अजमेर (राजस्थान) : मुग़ल काल में भारत के हजारों मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गई थी, आज तक हिन्दू पक्ष ने कभी इनको लेकर आवाज नहीं उठाई थी, अब जब हिन्दू पक्ष आवाज उठा रहा है तो, इसको लेकर बवाल मच रहा है, ऐसे में अब अजमेर शरीफ दरगाह की जगह पर शिव मंदिर होने का दावा करने वाली हिंदू पक्ष की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। दरगाह विवाद मामले में सिविल कोर्ट (वेस्ट) के जज मनमोहन चंदेज ने याचिका को सुनवाई योग्य माना है। हिंदू पक्ष की तरफ से याचिका में दरगाह को एएसआई सर्वे कराए जाने की मांग की है। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संबंधित पक्ष को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। अजमेर दरगाह को मुस्लिम समाज काफी महत्वपूर्ण दरगाह मानता है, ऐसे में विवाद उठान लाजिमी है।
जानकारी के अनुसार, अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका में कहा गया है कि दरगाह से पहले यहां पर शिव मंदिर था। इससे संबंधित साक्ष्य याचिकाकर्ता ने कोर्ट में पेश किए हैं, जिनकी विवेचना करने के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकृत कर लिया है।
मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को :
इस मामले में जानकारी के अनुसार, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर किए गए दरगाह विवाद मामले में कोर्ट ने वाद स्वीकार कर लिया है। मामले को लेकर न्यायालय ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर निर्धारित की गई है। इस वाद में विष्णु गुप्ता ने दरगाह से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए कानूनी हस्तक्षेप की मांग की थी।
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उन्होंने कहा है कि यह मामला धार्मिक भावनाओं और सामाजिक सौहार्द्र से जुड़ा हुआ है, जिसके समाधान के लिए न्यायालय का हस्तक्षेप आवश्यक है। कोर्ट द्वारा वाद को स्वीकार करने के बाद यह मामला और अधिक गंभीरता से देखा जा रहा है। न्यायालय ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। जहां पक्षों के तर्क और दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे। वहीँ वर्तमान में संभल की मस्जिद को लेकर भी बड़ा दंगा हुआ है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कही ये बात :
इस विवाद ने सामाजिक और धार्मिक स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि यह मामला हिंदू समाज की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है, वहीं दरगाह के प्रतिनिधियों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। कोर्ट के फैसले के बाद आगे की कार्यवाही पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। हिन्दू पक्ष ने कहा हम दंगे – फसाद के पक्षधर नहीं है, कानून पर भरोसा करते है और संविधान के तहत ही हम कदम उठा रहे है।
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