रायपुर : आप कोई भी बेहतर काम करें, उससे जिसको तकलीफ होती है वो आपका विरोधी बन ही जाता है, ऐसे में सबसे बड़ा जोखिम आम जनता की सेवा करने वाले नेताओं को होता है। वहीँ कई बार ऐसे काम करने वालों को धमकियां मिलनी भी एक समान्य बात होती है, लेकिन जोखिम लेना सही नहीं होता। मामला है छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज की शिकायत पर एक FIR दर्ज कर ली गई है। उन्हें लगातार मिल रही धमकियों की शिकायत के बाद आज़ाद चौक थाने में बीएनएस की धारा 296, 351-3, 351-4 के तहत मामला दर्ज किया गया है। वहीं मोबाईल नंबर के आधार पर धमकी देने वाले आरोपी की तलाश में पुलिस जुट गई है। यह मामला सामने आने के बाद डॉ. सलीम राज ने कुछ दिन तक इसे सामान्य तौर पर लिया, लेकिन जब लगातार धमकियाँ मिलती रही तो उन्होंने शिकायत करना बेहतर समझा।
सामने आया यह पूरा मामला :
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज को जम्मू-कश्मीर, केरल के साथ पाकिस्तान और अफगानिस्तान से मोबाईल कॉल के माध्यम से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। वक्फ बोर्ड ने राज्य में नमाज के पहले दी जाने वाली तकरीर को लेकर एक नया नियम लागू किया है। इस नियम के तहत तकरीर में सिर्फ और सिर्फ धार्मिक बातें ही होंगी। नियम को लागू करने की खबर के बाद बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज को अब लगातार धमकियां भी मिलने लगी हैं, जिसके बाद अब एहतियात के तौर पर पुलिस को मामले की सूचना दी गई है।
इस जुम्मे को भी लेनी होगी तकरीर अनुमति :
वक्फ बोर्ड द्वारा लागू किए गए नए नियम के तहत पहले जुम्मे को 152 मस्जिदों द्वारा नमाज से पहले तकरीर के लिए वक्फ बोर्ड को आवेदन देकर अनुमति मांगी गई थी। नियम लागू होने के बाद यह दूसरा जुम्मा होगा जब तकरीर के लिए मस्जिदों द्वारा बोर्ड से अनुमति मांगने आवेदन करने होंगे। इन आवेदनों को अनुमति मिलने के बाद ही मस्जिदों में तकरीर की जा सकेगी। वक्फ बोर्ड द्वारा लागू किए गए नये नियम में तकरीर के लिए अनुमति नहीं मांगने वाले मस्जिद के मुतल्लवी के खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान भी किया गया है। इसके तहत वक्फ बोर्ड द्वारा निरीक्षण टीमें बनाई जा रही हैं, जो इनका निरीक्षण करेंगी। ये टीमें मस्जिदों में धार्मिक तकरीर के स्थान पर किसी तरह साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली तकरीर तो नहीं हो रही है, देखेगी। ऐसा होने पर बोर्ड नियमानुसार उन पर कार्यवाही भी करेगा।
152 आवेदनों को दी गई थी मंजूरी :
महामृत्युंजय मन्त्र, इसकी उत्पत्ति की कथा और महत्व के साथ , पूर्ण सुनना आवश्यक है: https://www.youtube.com/watch?v=L0RW9wbV1fA
वक्फ बोर्ड के इस आदेश के बाद विरोध भी हुआ, लेकिन वक्फ बोर्ड ने अपने निर्देश को यथावत रखा था। इस नियम के तहत प्रदेशभर से 152 मजिस्दों द्वारा आवेदन किए गए थे, जिन्हें बोर्ड ने मंजूरी दी थी। वहीँ अब वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने बताया है कि वक्फ बोर्ड द्वारा तकरीर को लेकर लिए गए निर्णय के बाद ओवैसी और हुर्रियत कांफ्रेंस ने एक बयान जारी किया था। इसके बाद से उन्हें मोबाईल पर धमकियां मिलने लगी हैं। उन्होंने बताया कि उनके मोबाईल पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान के साथ जम्मू-कश्मीर एवं केरल से भी धमकियां मिली हैं। इन धमकियों में कोई जान से मारने की, तो कोई 6 इंच छोटा कर देने की धमकी दे रहा है।
धमकी से डरने वाला नहीं :
वहीँ इन धमकियों को लेकर उन्होंने बताया कि इन धमकियों से वे डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जो नियम छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड द्वारा लागू किया गया है, वह देश हित में है। उनके इस नियम को राजनीतिक रूप दिया जा रहा है, जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि तकरीर के दौरान राजनीतिक भाषण नहीं होना चाहिए। इससे सामाजिक सौहार्द्र और वातावरण भी बना रहेगा। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की मस्जिदों में राष्ट्र विरोधी तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली तकरीरों को प्रतिबंधित करने के संदर्भ में छत्तीसगढ़ में स्थित समस्त मस्जिदों के लिए राज्य वक्फ बोर्ड की ओर से आदेश जारी किया गया है। ये सभी मस्जिदें वक्फ बोर्ड के अधीन हैं, जिसके आधार पर नियम लागू किया गया है।
खास ख़बरों के लिये सब्सक्राईब करें हमारा यूट्यूब चैनल : https://www.youtube.com/@MachisMediaNews/
छत्तीसगढ़ प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए छत्तीसगढ़ की मस्जिदों के मुतवल्लियों को मस्जिद में धार्मिक तकरीर यानी प्रवचन के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के राजनीतिक, सामाजिक समरसता तथा आपसी सौहार्द को बिगाड़ने वाले, शासन विरोधी तकरीर पर रोक लगाए जाने संबंधी निर्देश जारी किए गए हैं। इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि धार्मिक तकरीर के अतिरिक्त मुतवल्ली को यदि कोई अन्य विषय पर जमात के समक्ष कोई तकरीर देनी है, तो उसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के व्हॉट्सएप ग्रुप में पहले अनुमति प्राप्त करनी होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर मस्जिद में ऐसी कोई तकरीर नहीं हो रही है तो जो देशविरोधी हो तो फिर विरोध क्यूँ?