निकाह के बाद पति के साथ भोलेबाबा की शरण में पहुंचीं पाक के मौजूदा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की बहन। इस बात को पुराने हिंदू सिंधियों को श्रद्धांजलि के रूप में देखा गया है।

पाकिस्तान: पाकिस्तान अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है , लेकिन अब यह एक नयी बात सामने आई है , जहाँ पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भतीजी, मौजूदा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की बहन, लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और पाकिस्तान के दिवंगत प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की पोती फातिमा भुट्टो ने अपनी शादी के बाद कराची के एक हिंदू मंदिर में जाकर एक नई मिसाल कायम की है। दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भतीजी और मुर्तजा भुट्टो की 40 वर्षीय बेटी फातिमा का निकाह शुक्रवार को कराची में उनके दादा के पुस्तकालय में हुआ था।

फातिमा और उनके पति, ग्राहम जिब्रान जैसे ही रविवार को कराची में प्राचीन महादेव मंदिर पहुंचे, उनकी खबर ने सोशल मीडिया पर आग की तरह फ़ैल गई। फातिमा का हिन्दू मंदिर जाना प्राचीन काल में कराची में बसे पुराने हिंदू सिंधियों को श्रद्धांजलि के रूप में देखा गया है। ख़बरों के मुताबिक फातिमा के पति ग्राहम अमेरिकी नागरिक हैं। मंदिर में फातिमा ने अपने पति (जो एक ईसाई हैं), भाई जुल्फिकार अली भुट्टो जूनियर और हिंदू नेताओं के साथ विधि-विधान से पूजा की और देवी देवताओं पर दूध से अभिषेक किया।

सोशल मीडिया पर मंदिर में पूजा करने की उनकी तस्वीर खूब वायरल हो रही है। इस पर यूजर्स कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ट्विटर अकाउंट हैंडल ‘सिंधी-अजरक’ वाले एक यूजर ने तस्वीर पर कमेंट करते हुए लिखा, “ऐसी तस्वीरें देखना बहुत अच्छा लगता है।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “लवली” लेकिन कई लोग इस बात से हैरान थे कि फातिमा एक हिंदू मंदिर में क्या कर रही थीं।

कुलसुम मुगल नाम के एक ट्विटर यूजर ने पूछा, “इस रस्म (अनुष्ठान) का मतलब क्या है?” एक अन्य यूजर ने कहा, “तो सिंध में धर्मनिरपेक्षता का मतलब क्या हिंदू धर्म का पालन करना है।” फातिमा के भाई ने एक ट्वीट में कहा कि पिछले कुछ समय से देशवासियों और देश की महिलाओं द्वारा महसूस की जा रही कठिन परिस्थितियों के कारण, हमें निकाह का जश्न भव्य रूप से  मनाना अनुचित लगा। कृपया फातिमा और ग्राहम (जिब्रान) को अपनी प्रार्थनाओं में रखें और उन्हें शुभकामनाएं दें।” यहाँ के हालात काफी ख़राब चल रहे है।

भुट्टो परिवार पाकिस्तान की राजनीति में एक ताकतवर परिवार रहा है लेकिन यह परिवार त्रासदियों से भी प्रभावित रहा है। जुल्फिकार अली भुट्टो को सैन्य तख्तापलट के बाद अप्रैल 1979 में सैन्य तानाशाह जिया उल हक ने फांसी दे दी थी। उनकी सबसे बड़ी बेटी, बेनज़ीर भुट्टो, जो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकी थीं, की दिसंबर 2007 में रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी। इससे पहले सितंबर 1996 में क्लिफ्टन में भुट्टो के आवास के पास छह अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनके भाई मुर्तजा भुट्टो को भी पुलिस ने उस समय मार डाला था, जब उनकी बहन प्रधानमंत्री थीं। उनके छोटे भाई शाहनवाज भुट्टो भी 1985 में फ्रांस में अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे। ये सब बातें इस परिवार को ऐतिहासिक बनाती है।