छत्तीसगढ़ में आरक्षण मामलाः हाईकोर्ट ने भेजा राज्यपाल सचिवालय को नोटिस, 2 सप्ताह के भीतर मांगा जवाब…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में नया आरक्षण विधेयक अभी भी अटका हुआ है। इसे लेकर हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। आरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने रखा सरकार का पक्ष
आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने तर्क देते हुए कहा कि राज्यपाल को सीधे तौर पर विधेयक को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। मामले में जवाब के लिए 2 सप्ताह का समय दिया गया है।

विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असमति दे सकते हैं। लेकिन, बिना किसी वजह के बिल को इस तरह से लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है।

नए आरक्षण विधेयक में किस वर्ग को कितने आरक्षण का प्रावधान

आपको बता दें कि, राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण रखने नया आरक्षण विधेयक पारित किया है। लेकिन इस विधेयक को राज्यपाल की सहमति नहीं मिली है। राज्यपाल के विधेयक स्वीकृत नहीं करने को लेकर राज्य शासन ने याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल को विधानसभा में पारित किसी भी बिल को रोकने का अधिकार राज्यपाल को नहीं है।