नई दिल्ली : मरीजों के परिजन उस समय बड़ी मुश्किल में आ जाते है, जब उन्हें अपने परिजन की जान बचाने की समस्या आ जाती है और उन्हें महंगी दवायें खरीदने के लिये बाध्य होना पड़ता है, अब डॉक्टरों को पर्चे पर जेनेरिक दवाइयां ही लिखनी होंगी। साथ ही पंजीकृत डॉक्टर साफ अक्षरों में लिखें। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) नई दिल्ली के नए नियमों के मुताबिक ऐसा न करने पर उनका लाइसेंस भी कुछ समय के लिए निलंबित हो सकता है। देश में लोग कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं, जिसमें बड़ी राशि सिर्फ दवाओं पर खर्च होती है। जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 30 से 80% तक सस्ती हैं। उनकी दवाइयों में कोई फर्क नहीं होता है, जैसे बुखार की दवाई है तो तो वो किसी भी कंपनी की लें उसमें पैरासेटामोल ही अवयव होता है, सिर्फ कंपनी के नाम का फर्क पड़ता है, जेनेरिक दवाइयां किसी कंपनी विशेष से सम्बंधित नहीं होती।
जेनेरिक दवाइयां लिखने से खर्च में कमी आएगी। दो अगस्त को जारी प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर रेगुलेशन में कहा गया है कि डॉक्टर ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं लिखने से भी बचें। रजिस्टर्ड डॉक्टर जेनेरिक नाम से दवा लिखें। नियम का उल्लंघन होने पर डॉक्टर को रेगुलेशन के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी जा सकती है या पेशेवर प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग में शामिल होने को कहा जा सकता है। बार-बार नियम का उल्लंघन करने पर कुछ समय के लिए लाइसेंस निलंबित हो सकता है।
यह है नियम : इंडियन मेडिकल काउंसिल (आईएमसी) द्वारा 2002 में जारी नियमों के मुताबिक भी मौजूदा समय में डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखना जरूरी है। हालांकि, इसमें दंडात्मक कार्यवाही का जिक्र कहीं नहीं है।
जेनेरिक दवा क्यों ? एनएमसी ने जेनेरिक दवा और प्रेस्क्रिप्शन गाईडलाइन नियमन के तहत परिभाषित किया है। वे दवाएं जो ब्रांडेड लिस्टेड प्रोडक्ट से खुराक, प्रभाव, खाने के तरीके, गुणवत्ता में समान है। दूसरी ओर ब्रांडेड दवाएं वे है, जिनकी पेटेंट अवधि खत्म हो चुकी है। और कंपनियां उनका उत्पादन व विपणन दूसरे ब्रांड से करती है।
————————–
——————————
कहां कितने जनऔषधि केन्द्र
राज्य :खोले गए केन्द्र
यूपी: 1349
कर्नाटक: 1084
केरल: 979
तमिलनाडु: 910
महाराष्ट्र: 650
गुजरात: 526
ओड़ीशा: 418
दिल्ली: 403
बिहार: 400
पंजाब: 319
एमपी: 284
वेस्ट बंगाल: 267
हरियाणा: 261
उतराखंड: 225
छत्तीसगढ़: 209
राजस्थान: 169
आंध्रप्रदेश: 155
चंडीगढ: 11
जेनेरिक दवाओं का असर ब्रांडेड के समान ही होता है :
विशेषज्ञों का कहना है कि जेनेरिक दवाओं का असर भी किसी भी बीमारी पर ब्रांडेड के दवाओं के समान ही होता है। केन्द्र सरकार अनेकों बार जेनेरिक दवाएं लिखने का सर्कुलर जारी कर चुकी है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत देशभर में 9512 जन औषधि केन्द्र संचालित है। यहां पर करीबन 1800 तरह की जेनेरिक दवाएं मिलती है। जो बाजार से 70 से 90 फीसदी सस्ती मिलती है।
- देशभर में 9512 जन औषधि केन्द्र।
- देशभर में दवाओं की आपूर्ति के लिए 36 वितरक नियुक्त।
- जनऔषधि दवाओं की आपूर्ति के लिए गुरुग्राम (हरियाणा) में एक केन्द्रीय माल-गोदाम और चेन्नई (तमिलनाडु) , बैगलुरू (कर्नाटक), गुवाहाटी (असम) और सूरत (गुजरात) मेंं चार क्षेत्रीय गोदाम की स्थापना की है। इन औषधि केन्द्रों में जेनेरिक दवायें मिलती है। जिसमें कम से आम आदमी बीपी , सुगर जैसी नियमित दवाओं की खरीद पर अपने 70 % खर्च को बचा सकता है।