सीएम भूपेश बघेल बोले : किसी ने सोचा नहीं था गोबर बेचकर पैसा कमा सकते हैं, छग ने इसे साबित कर दिया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन योजना के हितग्राहियों के खाते में सात करोड़ 14 लाख रुपए की राशि ऑनलाइन अंतरित की। जिनमें गोबर विक्रेताओं को 4.55 करोड़, गौठान समितियों को 1.17 करोड़ तथा स्व-सहायता समूहों को 1.42 करोड़ रुपए की लाभांश राशि शामिल है। सीएम भूपेश ने कहा कि गोधन योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। इस योजना की सफलता से देश के अन्य राज्य भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना से हितग्राही आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।किसी ने सोचा नहीं था कि गोबर बेचकर पैसा कमाया जा सकता है लेकिन छत्तीसगढ़ ने इसे साबित कर दिया। विभाग के अफसरों ने बताया कि गोधन योजना के तहत स्वावलंबी गौठान अब खुद के पैसों से गोबर खरीद रहे हैं। नवंबर के पहले पखवाड़े में स्वावलंबी गौठानों ने 2.58 करोड़ रुपए का गोबर खरीदा है, जबकि शासन द्वारा 1.97 करोड़ का गोबर खरीदा गया है।

बताया गया है कि राज्य में औसत रूप से प्रत्येक पखवाड़े 4 से 5 करोड़ रुपए की गोबर खरीदी गौठानों में हो रही है, जिसमें से दो से ढ़ाई करोड़ रुपए का गोबर स्वावलंबी गौठान खुद के पैसों से खरीद रहे हैं। कुछ पखवाड़े से यह स्थिति बन गई है कि गोधन योजना से गोबर खरीदी की राशि का लगभग 50 प्रतिशत से भी कम का भुगतान ही सरकार के जिम्मे आ रहा है। राज्य में 4010 गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी बन गए हैं इन गौठान समितियों के पास 103 करोड़ रुपए की पूंजी जमा है।

गौठान समितियों ने अब तक 26.73 करोड़ रुपए का गोबर खुद के पैसों से खरीदा गया है। वहीं अब तक इस योजना के तहत अब तक गोबर खरीदी के एवज में गोबर विक्रेता पशुपालक ग्रामीणों को 179.28 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। रविवार को 4.55 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद यह आकड़ा 183.83 करोड़ रुपए हो गया है।

24.74 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन भी
गौठानों में 24.74 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसमें 16.3 लाख क्विंटल 10 रुपए किलो ,3.80 लाख क्विंटल सुपर कंपोस्ट 6 रुपए और 3.46 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस की 6.50 रुपए किलो की दर से बेचा गया है।

की जा चुकी है 95 हजार लीटर गौमूत्र खरीदी, इसे बेचकर कमा चुके हैं 15 लाख
83 गौठानों में 4 रुपए प्रति लीटर की दर से 95 हजार 241 लीटर गौमूत्र खरीदा गया है, जिससे 32 हजार 266 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र तथा 19 हजार 555 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन किया गया है, जिससे 15 लाख रुपए आय हो चुकी है।

तीन लाख से ज्यादा लोग हो रहे लाभान्वित
राज्य में 10 हजार 448 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 9 हजार 36 गौठान शुरू हो चुके हैं। गौठानों में 2 रुपए प्रति किलो की दर पर गोबर खरीदी की जा रही है। इससे 3 लाख 2 हजार 118 ग्रामीण, पशुपालक और भूमिहिन लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें भूमिहीनों 1 लाख 66 हजार 279 हैं। में 46.13 फीसदी महिलाएं हैं। आेबीसी 49.03 फीसदी, एसटी 39.56 फीसदी, एससी 8.10 फीसदी लाभान्वित हैं।