संजौली (हिमाचल प्रदेश) : संजौली की अवैध मस्जिद को लेकर काफी बवाल हो चुका है, मस्जिद को तोड़ने के लिये क्षेत्रवासियों ने बड़ा आन्दोलन किया था, अब विवादित संजौली मस्जिद मामले ने 6 नवंबर को नया मोड़ ले लिया, जब एक मुस्लिम संस्था ने शिमला की एक अदालत में अपील दायर कर नगर आयुक्त न्यायालय द्वारा मस्जिद की तीन अनाधिकृत मंजिलों को गिराने के 5 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी, शिमला स्थित संजौली मस्जिद के चीफ लतीफ मोहम्मद और मुस्लिम समुदाय के दूसरे सदस्यों ने 12 सितंबर को मस्जिद की तीन अनाधिकृत मंजिलों को गिराने की पेशकश की थी और नगर आयुक्त (एमसी) से इजाजत मांगी थी।
नगर आयुक्त न्यायालय ने 5 अक्टूबर को अनाधिकृत मंजिलों को गिराने की इजाजत दी थी और ध्वस्तीकरण पूरा करने के लिए दो महीने का समय दिया था। मस्जिद समिति ने आदेशों का अनुपालन शुरू कर दिया था, जिसके बाद छत को हटाने के साथ ही ध्वस्तीकरण का काम शुरू हो गया था। इस मामले में ऑल हिमाचल मुस्लिम संगठन (एएचएमओ), जिसने 11 अक्टूबर को नगर आयुक्त न्यायालय द्वारा पारित ध्वस्तीकरण आदेश की समीक्षा की थी। ऑल हिमाचल मुस्लिम संगठन शिमला के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत में आदेश को चुनौती दी। जिसको लेकर अब सुनवाई की बात सामने आ रही है।
कोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती :
एएचएमओ के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने ऐलान किया है कि मस्जिद समिति और वक्फ बोर्ड को ऐसा कोई वादा करने का अधिकार नहीं है और नगर आयुक्त न्यायालय द्वारा पारित आदेश तथ्यों के उलट हैं। एएचएमओ के वकील विश्व भूषण ने कहा, “हमने नगर आयुक्त न्यायालय के 5 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है और दलील दी है कि हम पीड़ित पक्ष हैं क्योंकि हमने संपत्ति दान की है। हम चुनौती दे रहे हैं कि लतीफ किसकी तरफ से नगर आयुक्त न्यायालय में पेश हुआ और उसे मस्जिद को ध्वस्त करने की पेशकश करने के लिए किसने अधिकृत किया।” आपको बता दें की यह विवाद काफी लम्बे समय से चल रहा है।
संजौली मस्जिद समिति है अवैध :
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मामले में एएचएमओ ने दलील दी कि संजौली मस्जिद समिति पंजीकृत नहीं है और इसके द्वारा प्रस्तुत हलफनामा अवैध है।अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने आवेदन की स्थिरता और अन्य संबंधित मामलों पर फैसले लेने के लिए अगली सुनवाई के लिए 11 नवंबर की तारीख तय की गई है। इससे पहले, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 21 अक्टूबर को शिमला नगर आयुक्त को स्थानीय निवासियों द्वारा दायर याचिका पर आठ सप्ताह के भीतर 15 साल पुराने मामले का फैसला करने का आदेश दिया था और यह भी निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई से पहले सभी हितधारकों को नोटिस दिया जाए। इस मामले में लगातार विवाद जारी है।
हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा? :
क्षेत्रीय नागरिकों के वकील जगत पाल ने कहा कि एएचएमओ के पास कोई अधिकार नहीं है और वह पीड़ित पक्ष नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालत ने तोड़फोड़ रोकने के बारे में कोई आदेश पारित नहीं किया गया है और अपील की स्थिरता तय करने के लिए अगली सुनवाई 11 नवंबर को तय की गई है। उन्होंने कहा, “हम याचिकाकर्ता पर अधिकतम जुर्माना लगाने की दलील देंगे।” 11 सितंबर को इस मस्जिद के एक हिस्से को गिराने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 10 लोग घायल हो गए थे। संजौली विरोध प्रदर्शन के बाद, मंडी शहर में सरकारी भूमि पर एक मस्जिद द्वारा किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त करने की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शनों पर मंडी में पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया। यह मामला देशभर में खबरों की सुर्ख़ियों में बना हुआ था।
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