व्यापार : बैंकिंग सेक्टर में एनपीए (NPA) का फ़ुल फ़ॉर्म है – नॉन-परफ़ॉर्मिंग एसेट. इसका मतलब है कि कोई ऋण या अग्रिम राशि जिसका मूलधन या ब्याज़ भुगतान किसी के पास 90 दिनों से ज़्यादा समय से बकाया है। तो इसे फ़ंसा हुआ कर्ज़ भी कहा जाता है। अब इसको लेकर बैंको के लिये तनाव बढ़ गया है, पिछले 3 सालों में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में जबरदस्त वृद्धि हुई है। क्रेडिट कार्ड के यूज में दर्ज की गई ये बढ़ोतरी कई मायनों में शानदार है। इससे संकेत मिलता है कि देश में उपभोक्ता खर्च में बढ़ोत्तरी हो रही है और इसके साथ ही ऑनलाइन पेमेंट भी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, क्रेडिट कार्ड का बढ़ता इस्तेमाल बैंकों के लिए बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में NPA, या ग्राहकों द्वारा चूक की गई राशि दिसंबर 2024 को खत्म हुई 12 महीने की अवधि के दौरान 1492 करोड़ रुपये (28.42%) की भारी-भरकम बढ़ोतरी के साथ 6742 करोड़ रुपये हो गई। साल 2023 में ये आंकड़ा 5250 करोड़ रुपये था। अब यह धीरे – धीरे बढ़ रहा है। इससे बाजार में भी कमी आ रही है, जहाँ लोग उधार में खरीददारी जरूरत से ज्यादा कर रहे है टन इन्हीं से बाज़ार चलता है, तो वहीँ अब इनके पास कर्ज होने के कारण पैसे की कमी हो रही है।
बैंकों के सकल ऋण बकाया में क्रेडिट कार्ड की हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी :
आंकड़ों के मुताबिक, ये आंकड़ा दिसंबर 2024 में बैंकों के क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में 2.92 लाख करोड़ रुपये के सकल ऋण बकाया का 2.3% है, जबकि पिछले साल ये 2.53 लाख करोड़ क्रेडिट कार्ड बकाये का 2.06% था। एक आरटीआई में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया कि दिसंबर 2020 तक क्रेडिट कार्ड एनपीए 1108 करोड़ से 500% से ज्यादा बढ़ गया है। ये ऐसे समय में हुआ है जब बैंक दिसंबर 2023 में 5 लाख करोड़ (एडवांस का 2.5%) से दिसंबर 2024 तक 4.55 लाख करोड़ (2.41%) तक अपने सकल एनपीए को कम करने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में यह बैंक और बाज़ार के लिये मुसीबत खड़ी कर रहा है।
क्रेडिट कार्ड के बिल पेमेंट में देरी हुई तो बैंक वसूलते हैं भारी ब्याज :
क्रेडिट कार्ड बकाया प्रकृति में असुरक्षित हैं, जिस पर मोटा ब्याज वसूला जाता है। जब ब्याज या मूल किश्त के 90 दिनों से ज्यादा समय तक पेंडिंग हो जाती है तो लोन अकाउंट एनपीए बन जाता है। जब कोई ग्राहक अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान बिलिंग साइकल से बाहर करता है, तो बैंक बकाया राशि पर सालाना 42-46 प्रतिशत का भारी-भरकम ब्याज वसूलता है। इतना ही नहीं, ऐसे में कार्ड यूजर्स का क्रेडिट स्कोर भी काफी खराब हो जाता है। ऐसे में की बार उपभोक्ता इसके चुकारे में सक्षम नहीं हो पाते है।
बिल पेमेंट में देरी होने पर 42 प्रतिशत तक का लग सकता है जुर्माना :
क्रेडिट कार्ड प्रयोगकर्ताओं को ये समझना चाहिए कि अगर वे ब्याज मुक्त अवधि के भीतर बिल का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें कुछ मामलों में 42% तक का ब्याज चुकाना पड़ सकता है। ये स्थिति उन्हें कर्ज के जाल में फंसा सकती है। नवंबर 2023 में, RBI ने उपभोक्ता ऋण, क्रेडिट कार्ड प्राप्तियों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) के प्रति बैंकों के जोखिम भार को 25% से 150% तक बढ़ा दिया था। इस कदम का उद्देश्य इन क्षेत्रों में किसी भी जोखिम के निर्माण को संबोधित करना था। ऐसे में यह उपभोक्ता और बैंक दोनों के लिए सरदर्द बन रहा है।