कंधे से अलग हुआ 4 साल की मासूम का हाथ, इंदौर की भयावह घटना आप भी रहें सतर्क, ऐसा भयानक हादसा होने पर क्या करें, जानना बहुत जरुरी है….।

इंदौर : मां का दुपट्टा चलती बाइक के पहिये में आ गया। झटके से मां-बेटी दूर फिंका गए। इस दौरान 4 साल की मासूम का हाथ पहिये में फंसकर कंधे से अलग हो गया। मौके पर चीख पुकार मच गई। खून से लथपथ बच्ची दर्द से कराहने लगी… घटना 15 अगस्त की खरगोन जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बिस्टान चौकी के घट्टी गांव की है। जिसका वीडियो बुधवार को सामने आया। स्थानीय लोगों की मदद से परिजन बच्ची को खरगोन के एक निजी अस्पताल ले गए। जहां से उसे इंदौर रेफर कर दिया। बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर निशांत महाजन ने बताया कि परिजन उसे 15 अगस्त को करीब 2 बजे गंभीर अवस्था में अस्पताल लेकर पहुंचे थे। वह खून से सनी थी और दर्द के कारण रो रही थी।

कल से हम इस खबर को लिखने का प्रयास कर रहे है, लेकिन यह हादसा इतना गंभीर है कि किन शब्दों में लिखें समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन यह खबर लिखना बेहद जरुरी है, आप भी इस घटना को जाने और सतर्क रहे, इसे हम कम शब्दों में लिख रहे है, ज्यादा लिखने पर इसे आप पढ़ भी नहीं पायेंगे। घटना मध्यप्रदेश के खरगोन जिले की है, जहाँ बाईक पर पति के साथ जा रही महिला का पल्लू पिछले पहिए में आ गया था। इस दौरान गोद में बैठी बच्ची का हाथ भी पहिए में आ गया। कई बार पहिया घूमने से हाथ धड़ से अलग हो गया। कटा हुआ हाथ लेकर परिवार इंदौर आए, लेकिन कोशिश हार गए। बच्ची का हौसला किसी योद्धा से कम नहीं है। इसी दम पर उसकी जान बचा ली गई है। दो दिन बाद हालत में सुधार है। उसे ICU से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।

घटना 15 अगस्त को खरगोन के घट्‌टी गांव के पास दोपहर 12.30 बजे की है। भगवानपुरा के रहने वाले राकेश सोलंकी पत्नी सलिला और चार वर्षीय बेटी अंशिका के साथ बाईक पर रिश्तेदार के यहां जा रहे थे। तभी सलिला का साड़ी का पल्लू बाइक के पिछले पहिए में फंस गया। चलती बाइक में पल्लू के साथ मासूम अंशिका गिरी और उसका बायां हाथ पहिए में आ गया। राकेश कुछ समझ पाता तब तक तीन-चार बार पहिया घूमने से अंशिका का हाथ कोहनी से अलग हो गया।

गाड़ी रास्ते में खराब होने से देर हो गई

हादसा इतना भयावह था कि दंपती बदहवास हो गए। राहगीरों ने बच्ची और कटे हाथ को उठाया। तुरंत खरगोन के प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। यहीं से कटे हुए हाथ को बर्फ में रखवाया और ड्रेसिंग कर बच्ची को इंदौर रेफर कर दिया। इस बीच रास्ते में गाड़ी खराब हो गई। दूसरी गाड़ी में लेकर यहां प्राइवेट हॉस्पिटल तक लाया गया। तमाम कोशिशें की गईं, लेकिन हाथ जोड़ा नहीं जा सका। लगातार लोगों ने इस घटना में दंपत्ति को अपना भरपूर सहयोग दिया, लेकिन देर हो जाने के कारण हाथ नहीं जोड़ा जा सका।

अब इंदौर के डॉक्टर और प्लास्टिक रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन अश्विन दास से जानिए क्यों नहीं जोड़ सके हाथ…

हमें फोन आया था कि एक बच्ची को इंदौर लाया जा रहा है, उसका हाथ धड़ से अलग हो गया है। हमने बच्ची के माता-पिता से फोन पर बात की। उन्होंने देहाती बोली में बताया कि बच्ची की उम्र 4 साल है। शाम करीब 6.30 बजे परिवारवाले बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे। उसकी हालत देख हम भी हैरान हो गए। वो बहुत ही छोटी है।

हाथ को प्रिजर्व करके लाया गया था, इसलिए हमने हाथ जोड़ने की तैयारी कर ली थी। बच्ची की हालत गंभीर थी। उसे जो तकलीफ हो रही थी, वह शब्दों में नहीं बता सकते। हाथ में मेहंदी लगी थी, यह देख वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं थी।

हादसा दोपहर 12.30 बजे हुआ। हाथ धड़ से कटा नहीं था, कंधे के 2 इंच आगे से उखड़ गया था। इतनी सी उम्र में मांसपेशियां, हडि्डयां सहित सारे ऑर्गन्स बहुत कोमल होते हैं। पहिया कई बार घूमने से हाथ ऐसा उखड़ा कि शरीर छिन्न-भिन्न हो गया था, नसें लटक रही थीं। कंधे से भी कटे हुए हिस्से में चार फ्रेक्चर थे। काफी खून बह गया था। हीमोग्लोबिन 6 रह गया था। हालत बिगड़ती जा रही थी।

असल में खरगोन से निकलते समय परिवार को किसी ने यह सलाह दी थी कि इंदौर में बच्ची की सर्जरी होगी। ऑपरेशन खाली पेट ही होता है इसलिए इसे पानी मत पिलाना। यही वजह है कि परिवार ने पानी तक नहीं दिया और वह बच्ची घबराती गई। डिहाइड्रेशन का भी शिकार हो चुकी थी, इस कारण उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी थी।

इस स्थिति में हाथ जोड़ना संभव नहीं था। हमारी प्रायोरिटी बच्ची की जान बचाना था। परिवार से बात कर इलाज शुरू किया। घाव की ठीक तरह से ड्रेसिंग कर जांचें कराईं। ट्रीटमेंट दिया। कुछ घंटों बाद उसे यूरिन पास होने लगी और किडनी का फंक्शन भी नॉर्मल हो गया। 16 अगस्त को घाव की क्लोजिंग सर्जरी की ताकि भविष्य में नकली हाथ लगाया जा सके।

बच्ची के मेहंदी लगे कटे हाथ को देखकर रुआंसे हुए लोग :

घटना के दौरान बच्ची का हाथ जब उखड़कर अलग हुआ तो यह मंजर रूला देने वाला था। बच्ची ने अपने हाथों में हथेली से लेकर कोहनी तक गहरी डिजाइन वाली मेहंदी लगा रखी थी। वहां राहगीरों और आसपास के लोग कटे हुए हाथ को सुरक्षित पहुंचाने में जुट गए और दोनों को हॉस्पिटल पहुंचाया। सोशल मीडिया पर भी घटना के फोटो-वीडियो वायरल होते रहे। हर कोई बच्ची के लिये प्रार्थना करने लगा।

हमें अफसोस बच्ची का हाथ नहीं जोड़ सके :

इस तरह के कई केसों में शरीर से अलग हो चुके अंग को जोड़ चुके डॉ. अश्विन दास अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि स्थिति ऐसी नहीं थी कि बच्ची का हाथ फिर से जोड़ सकें। दरअसल कटे हुए हाथ में सिकुड़न आ गई थी। ऐसी स्थिति में लेक्टिक एसिड बनता है, जिसके चलते जोड़ नहीं सकते। अगर ऐसा किया तो शॉक सिंड्रोम के कारण पेशेंट के लंग्स किडनी, ब्रेन, आंख, किडनी के सारे फंक्शन बिगड़ जाते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है। बच्ची अब ठीक है। खाने-पीने लगी है। उसे तीन-चार दिनों बाद डिस्चार्ज कर दिया जाएगा, लेकिन घाव को भरने में अभी समय लगेगा। उसके बाद ही नकली हाथ प्लान किया जा सकता है।

ऐसी घटना होने पर क्या करें :

डॉ. निशांत महाजन ने बताया कि घटना या अन्य किसी कारण से शरीर का कोई अंग टूट जाता है, तो उसे पांच से छह घंटे के दौरान उचित ट्रीटमेंट और ऑपरेशन से उसे जोड़ा जा सकता है। इस अवधि के दौरान शरीर के अंग में ब्लड का सर्कुलेशन जारी रहता है। शरीर के टूटे हुए अंग को सुरक्षित रखना भी जरूरी होता है। अंशिका के भी कटे हुए हाथ को परिजन एक थैली में लेकर आए थे। जिसे अस्पताल से सुरक्षित बॉक्स में रखकर इंदौर भेजा गया है।

ऐसी परिस्थिति में विवेक से काम लें और निजी अस्पताल अपनी जगह महत्व रखते है, लेकिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मेकाहारा (डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल) इस मामले में बेहतर है, यहाँ घटना के आधार पर बेहतर इलाज मिलने की सम्भावना है, जितनी भी दुर्घटनायें होती है उन्हें प्राथमिक तौर पर मेकाहारा में ही शिफ्ट किया जाता है, यहाँ निजी अस्पतालों की अपेक्षा बेहतर डॉ. और सुविधायें उपलब्ध है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सर्जरी , वाष्प से हार्ट वोल्व ठीक करने जैसे बड़े इलाज यहाँ संपन्न हो चुके है।