धर्म। बागेश्वर धाम के कथा वाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में हैं. बागेश्वर महाराज के नाम से प्रसिद्धि पा चुके धीरेन्द्र शास्त्री लोगों के मन की बात पढ़ने का दावा करते हैं.
लोगों का विश्वास है कि अगर बागेश्वर धाम के दिव्य दरबार में एक बार अर्जी लग जाए तो किस्मत बदल जाती है. महाराज लोगों की समस्या बिना बताए ही पढ़ लेते हैं और फिर उनके मन की बात को बताते हुए कागज पर समस्या का समाधान बताते हुए लिखते हैं कि जल्दी ही आपकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी.
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम गड़ा में स्थित सिद्ध स्थान बागेश्वर धाम सरकार देशभर में प्रसिद्ध हो चुका है.
क्या है बागेश्वर धाम का इतिहास ?
कहा जाता है कि यह मंदिर सालों पुराना है. 1986 में इस मंदिर का रेनोवेशन कराया गया था. इसके बाद 1987 के आसपास वहां पर एक संत का आगमन हुआ, जिनको बब्बा जी सेतु लाल जी महाराज के नाम से जाना जाता था. इनको भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता था.
इसके बाद 1989 के समय बाबा जी द्वारा बागेश्वर धाम में एक विशाल महायज्ञ का आयोजन किया गया. 2012 में बागेश्वर धाम की सिद्ध पीठ पर श्रद्धालुओं की समस्याओं के निवारण के लिए दरबार का शुभारंभ हुआ.इ स प्रकार धीरे-धीरे बागेश्वर धाम के भक्तगण जुड़ने लगे.
बागेश्वर धाम में लोगों की समस्याओं का निवारण किया जाने लगा.
कौन है पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर के पास स्थित, गड़ागंज ग्राम में हुआ था. इनका पूरा परिवार आज भी, उसी गड़ागंज में रहता है. जहां पर प्राचीन बागेश्वर धाम का मंदिर स्थित है. इनका पैतृक घर भी यहीं पर है. यही इनके दादा जी पंडित भगवान दास गर्ग (सेतु लाल) भी रहते थे.
इनके दादा जी ने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की थी. जिसके बाद वे गड़ा गांव पहुंचे. जहां उन्होंने बागेश्वर धाम मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. यहीं पर धीरेंद्र कृष्ण के दादाजी भी दरबार लगाया करते थे. उन्होंने आश्रम सन्यास आश्रम ग्रहण कर लिया था.
धीरेंद्र के पिताजी के कुछ न करने के कारण, परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. तीन-तीन दिन तक खाने का अभाव रहता था. जैसे तैसे गृहस्थी चला करती थी. रहने के लिए एक छोटा-सा कच्चा मकान था. जो बरसात के दिनों में टपका करता था.
इसे हनुमान जी का आशीर्वाद कहिए या फिर किस्मत का खेल. इतनी कम उम्र में धीरेंद्र महाराज शानदार मुकाम और प्रसिद्धि हासिल की है.
बागेश्वर धाम सरकार का दिव्य दरबार-
- छतरपुर के पास एक गांव गढ़ा में बालाजी हनुमान का एक सिद्ध मंदिर.
- बलाजी हनुमान मंदिर के सामने ही शिवजी का मंदिर है जिसे महादेव का मंदिर कहते हैं.
- गढ़ा स्थित बागेश्वर धाम में ही सिद्ध गुरु और दादाजी महाराज की समाधी है.
- गढा का यह बागेश्वर धाम स्थान उत्तराखंड के बागेश्वर धाम की ही शक्ति है.
- पंडित धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग अपने दादाजी भगवानदास गर्ग को ही अपना गुरु मानते थे.
- उनके दादाजी एक सिद्ध संत थे. वह निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे. वे भी दरबार लगाते ते.
- धीरेन्द्रजी को हनुमानजी और उनके स्वर्गीय दादाजी की ऐसी कृपा हुई की उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास होने लगा और वे भी लोगों के दु:खों को दूर करने के लिए दादाजी की तरह ‘दिव्य दरबार’ लगाने लगे.
- धीरेंद्र जी कहते हैं कि उन्हें हनुमानजी और सिद्ध महाराज के प्रत्यक्ष दर्शन हुए है.
- 9 वर्ष की उम्र में ही वे हनुमानजी बालाजी सरकार की भक्ति, सेवा, साधना और पूजा करने लगे थे. कहते हैं कि इसी साधना का उन पर ऐसा असर हुआ की, बालाजी की कृपा से उन्हें लोगों के मन की बात पता चलने लगी.
- बागेश्वर धाम में मंगलवार को अर्जी लगती है. अर्जी लगाने के लिए लोग लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी मनोकामना बोलकर उस नारियल को यहां एक स्थान पर बांध देते हैं और मंदिर की राम नाम जाप करते हुए 21 परिक्रमा लगाते हैं.
क्या सच में होता है कोई चमत्कार
अब इस बात का तर्क देना तो शायद किसी के बस की बात नहीं होगी. क्योंकि वह कहते हैं ना मानो तो भगवान हर जगह है, और ना मानो तो कहीं नहीं. ऐसा ही कुछ यहां भी है. जिनकी आस्था है उनके लिए महाराज की बातें चमत्कार होती है और जिन को इन पर आस्था नहीं है वह इसे अंधविश्वास कहते हैं. हालांकि एक तरफ बाबा इसे अंधविश्वास कहने वालों को चुनौती देते हैं तो ही लोग भी ने दावा कर रहे हैं कि इनकी बातें सच नहीं है.