स्वास्थ्य : जबसे खानपान में शक्कर का प्रयोग बढ़ा है, तब से लोग डायबिटीज के ज्यादा शिकार हो रहे है, डायबिटीज को कंट्रोल करने में कई घरेलू उपाय असरदार साबित होते हैं। आयुर्वेद में ऐसी कई चीजों को बताया गया है जो शरीर में बढ़ते ब्लड शुगर को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। खराब लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। दवा के अलावा डाइट, एक्सरसाइज और कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर भी डायबिटीज को काबू में किया जा सकता है। आज हम आपको जामुन के पत्तों का इस्तेमाल और उनके फायदों के बारे में बता रहे हैं। शुगर के मरीज को इन्हें जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। ये आपको डायबिटीज से काफी राहत देंगे।
आयुर्वेद में जामुन के फल, बीज यानि गुठली, तना और पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। डायबिटीज में भी ये सारी चीजें फायदेमंद साबित होती हैं। आप जामुन की गुठली का पाउडर बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं जामुन के पत्तों का इस्तेमाल कर डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे आपको काफी लाभ पहुंचेगा, वहीँ डायबिटीज का स्तर कम ज्यादा होता रहता है, जिसको नियंत्रित रखना काफी आवश्यक है।
डायबिटीज में जामुन के पत्तों का इस्तेमाल :
मधुमेह में जामुन के पत्तों का रस निकालकर पी सकते हैं। इसके लिए ताजा पत्ते तोड़कर जूस निकाल लें और सुबह खाली पेट पी लें। इससे डायबिटीज को नियंत्रित करने में आसानी होगी। आप चाहें तो पत्तों को सुखा लें और पाउडर बना लें। पाउडर को सुबह- शाम पानी से लें। आप जामुन के पत्तों क चाय भी बना सकते हैं। पत्तों को पानी में उबालकर छान लें और गुनगुना चाय की तरह पी लें। यह आपके स्वास्थ्य के लिये बेहद जरुरी है, मधुमेह को नियंत्रित रखना आवश्यक है, यदि आपको मधुमेह है, तो आपको हृदय रोग या स्ट्रोक होने की अधिक संभावना है। मधुमेह से तंत्रिका क्षति ( मधुमेह न्यूरोपैथी )। बहुत अधिक चीनी उन छोटी रक्त वाहिकाओं (केशिकाओं) की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है जो नसों को पोषण देती हैं, खासकर पैरों में।
डायबिटीज में जामुन के पत्तों के फायदे :
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जामुन के पत्तों में जंबोलिन कम्पाउंड होता है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। जामुन में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। जामुन के पत्ते ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है। जामुन के पत्तों में फ्लेवोनॉइड्स एंटी-इन्फ्लेमेटरी और टैनिन गुण होते हैं जो सूजन और दर्द की समस्या को कम करते हैं। जामुन के पत्ते इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को भी बूस्ट करते हैं।
इतनी होनी चाहिये मधुमेह की मात्रा :
आम तौर पर, ब्लड शुगर लेवल को खाने से पहले और बाद में चेक किया जाता है। खाली पेट चेक किए गए ब्लड शुगर को फ़ास्टिंग शुगर और खाने के दो घंटे बाद चेक किए गए ब्लड शुगर को पोस्ट मील शुगर कहते हैं। एक हेल्दी इंसान का नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल 90 से 100 mg/dL के बीच होता है। उम्र के हिसाब से भी ब्लड शुगर लेवल में थोड़ा बदलाव हो सकता है :
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- 6 से 12 साल की उम्र में, खाने से पहले का शुगर लेवल 80 से 180 mg/dL और खाने के दो घंटे बाद का शुगर लेवल 140 mg/dL होना चाहिए.
- 13 से 19 साल की उम्र में, खाने से पहले का शुगर लेवल 70 से 150 mg/dL और खाने के दो घंटे बाद का शुगर लेवल 140 mg/dL होना चाहिए.
- 20 से 40 साल की उम्र में, खाने से पहले का शुगर लेवल 100 से 130 mg/dL और खाने के दो घंटे बाद का शुगर लेवल 130 से 140 mg/dL होना चाहिए.
- 50 साल से ज़्यादा उम्र में, खाने से पहले का शुगर लेवल 90 से 130 mg/dL और खाने के दो घंटे बाद का शुगर लेवल अधिकतम 150 mg/dL होना चाहिए