लखनऊ कोर्ट में चली गोली, मुख्तार अंसारी के करीबी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या।

लखनऊ (उ.प्र.) : उत्तर प्रदेश में अपराधी एन्काउंटर को लेकर डर के साए में जीने को मजबूर है, वहीँ मुख़्तार अंसारी को भी इसी बात का डर सता है, अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तरह पुलिस अभिरक्षा में एक और गैंगस्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई है,  गैंगस्टर  संजीव जीवा को गुरुवार को लखनऊ सिविल कोर्ट के अंदर गोली मार दी गई, बताया जा रहा है की यह मुख़्तार अंसारी का करीबी था जो मुख़्तार के लिये फिरौती का धंधा का काम करता था, पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हमलावर वकील के भेष में कोर्ट पहुंचे थे और उन्होंने जीवा पर हमला कर दिया।

जिस संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट परिसर में हत्या हुई है वह कोई सड़काें पर घूमने वाले टुच्चे बदमाशों जैसा नहीं बल्कि एक हाई प्रोफाइल गैंगस्टर हुआ करता था। संजीव जीवा अपने शुरुआती जीवन में एक आम इंसान की तरह नौकरी करने वाला व्यक्ति था।

यह गैंगस्टर भाजपा नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या का मुल्जिम था और उसे सुनवाई के लिए अदालत में लाया गया था। गोली लगने से जीवा मौके पर ही गिर पड़ा जबकि एक पुलिस अधिकारी भी घायल हो गया। सहायक पुलिस आयुक्त सुनील कुमार मिश्रा ने कहा कि घटना की खबर मिलने के बाद डीसीपी वेस्ट और डीसीपी सेंट्रल कोर्ट परिसर पहुंचे हैं।

हादसे के बाद सरकार ने कहा है कि जो भी इस घटना में शामिल होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी, वहीं सपा प्रमुख और विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने इस घटना के बाद राज्य के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है और इसे सरकार की विफलता बताया है।

बदमाशी का भूत सवार हुआ तो किया अगवा :

जीवा के आपराधिक जीवन की शुरुआत 90 के दशक से होती है। इसके पहले वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर की नौकरी करता था। मुजफ्फरनगर का रहने वाला जीवा के सिर पर बदमाशी का भूत सवार हुआ तो उसने उस दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया, जिसके यहां वह कंपाउंडर की नौकरी करता था। यहीं से उसके अपराध की दुनिया शुरू हुई।

हरिद्वार में नाजिम गैंग में घुसा, फिर… :

इसके बाद जीवा उत्तराखंड के हरिद्वार जा पहुंचा और नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ गया, लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की ललक सवार थी। 1997 में भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में भी जीवा का नाम सामने आया था। इस मामले में कोर्ट ने जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस कांड के बाद जीवा मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हुआ और उसने माफिया मुख्तार अंसारी से नजदीकियां बढ़ा ली।

कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया था जीवा का नाम :

मुख्तार अंसारी का करीबी होने के कारण जीवा का नाम 2005 में कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था। जीवा हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क जानता था, जिस कारण अंसारी ने भी उसे अपनी शह दी हुई थी। हालांकि, कुछ सालों बाद कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में दोनों को कोर्ट ने बरी कर दिया था। लगातार मामलों में जीवा जमानत पर बाहर था।

22 से ज्यादा मुकदमे, 17 में बरी :

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है। जीवा की गैंग में 35 से ज्यादा गुर्गे शामिल हैं। बताया गया कि संजीव जेल में भी रहकर गैंग ऑपरेट करता था। साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी जीवा पर आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आज वो सुनवाई के लिये कोर्ट गया था , जहाँ उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।