नेपाल में हुआ बड़ा बवाल, सड़कों पर आर्मी, सरकार ने बुलाई आपात बैठक, क्षेत्रों में लगा कर्फ्यू, सामने आई बड़ी वजह।

काठमांडू (नेपाल) : पाकिस्तान के साथ-साथ ही अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, और अन्य पड़ोसी देशों में भी हालात ख़राब है, ऐसे ही नेपाल में भी अब राजशाही की मांग को लेकर प्रदर्शन शुक्रवार को हिंसक हो गया है। काठमांडू में कई जगह आगजनी हुई। बवाल इतना बढ़ गया कि सड़कों पर सेना को उतरना पड़ा। वहीं कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। कई जगह प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हुई। सुरक्षा बलों द्वारा लगाए गए अवरोधक को तोड़ने की कोशिश कर रहे राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। बवाल इतना बढ़ा कि कई लाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। जनता सरकार की नीतियों से त्रस्त है, चीन के साथ संबंधों ने आर्थिक स्थिति बिगाड़ कर रख दी है।

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वहीँ राजशाही का समर्थक संगठनों की पुकार पर राजा लाओ देश बचाओ आंदोलन में 40 से ज्यादा संगठनों के हजारों कार्यकर्ता काठमांडू पहुंच गए। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए जब पुलिस पहुंची तो हिंसक झड़प हो गई जिसके बाद आगजनी और तोड़फोड़ की गई। हालात को बिगड़ता देखकर नेपाल सरकार ने आपात बैठक बुलाई है। वहीँ नेपाल के हालात अंदरूनी तौर पर काफी ख़राब हो गये है।

लोकतंत्र राजमार्ग है कोई रिवर्स गियर नहीं होता -ओली

नेपाल में राजशाही को वापस लाने की मांग जोर पकड़ने पर हाल ही में प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली का बयान भी सामने आया था। 16 मार्च को उन्होंने राजशाही समर्थक समूहों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोकतंत्र एक ‘राजमार्ग’ की तरह है, जिसमें कोई ‘रिवर्स गियर’ नहीं होता, केवल कभी-कभार तीखे मोड़ के कारण क्षणिक रूप से गति धीमी करनी पड़ती है। उन्होंने इसके साथ ही आगे बढ़ने पर जोर दिया है। 

ज्ञानेंद्र के समर्थन में उमड़े लोग :

मार्च के पहले हफ्ते में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के सैकड़ों समर्थकों ने राजधानी में उनके स्वागत में रैली निकाली थी। ज्ञानेंद्र (77) पिछले जैसे ही देश के विभिन्न भागों में धार्मिक स्थलों का दर्शन कर पोखरा से काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, समर्थकों ने उनके पक्ष में नारे लगाने शुरू कर दिए। इस रैली का उद्देश्य नेपाल में राजशाही की पुनः स्थापना के प्रति समर्थन प्रदर्शित करना था। 

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इस घटना पर प्रधानमंत्री के पी ओली ने कहा था – ‘‘हमें हमेशा आगे बढ़ने की जरूरत है। पीछे मुड़ना नहीं चाहिए। रिवर्स गियर (वाहन को पीछे ले जाने में सक्षम) कभी-कभी तब लगाया जाता है जब सड़क पर तीखे मोड़ हों। राजमार्ग पर कोई ‘बैक गियर’ नहीं है और लोकतंत्र हमारा राजमार्ग है।’’ पूर्व राजा के समर्थक गत कई दिनों से काठमांडू और पोखरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रैलियां निकाल रहे हैं और 2008 में समाप्त की गई राजशाही को पुनः बहाल करने की मांग कर रहे हैं। राजतंत्र समर्थक फरवरी में लोकतंत्र दिवस के बाद तब सक्रिय हुए जब ज्ञानेन्द्र ने कहा था, ‘‘समय आ गया है कि हम देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय एकता लाने की जिम्मेदारी लें।’ आपको बता दें कि पहले नेपाल में राजशाही तंत्र था, जिसके बाद साजिशों के तहत वहां के पूरे राज परिवार को मौत के हवाले होना पड़ा था। वहीँ वर्तमान सरकार चीन समर्थक है, जिससे लगातार नेपाल समस्याओं से जूझ रहा है।