाता है। लोगों को जानकारी नहीं होती कि किस चावल के गुण सुगंधित हैं। इस वजह से बाजार में सामान्य चावल को एसेंस की मदद से सुगंधित बनाया जा रहा है।
सुगंध बढ़ाने के लिए भी एसेंस का उपयोग :
बाजार में बड़ी संख्या में सामान्य चावल को सुगंधित करने के लिए व्यापारी एसेंस का उपयोग करने लगे हैं। कृषि विवि का भी दावा है कि बाजार में कई चावल ऐसे भी है, जिसका मूल स्वरूप सुगंध से जुड़ा नहीं है, उसमें भी अब सुगंध आ चुकी है। जिस चावल में सुगंध कम होती है, उसे बढ़ाने के लिए भी एसेंस डाल दी जाती है। एक किलो चावल में 20 बूंद एसेंस ही पूरी चावल को सुगंधित कर देती है। तीन से चार महीने तक उस चावल में सुगंध बनी रहती है। पड़ताल में यह भी पता चला है कि 50 से 60 रुपए किलो वाले चावल भी सुगंधित किस्में भी मिलने लगी हैं। एचएमटी चावल में बासमती जैसी सुगंध है। गुढ़ियारी में 15 अलग-अलग प्रकार के सुगंधित चावल उपलब्ध हैं, जिनकी वास्तविक गुणवत्ता को कह पाना मुश्किल है।
डायग्नोस्टिक किट बना रहा कृषि विवि :
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कृषि विवि के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि, इंदिरा गांधी कृषि विवि नकली सुगंध की जांच करने के लिए डायग्नोस्टिक किट बना रहा है, जिसकी मदद से आसानी से नकली सुगंध का पता लगाया जा सकता है। वर्तमान में नकली सुगंध के चावल लोगों को बेचे जा रहे हैं, लेकिन बिना मशीन की मदद से इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।