अयोध्या/उत्तर प्रदेश : राम भक्तों का सैकड़ों वर्षों का इंतजार अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। आज से ग्यारह महीने बाद प्रभु श्रीराम अपने भव्य गर्भ गृह में श्रद्धालुओं को दिव्य दर्शन देने वाले हैं। वहीं, दूसरी तरफ इन दिनों नेपाल के गंडकी नदी से आ रहे रामशिला की चर्चा पूरे देश में हैं. नेपाल से चलकर यह रामशिला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर पहुंच गया है। यहां लाखों की संख्या में राम भक्त अहिल्या रूपी पाषाण का पूजन-अर्चन कर रहे हैं। धर्म नगरी अयोध्या में यह शिला दो फरवरी को नेशनल हाइवे के रास्ते राम मंदिर निर्माण की कार्यशाला रामसेवक पुरम में पहुंचेगा। जहां श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी समेत साधु संत और विश्व हिंदू परिषद के लोग शालिग्राम शिला का भव्य स्वागत करेंगे। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है. मंदिर निर्माण के साथ अब भगवान के स्वरूप को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. इसी बीच नेपाल के काली गंडक नदी से दो विशालकाय शालिग्राम देवशिला अयोध्या लाये गये हैं। बताया जा रहा है कि इसी देवशिला से भगवान राम समेत चारों भाइयों की प्रतिमा उकेरी जाएगी। फिलहाल दोनों विशालकाय शालिग्राम देवशिला अयोध्या के रामसेवक पुरम में रखे गए हैं।
इसमें एक शिला 26 टन और दूसरी शिला 14 टन की है। भगवान राम के मूर्ति निर्माण के लिए अयोध्या लाई गई शिला भी अनमोल है. ऐसी विशेषताएं हैं जिन पर लोहे के औजार का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा ऐसे में विशालकाय शिला पर हीरा काटने वाले औजार का प्रयोग होगा। ये हम नहीं कह रहे बल्कि ये बातें नेपाल के भू-गर्भीय वैज्ञानिक ने कही हैं। इन शिलाओं पर कई दिनों तक रिसर्च करने वाले नेपाल के भूगर्भीय वैज्ञानिक डॉ. कुलराज चालीसे यह दावा कर रहे हैं। मां जानकी की नगरी से भगवान राम के स्वरूप निर्माण के लिए लायी गयी देवशिला में 7 हार्नेस की है। इसलिए लोहे की छेनी से नक्कासी नहीं की जा सकती है।
नेपाल के शोधकर्ता डॉ कुलराज चालीसे वैज्ञानिक ने कहा कि 600 करोड़ वर्ष पुराना पत्थर माना जा रहा है. इस पत्थर को तराशने के लिए लोहे के औजार का प्रयोग नहीं किया जा सकता। पत्थर को नक्काशी करने के लिए हीरे के औजार की आवश्यकता पड़ेगी. नेपाल के भू गर्भीय वैज्ञानिक ने दावा किया कि लोहे में पांच हार्नेस होता है इस पत्थर का सात हार्नेस है
भू गर्भीय वैज्ञानिक डॉक्टर कुलराज चालीसे ने कहा कि जून से लेकर अभी तक हमने इस पत्थर पर रिसर्च किया. जब हमको यह पता चला कि शालिग्राम शिला से भगवान राम की प्रतिमा बनाई जाएगी. जून के महीने में हम अयोध्या आए थे तब हमको पता चला था तभी से हम इस पत्थर पर रिसर्च कर रहे हैं, उसी के आसपास हमने पहला रिपोर्ट भी दे दिया था इस पत्थर के बारे में उसके बाद इस पर स्टडी करने में काफी टाइम लगा।