इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने सार्वजनिक जगहों पर बुर्का बैन करने का पेश किया विधेयक।

रोम (इटली) : जॉर्जिया मेलोनी एक सशक्त महिला है, उनकी काबिलियत की दुनियां भर में सराहना होती है। कड़े और मजबूत कदम उठाना उनके लिये एक हिम्मत वाला काम है। अब इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने देश में इस्लामिक पहनावे के खिलाफ सख्त एक्शन की तैयारी कर लिया है। सामने आई एक खबर के अनुसार इसके लिये उन्होंने एक नया विधेयक प्रस्तुत किया है, जिसके तहत बुर्का और अन्य इस्लामिक वस्त्रों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है। इस विधेयक में यह प्रस्ताव किया गया है कि स्कूलों, विश्वविद्यालयों, दुकानों और कार्यालयों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर इस्लामिक पहनावे को धारण करने पर जुर्माना लगाया जायेगा। जहाँ दुनियांभर में उके इस कदम की सराहना हो रही है तो वहीँ इस्लामिक कट्टरपंथी इस कदम से नारज भी है।

इटालियन मूल्यों की रक्षा के लिए बताया जरूरी कदम :

प्रधानमंत्री मेलोनी ने अपनी सख्त प्रवास नीतियों और पारंपरिक इटैलियन मूल्यों की रक्षा के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने यह प्रस्ताव इस्लामिक परिधान को लेकर सुरक्षा और पहचान से जुड़े मुद्दों के कारण दिया है। उनका कहना है कि इस तरह के परिधान, जैसे बुर्का या नकाब, न केवल महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता में भी बाधा उत्पन्न करते हैं। मेलोनी के इस प्रस्ताव को इटालियन मूल्यों की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया जा रहा है। उनके इस कदम से इटली के लोगों में एक सुरक्षा की भावना पनपेगी और बुरखे की आड़ में होने वाले अपराधों में कमी भी आयेगी।


सार्वजनिक जगहों पर पहना बुर्का तो देना होगा जुर्माना :

विधेयक में यह भी कहा गया है कि जो लोग इन सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह के परिधान पहनते हुए पाए जाएंगे, उन्हें जुर्माना भरना पड़ेगा। जुर्माने की राशि को लेकर अभी तक कोई विशेष आंकड़ा नहीं दिया गया है, लेकिन इसे सार्वजनिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर माना जा रहा है। मेलोनी का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि इटली में एकजुटता और समानता बनी रहे। ऐसे में राष्ट्रहित में मेलोनी का यह कदम एक प्रबल और मजबूत कदम है।


विपक्ष कर रहा आलोचना :

मेलोनी के इस प्रस्ताव पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आई हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कदम इटली की सांस्कृतिक पहचान और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए जरूरी है। हालांकि, विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाता है और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है। वे इसे भेदभावपूर्ण और असंवेदनशील मानते हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो अपने धार्मिक विश्वासों के कारण इस परिधान को पहनती हैं। इस तरह विपक्षियों ने उनके इस कदम की आलोचना की है।

मेलोनी ने कहा-समाज में समरसता के उद्देश्य से उठाया कदम :

इस प्रस्ताव के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह विधेयक इटली में धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है या नहीं। हालांकि, मेलोनी ने स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य समाज में शांति और समरसता बनाए रखना है, न कि किसी विशेष धर्म या समुदाय के खिलाफ कोई कदम उठाना। इसलिए यह कदम उठाया गया है। जहाँ मेलोनी खुद एक महिला है तो वह खुद आम महिला की दिक्कत समझती है। वहीँ भारत और इटली के सम्बन्धों की बात की जाये तो भारत और इटली में एक अपनापन है, जॉर्जिया मेलोनी के इटली के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी मजबूती आई है।