रायपुर/(छत्तीसगढ़) : राजधानी में किसानों के लिए कृषि यंत्र प्राप्त करना भी बड़ा मुद्दा बन गया है। चुनाव के समय किसानों का मानना है कि इस बार कृषि उपकरण के लिए योजनाओं का विस्तार होना चाहिए। प्रदेश के किसानों को पर्याप्त संख्या में कृषि उपकरण नहीं मिल पा रहे हैं।छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए कृषि यंत्र प्राप्त करना भी बड़ा मुद्दा बन गया है। चुनाव के समय किसानों का मानना है कि इस बार कृषि उपकरण के लिए योजनाओं का विस्तार होना चाहिए।
कृषि की अत्याधुनिक अभियांत्रिकी युग में किसान धीरे-धीरे जागरुक हो रहे हैं और ट्रैक्टर से लेकर स्प्रिंकलर, ड्रिप, डकफुट कल्टीवेटर, स्प्रिंग टाइन कल्टीवेटर, रिजिड टाइन शोवेल टाइप कल्टीवेटर, लैंड लेवलर जैसे प्रमुख उपकरणों की मांग है। पिछले वर्षों में देखें तो किसानों ने बड़ी संख्या में कृषि उपकरणों की मांग की मगर उतनी संख्या में आपूर्ति नहीं हो पाई। इसकी वजह यह है कि केंद्र प्रवर्तित कृषि यंत्रीकरण योजना में 120 से 150 करोड़ की अनुदान राशि वर्षों से नहीं बढ़ी है और राज्य में कोई योजना संचालित नहीं हो रही है।
चैंप्स से भी राहत नहीं :
किसानों को कृषि यंत्र देने में पारदर्शिता लाने को राज्य शासन ने किसानों के लिए चैंप्स (छत्तीसगढ़ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन एंड माइक्रो एरिगेशन मानिटरिंग प्रासेस) साफ्टवेयर की सुविधा दी है। जिसकी मदद से किसानों को कृषि उपकरण खरीदने के लिए न तो परेशान होना पड़ेगा, न ही दलालों के चक्कर में पड़ कर अधिक कीमत चुकानी होगी लेकिन किसानों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्हें समय पर कृषि उपकरण नहीं मिल रहे हैं।
आलम यह है कि ट्रैक्टर के लिए 10 हजार आवेदन में महज साढे़ तीन हजार किसानों को ही मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में स्प्रिंकलर के लिए पिछले वर्ष 25 हजार से अधिक आवेदन आए थे। इनमें 21 हजार किसानों को लाभ मिला था। इसी तरह ड्रिप व अन्य उपकरणों की भी कमी है। इसी तरह अन्य कृषि उपकरण हस्त बैल चलित यंत्र, पावर टिलर, कंबाइन हारवेस्टर, शक्ति चलित कृषि यंत्र, पौधा सरक्षण यंत्र, सिंचाई पंप आदि कृषि यंत्रों की मांग लगातार हो रही है।
भूपेश सरकार ने की अलग से संचालनालय की घोषणा:\B किसानों को समय पर यंत्र मिले इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि यंत्रीकरण के लिए अलग से संचालनालय बनाने का निर्णय लिया है। इसके सेटअप को लेकर प्रक्रिया चल रही है। विशेषज्ञों की मानें तो सही तरह से मानिटरिंग होने से किसानों को इस समस्या से छुटकारा दिया जा सकता है।
केंद्र की योजना में इतनी सब्सिडी
छत्तीसगढ़ में केंद्र प्रवर्तित कृषि यंत्रीकरण योजना चल रही है। इसके तहत किसानों को कृषि यंत्र की खरीदी पर उन्हें 40 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा कस्टम हायरिंग केंद्रों (सीएचसी) और उच्च मूल्य वाले कृषि यंत्रों के लिए उच्च तकनीकी केंद्र स्थापित करने को 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
ठोस कार्ययोजना बनानी होगी
अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डा. राजाराम त्रिपाठी ने कहा, 130-140 सेंटीमीटर औसत बारिश वाले छत्तीसगढ़ की 80 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है। ऐसे में प्रदेश में के लिए ” बारहमासी सुनिश्चित सिंचाई” और किसानों को पर्याप्त कृषि उपकरण प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए केवल वोटों की मात्र लोकलुभावन राजनीति से आगे बढ़कर खेती-किसानी, किसानों के लिए बिना किसानों में अगड़ा-पिछड़ा, छोटा-बड़ा का अनावश्यक भेदभाव के दूरगामी ठोस योजनाएं बनानी होंगी और उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता पर अमल में भी लाना होगा।