नई दिल्ली : वर्तमान में अधिकांश युवा वर्ग सोशल मीडिया प्लेटफार्म से कमाई कर रहा है, ऐसे यूट्यूब सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। वहीँ अगर आप कंटेट क्रियेटर हैं तो यूट्यूब के कमाई के नियमों की जानकारी होना जरूरी है। यूट्यूब हर सिंगल व्यू के लिए क्रियेटर को पैसा देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी वीडियो पर 10 लाख व्यूज आने पर आप मालामाल हो जायेंगे। दरअसल, यूट्यूब अपने क्रियेटर्स को विज्ञापन पर आए व्यूज के लिए पैसा देता है। विज्ञापनदाता की तरफ से मिलने वाली रकम में से 45 प्रतिशत यूट्यूब खुद रखता है और 55 प्रतिशत क्रियेटर्स को देता है। यह सब क्रियेटर्स के विडियो पर चलने वाले विज्ञापन के आधार पर तय होता है।
कैसे काम करता है यूट्यूब का पे-पर-व्यू सिस्टम?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रियेटर्स की कमाई के लिए यूट्यूब का पे-पर-व्यू सिस्टम काम करता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपके वीडियो पर आए हर व्यू के लिए आपको पैसा मिलेगा। असल में यूट्यूब आपके वीडियो पर चलने वाली एड को मिले व्यूज के हिसाब से पैसे देता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके वीडियो पर एक लाख व्यूज आए हैं, लेकिन इस पर कोई विज्ञापन नहीं है तो आपको पैसा नहीं मिलेगा। वहीं अगर आपके वीडियो पर एक लाख व्यूज हैं और उस पर चलने वाली एड को 10,000 व्यूज मिले हैं तो इन्हीं 10,000 व्यूज का पैसा आपके खाते में आएगा। यह विडियो पर चलने वाले व्यू के आधार पर तय होता है।
ज्यादा एड व्यूज मतलब ज्यादा पैसा :
अगर आपके किसी वीडियो पर एक से ज्यादा एड चल रही है तो इन पर आपके वीडियो की तुलना में ज्यादा व्यूज आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में आपके वीडियो पर कम व्यूज होने पर आपकी अच्छी कमाई होगी। असल में यूट्यूब की खुद की कमाई विज्ञापनों से होती है। इसलिए वह केवल विज्ञापनों के आधार पर क्रियेटर्स को पैसा देती है। इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है कि व्यूज के हिसाब से कितना पैसा मिलता है। कमाई सब्सक्राइबर्स, वीडियो की रीच और एंगेजमेंट आदि कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है। फिर भी अगर मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाए तो एक क्रियेटर 1000 एड व्यूज पर 70 रूपये से 500 रूपये तक कमा सकता है।



