अमित बघेल ने किया आत्मसमर्पण, प्रशासन की नाकामी या अमित की रणनीति, जानें पूरा माजरा।

रायपुर : कहते है कानून से कोई बच नहीं सकता है, ऐसे में लगातार भगोड़ा घोषित अमित बघेल ने आज रायपुर के देवेंद्र नगर पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया है. आखिर क़ानूनी प्रक्रिया से अपराधी कहाँ तक भागेगा, जितने प्रयास अमित बघेल को अपने पक्ष में करने थे उसने कर लिये उसके बाद अंततः उसने आत्मसमर्पण कर दिया। उनके आत्मसमर्पण की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में उनके समर्थक पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हो गए। धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने के मामले में अमित बघेल आरोपी हैं। अपराध दर्ज होने के करीब 26 दिन बाद उन्होंने आत्मसमर्पण किया। थाने में कानूनी प्रक्रिया के बाद कोर्ट में अमित बघेल को पेश किया जायेगा।

दोपहर करीब 1 बजे देवेंद्र नगर पुलिस थाना आत्मसमर्पण करने पहुंचा था। थाना परिसर के बाहर सड़क पर पुलिस बल के जवानों और अमित बघेल के समर्थकों के बीच हल्की झड़प हुई। बड़ी संख्या में समर्थक पहुंचे थे। कोर्ट और थाने के आस-पास सुरक्षा बढ़ाई गई है। आपत्तिजनक बयानों से जुड़े मामले में अमित बघेल करीब 26 दिनों से फरार चल रहा था।

इसी बीच जानकारी मिली है कि अमित बघेल की मां का शुक्रवार को निधन हो गया है, जबकि उनके नजदीकी सूत्रों ने बताया था कि उनकी माँ का निधन दो दिन पूर्व ही हो गया था, जिसकी हम पुष्टि नहीं करते, जमानत को लेकर यह उनकी रणनीति का हिस्सा बताया गया है। उनका शव पैतृक गांव पथरी ले जाया गया है, जहां अंतिम संस्कार किया जायेगा। माना जा रहा है कि बघेल अब अपने मातृ-वियोग के आधार पर अस्थायी जमानत का आवेदन अदालत में कर सकते हैं। पुलिस ने पूरी स्थिति को “उच्च जोखिम” श्रेणी में रखा है। दो दिन पूर्व ही उनका एक इंटरव्यू निजी यूट्यूब चैनल के स्टूडियो में रिकार्ड किया गया था, जिस पर सवाल उठ रहे थे कि क्या इसमें प्रशासन की मिली भगत है?

वहीँ विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि भाजपा के कुछ सत्ताधीन नेताओं का अमित बघेल को खुला समर्थन है, जिसके तहत उसकी गिरफ्तारी में ढिलाई बरती गई है, जो पुलिस प्रशासन की नाकामी को साबित करता है, जबकि पुलिस प्रशासन ने कहा है कि उन्होंने लगातार अमित को पकड़ने के लिये दिन रात एक किये है। वहीँ छत्तीसगढ़िया अस्मिता रैली का भी आज आयोजन किया गया था, जिसकी अनुमति नहीं ली गई थी, जिसे शासन प्रशासन ने रोक दिया, इस रैली के बहाने पूरे राज्यभर के लोगों का आना तय हुआ था, जिसके जरिये अमित बघेल अपना शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी कर बैठा था, इसके साथ ही पुलिस प्रशासन ने एहतियात के तौर पर सभी रोक लिया।

वहीँ मामले के अनुसार सिंधी समाज के आराध्य और अग्रवाल समाज के महापुरुष को लेकर विवादित बयान देने के मामले में लगातार पुलिस अमित बघेल की गिरफ्तारी के लिए तलाश में जुटी हुई थी। इसके साथ ही उनकी जानकारी देने वाले पर 5000 रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था, फिर भी महीने भर तक अमित बघेल को पकड़ा नहीं जा सका, यह प्रशासन की नाकामी थी या अमित बघेल का सत्तापक्ष के नेताओं के साथ सांठगांठ, कई ऐसी जानकारियां हमारी पास आई है, जिनकी सत्यता को हम लगातार जानकारियां जुटा रहे, उन भाजपा नेताओं का नाम भी सार्वजनिक किया जायेगा। विश्वस्त सूत्रों से बताया जा रहा है कि इस दौरान अमित बघेल रायपुर और रायगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में अपना ठिकाना बदलता रहा है।

3 दिन की रिमांड पर भेजे गये :

अमित बघेल महीने भर से फरार चल रहा था। उसके खिलाफ 12 राज्यों में FIR दर्ज की गई है। वह अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए जमानत मांगने के लिए देवेंद्र नगर थाने पहुंचा और आत्मसमर्पण करने के बाद, उसे रायपुर की देवेंद्र नगर थाना पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस ने बघेल को कोर्ट में पेश किया गया, जहां अदालत ने अमित बघेल को 3 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अब पुलिस कस्टडी में ही अमित बघेल अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल हो पाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- ‘जुबान पर लगाम रखें’

इसके पहले 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अमित बघेल को कड़ी फटकार लगाते हुए उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि, अपनी जुबान पर लगाम रखें। जहां-जहां FIR दर्ज है, वहां की कानूनी प्रक्रिया का सामना करें। कोर्ट ने साफ कहा था कि कोई राहत नहीं दी जाएगी और कानून अपना काम करेगा। अमित बघेल ने अपनी मुसीबतें कम करने के लिये महीनेभर तक प्रयास किया , लेकिन उसे राहत नहीं मिली और अंततः उसने आत्मसमर्पण कर दिया।

12 राज्यों में मामले दर्ज, महीनेभर से फरार :

अमित बघेल के खिलाफ छत्तीसगढ़ के रायपुर के कुछ थानों में, दुर्ग, सरगुजा, धमतरी, रायगढ़ और जगदलपुर में FIR दर्ज हैं। प्रदेश से बाहर एमपी के इंदौर और ग्वालियर, यूपी के प्रयागराज, महाराष्ट्र, नोएडा सहित कुल 12 राज्यों में उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वे पिछले महीनेभर से फरार थे और कई बार अपनी लोकेशन बदलते रहे, जिसके कारण गिरफ्तारी अभियान चुनौतीपूर्ण रहा।

वहीँ मामले की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़ने को लेकर शुरू हुई थी, 27 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रमुख अमित बघेल ने अग्रसेन महाराज, सिंधी समाज के ईष्ट देवता झूलेलाल पर टिप्पणी की थी। अमित बघेल के बयान के बाद अग्रवाल समाज और सिंधी समाज ने प्रदेशभर और देशभर में प्रदर्शन किया था। इसके साथ ही इस घटना को एक साजिश के तहत अंजाम देना बताया गया है। इसके साथ ही अमित बघेल पर कांसा घोटाला का भी आरोप है और उस पर भयादोहन कर पैसा उगाही के मामले भी दर्ज बताये गये है।