आशाराम की हालत गम्भीर, साधकों ने की ईलाज के लिये पैरोल की मांग। डिप्टी सीएम अरुण साव को सौंपा ज्ञापन।

जोधपुर (राजस्थान) : श्री योग वेदांत सेवा समिति के अधिकतर आश्रम आशाराम ख़राब तबियत को लेकर अपनी मांग कर रहे है, जिसमें बताया गया है कि झूठे आरोपों के तहत जोधपुर कारागार में रखे गये 86 वर्षीय संत आशारामजी बापू के स्वास्थ्य की स्थिति अत्यंत नाजुक है। जेल जाने से पूर्व 74 की उम्र में अतिव्यस्त जीवनशैली के बावजूद बापूजी को सिर्फ ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया व पीठ-दर्द की तकलीफ थी, लेकिन 11.5 वर्ष से अधिक समय से लगातार कस्टडी के तनावयुक्त वातावरण से अब 86 वर्ष की इस वयोवृद्ध अवस्था में उनको हृदयरोग, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि, संधिवात एवं रक्ताल्पता आदि नयी बीमारियों ने भी घेर लिया है। तनावमुक्त वातावरण में इच्छानुसार चिकित्सा आदि के अभाव से इन प्राणघातक बीमारियों की निवृत्ति न होने से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है।

बापू आशारामजी 13 जनवरी से 6 फरवरी 2024 तक जोधपुर के एम्स अस्पताल में कार्डियक आई.सी.यू. में भर्ती रहे हैं। AIIMS की रिपोर्ट के अनुसार उनके हृदय में 3 गम्भीर (99%, 90% और 75%) ब्लॉकेज हैं। बापूजी को लगातार रक्तस्राव हो रहा है, जिसकी वजह से उनके हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। उनकी गम्भीर शारीरिक स्थिति को देखते हुए हाल ही में पैरोल की अर्जी लगायी गयी थी जिसे उनके रोग की भयानकता को अनदेखा करके रद्द कर दिया गया। उनका कहना है कि बड़े-बड़े अपराधियों को गंभीर अपराध में बेल मिल जाती है, लेकिन आशाराम को नहीं दी जा रही है।

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बापू आशारामजी ने अपना सारा जीवन समाजहित में लगा दिया फिर भी आज उनके स्वास्थ्य की इतनी गम्भीर स्थिति में उन्हें जरुरी इलाज के लिए किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है। 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘कैदी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए। दोषी की सेहत ठीक रहे यह सबसे जरूरी है। उसकी सेहत से संबंधित समस्याओं का राज्य सरकार ध्यान रखे, न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिये। इस मुद्दे पर आशाराम के भक्तों द्वारा पूरे देश से यह मांग की जा रही है। वहीँ इस मामले में राजधानी से अमर गिडवानी सहित कई समाजसेवी यह मांग कर रहे है, वहीँ दूसरी तरफ राजनांदगांव के साधकगणों ने अपनी यह मांग डिप्टी सीएम अरुण साव को सौंपी है।

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