रायपुर : पंजाब के अमृतसर में लाल माता मंदिर के नाम से ऐसा ही एक मंदिर बना हुआ है, जहाँ माँ वैष्णो के दिव्य स्वरूप के दर्शन होते है और लोग माँ वैष्णों देवी के दिव्य दरबार का आनंद लेते है, अब ऐसा ही 5 मंजिला दिव्य दरबार रायपुर में बन रहा है, चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, यह भजन माता के प्रत्येक भक्त की जुबान पर होता है। भजन गाते हुए श्रद्धालु जम्मू के कटरा स्थित पहाड़ी पर बने मां वैष्णो देवी का दर्शन करने जाते हैं। जिन श्रद्धालुओं को जम्मू जाने का अवसर नहीं मिला, वे श्रद्धालु राजधानी में ही मां वैष्णो देवी के दर्शन का लाभ ले सकेंगे। खारुन नदी के किनारे महादेवघाट पुल के उस पार निर्माणाधीन वैष्णो देवी मंदिर संभवत: अगले साल तक अस्तित्व में आ जाएगा। मंदिर निर्माण के बाद पूरे मध्य भारत में यह भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहेगा। लोगों के मन में माता वैष्णो देवी को लेकर संशय रहता है की वे जम्मू जाकर कैसे दर्शन करेंगे, अब इसका लाभ भक्त रायपुर में ही ले सकते है।
कैलाश पर्वत के नीचे 12 ज्योतिर्लिंग :
लगभग 50 हजार वर्गफीट में बनाए जा रहे इस मंदिर की खासियत यह है कि सबसे उपर कैलाश पर्वत की आकृति बनाई जा रही है। पर्वत के निचले भाग में चारों ओर 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना की जाएगी। कैलाश पर्वत की चोटी पर किसी श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। मंदिर में जिस जगह वैष्णो देवी की प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया जाएगा, वहां तक जाने के लिए गुफा बनकर तैयार हो चुकी है। इस गुफा की विशेषता यह है कि गुफा के भीतर एक साथ दो व्यक्ति नहीं चल पाएंगे। एक के पीछे एक चलना होगा। खासकर युवाओं के लिए यह गुफा आकर्षण का केंद्र रहेगी। गुफा के भीतर विशेष लाइट जगमगाएगी। जो बुजुर्ग गुफा के भीतर जाने में अक्षम होंगे, उनके लिए साधारण मार्ग भी बनाया गया है। इस मंदिर के बारे में अभी तक अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं है।
पहले होगा भगवान हनुमान का दर्शन , फिर वैष्णो देवी का :
खारुन नदी के किनारे से बनाई गई सीढ़ियों से होकर उपर प्रथम तल पर सबसे पहले हनुमानजी का दर्शन होगा। इसके बाद गुफा के भीतर प्रवेश करने का मार्ग है। गुफा के बाजू से ही बुजुर्गों के लिए साधारण मार्ग है। गुफा जहां खत्म होगी, वहीं पर माता वैष्णोदेवी का दर्शन होगा। इसे 5 मंजिला इमारत में बनाया जा रहा है, भव्य स्वरुप और आकर्षण के लिये इसमें विविध कार्य किये जा रहे है।
धनुष, तलवार के आकार का हैंडल और 40 फीट का झूमर रहेगा :
दरवाजों पर पीतल से बना ढाई से तीन फीट लंबा धनुष और तलवार के आकार का हैंडिल, चिटकनी विशेष रूप से तैयार करवाया गया है। इनका वजन ही दो किलो से ज्यादा है। आराधना हाल में 40 फीट लंबा और 25 फीट ऊंचा विदेश में बनवाया जा रहा है। इतना विशाल झूमर किसी मंदिर में नहीं है। इससे राजधानी को एक खास पहचान मिलेगी।
सर्वसुविधायुक्त वृद्धाश्रम, खुद खर्च उठाएंगे बुजुर्ग :
मंदिर के पीछे सर्वसुविधायुक्त वृद्धाश्रम बनाया जा रहा है। इस आश्रम की विशेषता यह होगी कि यहां कोई भी बुजुर्ग निवास कर सकेगा। आश्रम में रहकर धर्म, ध्यान, आराधना, पूजा, पाठ की व्यवस्था रहेगी। बुजुर्ग अपना खर्च स्वयं उठाएंगे, प्रत्येक बुजुर्ग की रुचि के अनुसार भोजन मिलेगा। बुजुर्गों की सुविधाओं का खास ध्यान रखा जायेगा।
अष्टविनायक, पितरों का मंदिर :
मंदिर परिसर के मुख्य द्वार के भीतर गार्डन क्षेत्र में पितरों का मंदिर और हवन के लिए यज्ञशाला का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर के मुख्य भवन पर दीवारों में अष्ट विनायक की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। दीवार के उपरी भाग में चार और निचले भाग में चार प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
धार्मिक-मांगलिक कायों के लिए एसी हाल, कमरे नि:शुल्क :
प्रथम तल पर एसी हाल और 14 एसी कमरे बनाए जा रहे हैं। धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए पूरी तरह से निश्शुल्क प्रदान किया जाएगा। ग्राउंड फ्लोर पर रसोई और भोजनालय हाल बनाया जा रहा है। मात्र 10 रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। नदी के किनारे चौपाटी भी बनाई जाएगी। चौपाटी में पांच रुपये में समोसा, कचौरी आदि व्यंजनों का नाश्ता मिलेगा।
कांच का ब्रिज :
वैष्णो देवी मंदिर का दर्शन करने के बाद श्रद्धालु कांच के ब्रिज से होकर अदितिश्वर मंदिर का दर्शन कर सकेंगे। कांच के ब्रिज में चलकर जब मंदिर तक जाएंगे तब नीचे खूबसूरत सरोवर का आनंद लिया जा सकेगा। मां अदितिश्वर मंदिर एक गोल खंभे पर टिका होगा।
बेटे-बेटी की याद में बना रहे धाम :
मंदिर निर्माण में जुटे योगेश वार्ष्णेय बताते हैं कि उनके बेटे और 21 साल की बेटी के दुनिया छोड़ने के बाद जीवन में निराशा आ गई। वे अपनी पत्नी के साथ वैष्णो देवी की पैदल यात्रा पर गए। इसके बाद मां की कृपा से मंदिर निर्माण करने का विचार जागा। चार साल पहले 2018 में मंदिर का भूमिपूजन किया गया था। इसके बाद 2020 में कोरोना महामारी का प्रकोप फैलने से महीनों तक काम ठप रहा। अब फिर से कार्य प्रारंभ किया है। उम्मीद है इस साल 2023 तक मंदिर निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।



