सर्दी, खांसी और जुकाम में बच्चों को ना दें कफ सिरप, आजमायें ये घरेलू कारगर नुस्खे….।

रायपुर : कोल्ड्रिफ कफ सिरप से देश भर में कई बच्चों की मौत हो गई है। अकेले मध्य प्रदेश में सिरप पीने से 11 बच्चों की जान चली गई है, जो कि काफी दुखद है। इस घटना के बाद राज्य सरकार के भी कान खड़े हो गए। सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप समेत कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के सभी प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। वहीं, कफ सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों में कफ सिरप पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।

आजमायें ये घरेलु नुस्खे :

दवा माफियाओं ने लोगों के दिमाग पर अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग करने का मानसिक दबाव बनाया हुआ है, दवाइयों में 90% तक की लूट मची हुई है। वहीँ अगर कोई इन दवाइयों के विरोध में कुछ करता है तो ये दावा माफिया उस पर क़ानूनी शिकंजा कस देते है। ऐसे में आम आदमी को भी जागरूक रहना बहुत जरुरी है।

मौसम बदलने पर सर्दी, खांसी और जुकाम हमेशा ही होता है, ऐसे में खांसी-जुकाम के मामलों में दादी मां के नुस्खे सिरप की अपेक्षा अधिक कारगर और सुरक्षित हैं। दो साल से कम उम्र के बच्चे को जुकाम व खांसी आने पर गर्म पानी, भाप और पौष्टिक आहार कारगर होने के साथ कई गुना सुरक्षित भी हैं। अगर समस्या गंभीर है तो पीडियाट्रिक की एडवाइज पर ही सिरप देना चाहिये। इन सिरप में विभिन्न दवाइयों के अवयव भी होते है, जो कि हानिकारक भी होते है।

कई देशों में 15 साल की उम्र तक कफ सिरप बैन :

इस मामले में पीडियाट्रिक एक्सपर्ट ने बताया है कि खांसी-जुकाम होने पर गर्म पानी, भाप व बच्चे के निर्धारित नींद लेने पर खत्म हो जाता है। उसको कफ सिरप देने की जरूरत नहीं होती है। यही कारण है कि कई देशों में 15 साल उम्र तक के बच्चे को भी कफ सिरप देने पर प्रतिबन्ध है। बच्चों को किसी भी फिजीशियन को दिखा कर दवा लेने की बजाए उनके एक्सपर्ट यानी पीडियाट्रिक एक्सपर्ट को ही दिखाकर उनके परामर्श पर दवा व सिरप देना चाहिए। कई डॉक्टर ऐसी दवाइयां भी दे देते है, जिनकी जरूरत नहीं होती है।

बच्चों को वजन के हिसाब से दिया जाता है डोज :

पीडियाट्रिक एक्सपर्ट का कहना है कि कोई भी डॉक्टर बच्चे को एमएल प्रति किलोग्राम वेट के हिसाब से सिरप की डोज का परामर्श देता है। लिहाजा डॉक्टर को दिखाने के बाद उसके परामर्श पर ही बच्चे को किसी प्रकार का सिरप देना चाहिए।

किडनी और लीवर पर पड़ता है असर :

पीडियाट्रिक एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादातर कफ सिरप में प्रिजरवेटिव्स जैसे डाइएथिलीन ग्लाइकाल व एथिलीन ग्लाइकाल होता है। इनके अधिक प्रयोग से बच्चों की किडनी, लिवर समेत बॉडी के अन्य आर्गन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इन सभी अवयव की जरूरत ना के बराबर होती है। लिहाजा बच्चे को कफ सिरप देने की बजाए गर्म पानी, भाप का पहले प्रयोग करें। इसके बावजूद आराम न मिलने पर पीडियाट्रिक एक्सपर्ट से चेकअप कराने के बाद उनके परामर्श भी निर्धारित मात्रा में काई सिरप देना चाहिए। सामान्यतया आवश्यक घरेलु नुस्खे ही प्रयोग करें तो बेहतर है।