ईद को लेकर मुस्लिम क्षेत्रों में विशेष सफाई का आदेश, मस्जिदों के पास कचरा हटाने का चलेगा अभियान, और भी व्यवस्थाओं का हुआ आदेश।

रायपुर : रमजान का पाक महीना है और 22 को ईद मनाई जा रही है, नगर निगम ईद को ध्यान में रखकर विशेष अभियान चलाएगा। इसे लेकर बाकायदा रायपुर नगर निगम के कमिश्नर ने सभी जोन कमिश्नरों को एक आदेश जारी कर दिया गया है। नगर निगम 22 अप्रैल को ईद-उल-फितर को ध्यान में रखकर खास तैयारियां कर रहा है। रायपुर नगर पालिक निगम के आयुक्त मयंक चतुर्वेदी ने निगम के सभी जोन कमिश्नरों, उपायुक्त स्वास्थ्य, कार्यपालन अभियन्ता जल, कार्यपालन अभियन्ता विद्युत को निर्देशित किया है। आयुक्त की ओर से कहा गया है कि शनिवार को ईद उल फितर पर नगर की प्रमुख मस्जिदों, ईदगाहों में सफाई, कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव, पानी के टैंकरों, स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

इसलिये अब निगम विशेष रूप से ईदगाहभाठा, मौदहापारा, छोटापारा, तात्यापारा, पंडरी, ईरानी डेरा और अन्य स्थानों पर स्थित मस्जिदों के आस-पास विशेष सफाई करवाएगा, जिससे मुस्लिम समुदाय अच्छे तरीके से ईद की खुशियाँ मना सके। यहां लोगों के लिए पानी के टैंकर मौजूद होंगे। निगम के कर्मचारियों के विंग को इन जगहों की स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था को ठीक करने के काम पर लगाया गया है। निगम आयुक्त की ओर से जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि नगर के मुस्लिम बाहुल वार्डों में विशेष सफाई अभियान चलाएं, सीरत मैदान शास्त्री बाजार के सामने विशेष सफाई होगी, चूने की लाइनिंग बनाई जाएगी। खास व्यवस्था होगी।

24 मार्च से हुई थी रमजान की शुरुआत :
इस साल रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत शुक्रवार 24 मार्च (जुमा) से हुई थी। इसके बाद 29 से 30 रोजा रखने के बाद चांद को देखकर ईद का ऐलान किया जाता है। ऐसे में ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में इस साल ईद शनिवार 22 अप्रैल को मनाई जा सकती है। इस्लामी कैलेंडर में रमजान नौवां महीना होता है। इस महीने में उपवास के दौरान पानी का भी सेवन नहीं किया जाता है।

रायपुर की मशहूर मस्जिदों का इतिहास :
वर्तमान में शहर में लगभग 51 मस्जिदें हैं। छोटापारा मस्जिद का निर्माण 200 साल पहले हुआ था। यहां की जो सबसे खास बात है वो है इसकी मीनारें। इस पर गोल घुमावदार सीढ़ियां बनाई गई हैं। जब लाउड स्पीकर्स नहीं थे, मौलाना इन्हीं सीढ़ियों के जरिए ऊपर जाकर अजान देते थे। जानकार बताते हैं कि यह मस्जिद ईरान के तेहरान की तर्ज पर बनाई गई है। यह अपने आप में ही एक खास मस्जिद का स्थान रखती है, इसका इतिहास काफी पुराना है।

बैरनबाजार की जामा मस्जिद के आगे एक चर्च है। पास ही देवी का प्राचीन मंदिर भी है। माना जाता है कि इन तीनों का निर्माण एकसाथ लगभग 170 साल पहले हुआ था। दरअसल, तब पेंशनबाड़ा क्षेत्र ब्रिटिश सैनिकों की छावनी थी। यहां सैनिकों की टुकड़ियां लंबे वक्त के लिए रुका करती थीं। इसमें अलग-अलग धर्मों को मानने वाले थे। ब्रिटिश सेना के प्रमुख लॉर्ड बैरंड ने एकसाथ 3 धार्मिक केंद्र उन्हीं सैनिकों के लिए बनवाए थे। जानकार बताते हैं कि जामा मस्जिद का नाम पहले पल्टन मस्जिद था। जब देश में अंग्रेजी शासन था।

मौदहापारा में लगभग 90 साल पुरानी अशरफुल औलिया मस्जिद सूबे की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसका मुख्य द्वार ही करीब 56 फीट ऊंचा है। इसके अलावा इसकी 195-195 फीट ऊंची 2 मीनारें और गुंबद ताजमहल का अहसास कराती हैं। यहां 5 हजार बंदे एकसाथ बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं। यह पूरी तरह से वातानुकूलित है। यह मस्जिद शहर के बीच में स्थित है, शहर की सबसे बड़ी मस्जिद इसे ही माना जाता है।