रायपुर : परत परत भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ियाँ लगातार सामने अ रही है, अब भारतमाला प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों की रिपोर्ट में मंदिर की जमीन को लेकर भी अफरातफरी का मामला सामने आया है। जैतूसाव मठ की बागेतरा गांव में 10 एकड़ जमीन को लेकर हाईकोर्ट में केस चल रहा है। दशकों से इस मामले में मंदिर प्रबंधन न्यायालयीन लड़ाई लड़ रहा है। कुछ अवसरों पर मंदिर प्रबंधन को कोर्ट से राहत भी मिली, लेकिन वर्तमान में हाईकोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। इसके बावजूद तत्कालीन एसडीएम और अन्य अफसरों ने मिलकर जमीन में मंदिर प्रबंधन के विरुद्ध केस लड़ रहे पक्षकार को 2 करोड़ 13 लाख रुपए मुआवजे का भुगतान कर दिया है, जो कि चौंकाने वाला है।
वहीँ इसके साथ ही जांच प्रतिवेदन के साथ ही शासन ने भी इसे नियम विरुद्ध माना गया है। विधानसभा में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने अपने जवाब में भी स्वीकार किया है कि जैतूसाव मठ के मामले में नियमों की अनदेखी कर मुआवजे का भुगतान कर दिया गया। बागेतरा की जमीन का कुल मुआवजा 2 करोड़ 37 लाख का होता है, जिसमें से 2 करोड़ 13 लाख रुपए के मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है। जबकि नियम के अनुसार न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में किसी पक्षकार को मुआवजे का भुगतान नहीं किया जा सकता है, ऐसे में यह भुगतान हैरान करने वाला है।
यहां भी अधिक मुआवजे का खेल :
बागेतरा में मठ की जमीनों में 2 करोड़ 37 लाख 76 हजार 417 रुपए का मुआवजा दिया जाना था। मंदिर प्रबंधन का कहना है, खसरा नंबर 759 का मुआवजा 21 लाख 26 हजार रुपए होता है। जबकि कथित तौर पर फर्जी दावेदार को भुगतान 2 करोड़ 13 लाख 38 हजार 568 रुपए का कर दिया गया है। इस तरह शासन को 1 करोड़ 94 लाख 58 हजार 272 रुपए का अधिक भुगतान किया गया। मंदिर ट्रस्ट ने इसकी शिकायत 2023 में ही कलेक्टर से की थी।
शिकायत के बाद भी किया भुगतान :
जैतूसाव मठ के सचिव महेंद्र कुमार अग्रवाल ने जानकारी दी, जैतूसाव मठ की जमीन को लेकर वर्तमान में हाईकोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। ट्रस्ट को जानकारी मिली कि कुछ लोग खुद का भूमि पर अधिकार बताकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसके बाद वर्ष 2020 और 2023 में पत्र भेजकर जांच की मांग की है और मुआवजा नहीं देने का आग्रह किया है। इसके बावजूद अफसरों ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मुआवजा दे डाला।
कम से कम भगवान को बख्श देते :
जैतूसाव मठ ट्रस्ट के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने इस मामले की शिकायत की थी। शिकायत के बाद मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी को लेकर ट्रस्ट के सचिव महेंद्र अग्रवाल कहते हैं, अफसरों ने जमीनों को टुकड़ों में काटकर शासन को तो खूब चूना लगाया है। कम से कम प्रभु श्रीराम को तो बख्श देते। अफसरों को यह पता था कि प्रकरण कोर्ट में है, इसके बाद भी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मुआवजे का खेल कर डाला। इस तरह इस घोटाले में चौंकाने वाले काम हुये है, जो कि अफसरों की करतूत ही सामने आ रही है।



