रायपुर दक्षिण : भाजपा से जीत की गारंटी, तीन दशक से बना हुआ है भाजपा का गढ़।

रायपुर : रायपुर संसदीय क्षेत्र और विधानसभा रायपुर दक्षिण में 13 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहा है, यहाँ बीते तीन दशक से ज्यादा समय से भाजपा को कोई हरा नहीं पाया है। अब तक का इतिहास देखा जाए, तो रायपुर दक्षिण का मतलब भाजपा की जीत की गारंटी रहा है, क्योंकि रायपुर दक्षिण से अब तक कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी जीत क्या, जीत के आसपास भी नहीं पहुंच पाया है। रायपुर दक्षिण के बनने से पहले रायपुर शहर में भी भाजपा का दबदबा रहा है। बृजमोहन अग्रवाल के तिलिस्म को कोई भी नहीं तोड़ पाया। यह पहला मौका होगा, जब रायपुर दक्षिण में बृजमोहन अग्रवाल के स्थान पर भाजपा का कोई दूसरा प्रत्याशी मैदान पर होगा। अब तक कांग्रेस को जीत न मिलने के कारणों का खुलासा यहां पर हारने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद दुबे और कन्हैया अग्रवाल करते हैं।

अब जबकि पहली बार यहाँ का प्रत्याशी बदलने जा रहा है तो अब यहाँ की कमान कौन संभालेगा? अब जबकि रायपुर दक्षिण के अपराजेय योद्धा बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा सांसद बनने के बाद यहां की सीट खाली हुई है। अब इस सीट पर 13 नवंबर को चुनाव होना है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस सीट से भाजपा के जिस भी प्रत्याशी को टिकट मिलेगा, उसके लिए जीत मुश्किल नहीं होगी। भाजपा का कहें या फिर बृजमोहन अग्रवाल का, यहां पर बड़ा वोट बैंक है, जिसमें आज तक कोई सेंध नहीं मार पाया है। यहाँ से कभी भी कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी जीत नहीं सका है।

लगातार तिन दशक से जीते बृजमोहन :

छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद जब 2008 में परिसीमन किया गया, तो रायपुर शहर और रायपुर ग्रामीण की दो सीटों को चार सीटों में बांटा गया है, तो रायपुर दक्षिण विधानसभा सामने आई है। इस सीट से रायपुर शहर का चुनाव लड़ने वाले बृजमोहन अग्रवाल को टिकट दिया गया था। 2008 और 2013 में भी वे जीते और मंत्री बने। इसके बाद 2018 के चुनाव में भाजपा के हाथ से सत्ता चली गई, इसी के साथ रायपुर शहर की चार में से तीन सीटें भी चली गईं, लेकिन रायपुर दक्षिण में बृजमोहन का दबदबा कायम रहा और वे जीत गए। इसके बाद इस बार तो 2023 के चुनाव में तो बृजमोहन अग्रवाल रिकार्ड 68 हजार मतों से जीते। इसी के साथ भाजपा की सत्ता में वापसी होने पर उनको मंत्री बनाया गया, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय संगठन ने उनको 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़वाया और वे यहां भी जीत गए। रायपुर दक्षिण से पहले बृजमोहन अग्रवाल 1990 से लगातार रायपुर शहर की सीट से जीतते रहे हैं। 35 साल तक बृजमोहन अग्रवाल का तिलिस्म कोई भी नहीं तोड़ सका है। बा पार्टी नेतृत्व को यहाँ ऐसे ही नेता की जरूरत है जो इसे बरक़रार रख सके।

क्या कहा कांग्रेस के नेताओं ने :

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कांग्रेस प्रत्याशी रहे कन्हैया अग्रवाल का कहना है कि यहां पर कांग्रेस के अपने ही कार्यकर्ता चुनाव के अंतिम दिनों में घर बैठ जाते हैं, इसलिए कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिल पाती। चुनाव के समय पार्टी के कार्यकर्ता पूरी तरह से सक्रिय हो कर काम करते हैं। पार्टी के जो स्वोथायीट हैं वह पूरे मिलते हैं, लेकिन ऐसे वोट जिन्हें कार्यकर्ताओं की मेहनत से लिया जा सकता है, वो नहीं मिलते।

कांग्रेस के पूर्व महापौर और सभापति प्रमोद दुबे ने कहा : दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश मतदाता पढ़-लिखे और मध्यम वर्ग से संबंधित हैं। यहां पर टिकट वितरण के समय कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ध्यान रखकर टिकट वितरण नहीं किया जाता, ऐसे में कार्यकर्ता हतोत्साहित हो जाते हैं। चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों के 40 हजार से अधिक वोट पड़ते ही हैं। शेष डेढ़ लाख मतदातओं के न्यूट्रल वोट प्रत्याशी सक्रियता को देखकर लोग देते हैं। यहां पर बृजमोहन अग्रवाल की बात लें तो उनकी सक्रियता के चलते उन्होंने अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है। 

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