शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है डिहाइड्रेशन, जानिए क्यों और कितना ज़रूरी है पानी।

भरपूर मात्रा में पानी न पीने से डिहाइड्रेशन। इसमें गला और मुंह सूखता है, आंखों में सूखापन लगता है और थकावट या चक्कर भी महसूस होता है। निर्जलीकरण शरीर को धीरे-धीरे नुक़सान पहुंचाता है। यदि समय रहते इसका सही उपचार नहीं किया जाए तो न केवल यह किडनी के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है, बल्कि दिमाग़ पर भी असर डालना शुरू कर देता है।

क्यों ज़रूरी है शरीर के लिए पानी?

हमारे शरीर का क़रीब दो-तिहाई हिस्सा पानी होता है जो पूरे शरीर के सही तरह से चलने के लिए महत्वपूर्ण है। यह जोड़ों और आंखों जैसे महत्वपूर्ण अंगों को चिकनाहट प्रदान करता है, पाचन में मदद करता है, हानिकारक तथा विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है।

जब पानी की कमी हो जाए…

जब हमारे शरीर में पानी की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है, तो यह शरीर में मिनरल्स यानी खनिजों (नमक और शक्कर) के संतुलन को बिगाड़ देता है। इसके कारण शरीर का कार्य प्रभावित होता है। अगर डिहाइड्रेशन का स्तर बहुत अधिक हो जाए तो इसका सीधा असर पूरे शरीर पर पड़ता है।

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इससे सेहत को नुक़सान होगा

लगातार प्यास लगना, गहरे रंग और बदबू के साथ पेशाब होना, सामान्य से कम, बहुत कम या बार-बार पेशाब आना आदि इसके लक्षण हैं। डिहाइड्रेशन की स्थिति में सिरदर्द, चक्कर, जी घबराने की समस्या भी होती है। आसपास की चीज़ों को देख-समझ पाना भी मुश्किल हो जाता है। अगर डिहाइड्रेशन लगातार बना रहे तो इससे किडनी को स्थायी नुक़सान हो सकता है। इसके अलावा गाढ़े रंग की पेशाब के लगातार बने रहने से किडनी में पथरी भी हो सकती है।

मस्तिष्क पर भी असर

मस्तिष्क का 70-75 फ़ीसदी हिस्सा पानी ही होता है, इसलिए डिहाइड्रेशन का असर दिमाग़ पर भी पड़ता है। सिरदर्द हो सकता है, मनोदशा (मूड) में बदलाव होना या चिड़चिड़ापन महसूस करना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, शरीर और दिमाग़ में समन्वय न बैठना आदि लक्षण हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट के एक अध्ययन के अनुसार जब शरीर अपने सामान्य पानी की मात्रा का केवल 1.5 फ़ीसदी खो देता है, तो लोग अधिक चिंता, चिड़चिड़ापन और थकान का अनुभव करते हैं।

इस तरह बना रहेगा पानी का स्तर

  • अगर डिहाइड्रेशन के ये लक्षण महसूस हो रहे हैं तो सबसे पहले दूध, पतला शर्बत या फलों का रस नियमित अंतराल पर लें। चाय, कॉफ़ी जैसे कैफ़ीन वाले पेय और सोडा युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचें। इसी तरह लगातार उल्टी और दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी होने की स्थिति में कम मात्रा में बार-बार पानी या तरल पदार्थ पीने की कोशिश करें।
  • एक साथ एक गिलास पानी पीने के बजाय घूंट-घूंट पिएं।
  • शिशुओं और छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर उन्हें सादा पानी नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि यह उनके शरीर में पहले से ही कम मात्रा में मौजूद खनिजों को पतला कर देता है जिससे समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है। उन्हें फलों का पतला रस या रिहाइड्रेशन घोल देना चाहिए।
  • प्यास लगने का इंतज़ार करने के बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। आहार में जल युक्त खाद्य पदार्थ भी शामिल कर सकते हैं। जाड़े के मौसम में इस बात का ख़ास ख़्याल रखें।
  • इन सबके बावजूद अगर डिहाइड्रेशन की स्थिति और लक्षण जस-के-तस बने हुए हैं तो यूरोलॉजिस्ट की मदद लें। ध्यान दें कि डिहाइड्रेशन एक स्तर के बाद आपातकालीन स्थिति बन जाता है और इसमें फ़ौरन चिकित्सीय मदद की ज़रूरत पड़ती है।