रायपुर : इस वर्ष छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव है। खासकर राजधानी रायपुर के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में इसका असर देखने को मिल रहा है। कांग्रेस फिलहाल सत्ता में है। 2018 के चुनाव में ठीक-ठाक अंतर से भाजपा को हराया। लेकिन इस बार अब भाजपा के नेता अपने सियासी करियर को चमकाने की कोशिश में लगे हैं। वो सभी लगातार प्रयास कर रहे है।
पार्टी का फैसला चाहे जो भी हो। फिलहाल अपनी दावेदारी दीवारों के जरिए बीजेपी नेता करने लगे हैं। दीवारों के जरिए दावेदारी से आशय वॉल राइटिंग से है। रायपुर के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के मोहल्ले, मैदान, यहां तक कि, कचरा फेंकने की जगहों तक को इन नेताओं ने नहीं छोड़ा है। जगह-जगह अपने विज्ञापन बनाना चालू कर दिया है। जहां खाली दीवाल देखी वहीं अबकी बार भाजपा सरकार लिखकर बड़े बड़े अक्षरों में अपना नाम भी लिख दिया है। इलाके के लोगों के जहन में अपना नाम जिंदा रखने की कोशिश है। दीवारों पर यू नाम लिखकर ऐसा साबित कर रहे हैं कि, सियासत की बस की सीट पर मानो इन्होंने रुमाल रख दिया है।
लगभग सभी नेताओं ने अपनी चुनावी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है, सभी नेता एक-दुसरे के इलाके में घुसपैठ कर रहे है। राजीव अग्रवाल ने रायपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में कई जगहों पर अपने नाम लिखवाए हैं। इस सीट से पूर्व विधायक नंदे साहू चुनाव लड़ते रहे हैं। राजीव अग्रवाल की वॉल राइटिंग में कहीं भी नंदे साहू का जिक्र नहीं है। इसके अलावा रायपुर उत्तर विधानसभा जहां भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी और संजय श्रीवास्तव अपना जोर लगाते हैं उन इलाकों में भी राजीव अग्रवाल ने अपने नाम पर वॉल राइटिंग करवा रखी है। उत्तर विधानसभा में कुछ जगहों पर संजय श्रीवास्तव और श्री चंद के नाम लिखे हैं तो बहुत सी जगहों पर राजीव अग्रवाल के नाम भी। चर्चा है कि अग्रवाल इस कोशिश में है कि रायपुर ग्रामीण या उत्तर, जहां से भी मुमकिन हो बस टिकट मिले।
राजीव अग्रवाल ने रायपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में कई जगहों पर अपने नाम लिखवाए हैं। इस सीट से पूर्व विधायक नंदे साहू चुनाव लड़ते रहे हैं। राजीव अग्रवाल की वॉल राइटिंग में कहीं भी नंदे साहू का जिक्र नहीं है। इसके अलावा रायपुर उत्तर विधानसभा जहां भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी और संजय श्रीवास्तव अपना जोर लगाते हैं उन इलाकों में भी राजीव अग्रवाल ने अपने नाम पर वॉल राइटिंग करवा रखी है। उत्तर विधानसभा में कुछ जगहों पर संजय श्रीवास्तव और श्री चंद के नाम लिखे हैं तो बहुत सी जगहों पर राजीव अग्रवाल के नाम भी। चर्चा है कि अग्रवाल इस कोशिश में है कि रायपुर ग्रामीण या उत्तर, जहां से भी मुमकिन हो बस टिकट मिले।
करारी शिकस्त से भाजपा के लिये छत्तीसगढ़ का किला जीतना मुश्किल :
छत्तीसगढ़ राज्य जब बना था तब यहाँ कांग्रेस अधिकतर सीटों में सत्ताधीन थी , जिसको लेकर छत्तीसगढ़ के निर्माता अटल जी को लोगों ने उस समय राज्य निर्माण न करने की सलाह दी थी , फिर भी उन्होंने वादा निभाया और नवनिर्मित छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जोगी सरकार बनी उसके बाद जब पारंपरिक चुनाव हुये तो रमन सिंह की सरकार का आगाज हुआ, और उन्होंने 15 साल तक बेहद विकास किया लेकिन अंतिम 5 वर्ष में एंटी इन्कमबेंसी और बड़े नेताओं के रवैये के कारण आम आदमी त्रस्त हो चूका था, जिसके कारण सत्ता से विदाई हो गई, बातें बहुत है लेकिन मुख्य मुद्दे पर आते है, राज्य निर्माण के समय जो आम आदमी कांग्रेस का वोटर था वो आज भी उसके साथ ही है, चुनावी रणनिति के कारण भाजपा ने 15 साल की सत्ता हासिल कर ली जो की अब मुश्किल नजर आ रही है, क्यूंकि छत्तीसगढ़ का आदिवासी क्षेत्र , गांव के मतदाता वर्तमान सरकार से बेहद खुश है, जिनकी संख्या शहरी वोटरों की अपेक्षा काफी ज्यादा है, और लगातार उपचुनावों में होने वाली हार ने बाकी उम्मीदें भी भाजपा की खत्म कर दी है, छत्तीसगढ़ शांत माहौल है यहाँ सांप्रदायिक मुद्दे काम नहीं आने वाले सिर्फ शहर के 50 फीसदी मतदाता ही भाजपा के साथ जा सकते है , छत्तीसगढ़ का क्षेत्रीय वर्ग खुश है और अल्पसंख्यक कांग्रेस का स्थायी वोटर है, कुल मिलाकर भाजपा की सता छत्तीसगढ़ में मुश्किल ही है, बाकी समय के साथ भाजपा की रण निति कितनी काम आती है देखने का विषय है। बाकी ED की कार्यवाही हो या घोटाले निकलकर आ जायें, अधिकतर जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता, उसे समझ ही नहीं है की ये मुद्रा स्फीति , संकुचन , राष्ट्र पर कर्जे का क्या प्रभाव पड़ता है? अधिकतर आम जनता अपने शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य की समस्याओं में ही उलझी हुई है।
रायपुर की 7 सीटों पर क्या था भाजपा का हाल :
रायपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विकास उपाध्याय को 76359 वोट मिले थे, बीजेपी के राजेश मूणत 64147 वोट के साथ हार का सामना करना पड़ा।
दक्षिण विधानसभा भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल 77589 वोटों के साथ जीते थे, कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल 60093 वोट के साथ हार गए थे।
उत्तर विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप जुनेजा 59843 वोट पाकर जीते और श्रीचंद सुंदरानी जो भाजपा के उम्मीदवार थे 43502 वोट पाकर हारे थे।
आरंग विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी शिव कुमार डहरिया 69900 वोट पाकर जीते थे, भाजपा के प्रत्याशी संजय 44823 वोट पाकर हारे थे।
अभनपुर विधानसभा में कांग्रेस के प्रत्याशी धनेंद्र साहू 76761 वोट पाकर जीते थे। भारतीय जनता पार्टी के चंद्रशेखर साहू को 53290 वोट मिले थे।
धरसीवा विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी अनीता शर्मा को 78989 वोट मिले थे। भाजपा के देवजी भाई पटेल 59589 वोट पाकर हारे थे।
रायपुर ग्रामीण सीट में कांग्रेस के प्रत्याशी सत्यनारायण शर्मा 78468 वोट पाकर जीते थे। भारतीय जनता पार्टी के नंदकुमार साहू को 68015 वोट मिले थे।